राजद्रोह मामला: आयशा सुल्ताना को अग्रिम ज़मानत, हाईकोर्ट ने कहा- बयान राष्ट्रहित विरोधी नहीं

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लेकर एक टीवी बहस में स्थानीय कार्यकर्ता आयशा सुल्ताना ने कथित तौर पर कहा था कि केंद्र पटेल को लक्षद्वीप पर ‘जैविक-हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. इस पर भाजपा की स्थानीय इकाई ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया था.

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आयशा सुल्ताना. (फोटो साभारः फेसबुक/@AishaAzimOfficial)

लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लेकर एक टीवी बहस में स्थानीय कार्यकर्ता आयशा सुल्ताना ने कथित तौर पर कहा था कि केंद्र पटेल को लक्षद्वीप पर ‘जैविक-हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. इस पर भाजपा की स्थानीय इकाई ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया था.

आयशा सुल्ताना. (फोटो साभारः फेसबुक/@AishaAzimOfficial)
आयशा सुल्ताना. (फोटो साभारः फेसबुक/@AishaAzimOfficial)

कोच्चिः केरल हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता एवं फिल्मकार आयशा सुल्ताना को राजद्रोह के मामले में शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी.

सुल्ताना के खिलाफ कवरत्ती के एक स्थानीय नेता की ओर से दायर याचिका के आधार पर नौ जून को आईपीसी की धारा 124-ए (राजद्रोह) और 153 बी (घृणा भाषण) के तहत मामला दर्ज किया था.

जस्टिस अशोक मेनन ने आयशा सुल्ताना को जमानत देते हुए कहा, ‘उनके बयान से ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता जो राष्ट्रहित के प्रतिकूल लगने वाले आरोपों या दावों जैसे प्रतीत हों या किसी वर्ग को दूसरे व्यक्तियों के समूह के खिलाफ उकसाने वाला हो.’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी की संतुष्टि के अनुरूप और सीआरपीसी की धारा 438 (2) की शर्तों के अधीन 50,000 रुपये की जमानत राशि और समान राशि के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाए.

उनके वकील ने अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सुल्ताना ने अपनी टिप्पणियों को बाद में स्पष्ट किया और बयान के लिए माफी भी मांगी.

बता दें कि लक्षद्वीप में एफआईआर दर्ज होने के बाद सुल्ताना ने अग्रिम जमानत के अनुरोध के साथ केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने सुल्ताना को अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी.

लक्षद्वीप के प्रशासक और उनकी नई सरकारी नीतियों की आलोचना करने के बाद सुल्ताना पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया था.

लक्षद्वीप प्रशासन ने गुरुवार को यह कहते हुए आवेदन दायर किया था कि सुल्ताना ने अदालत के पूर्व के आदेश की अवहेलना की है और कोविड19 नियमों का उल्लंघन किया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुल्ताना की जमानत याचिका का लक्षद्वीप प्रशासन के स्थायी वकील एस मनु ने विरोध करते हुए कहा था कि  यह टिप्पणी शक्तिशाली, हानिकारक थी और भारत सरकार के खिलाफ द्वीप के निवासियों के बीच असंतोष पैदा कर सकती है.

अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए लक्षद्वीप प्रशासन ने कहा कि सुल्ताना ने ऐसा बयान देकर स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों तक के मन में अलगाववाद एवं सांप्रदायिकता को बढावा दिया है.

मालूम हो कि आयशा सुल्ताना ने सात जून को मलयालम समाचार चैनल पर एक डिबेट के दौरान कहा था कि केंद्र ने लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल लक्षद्वीप के लोगों के खिलाफ जैविक हथियार के तौर पर किया है.

बता दें कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप हाल ही में लाए गए कुछ प्रस्तावों को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही है.

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.

इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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