मिज़ोरम-असम ने एक-दूसरे की ज़मीन पर अतिक्रमण का आरोप लगाया, सीमा को लेकर बढ़ा विवाद

मिज़ोरम ने असम पर सीमा से लगे कोलासिब ज़िले में उसकी ज़मीन पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है, तो दूसरी ओर असम के अधिकारियों और विधायकों ने मिजोरम पर असम में हैलाकांडी के अंदर कथित तौर पर दस किलोमीटर की दूरी पर संरचनाओं के निर्माण और सुपारी तथा केले के पौधे लगाने के आरोप लगाए हैं.

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असम-मिजोरम सीमा पर तैनात सुरक्षा बल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ZoramthangaC)

मिज़ोरम ने असम पर सीमा से लगे कोलासिब ज़िले में उसकी ज़मीन पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है, तो दूसरी ओर असम के अधिकारियों और विधायकों ने मिजोरम पर असम में हैलाकांडी के अंदर कथित तौर पर दस किलोमीटर की दूरी पर संरचनाओं के निर्माण और सुपारी तथा केले के पौधे लगाने के आरोप लगाए हैं.

असम-मिजोरम सीमा पर तैनात सुरक्षा बल. (फोटो साभार: ट्विटर/@ZoramthangaC)
असम-मिजोरम सीमा पर तैनात सुरक्षा बल. (प्रतीकात्मक फाइल फोटो: ट्विटर/@ZoramthangaC)

आइजोल/हैलाकांडी: असम और मिजोरम के अधिकारियों ने एक-दूसरे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया जिसके बाद दोनों राज्यों के बीच तनाव बढ़ गया है.

मिजोरम ने बुधवार को जहां असम पर सीमा से लगे कोलासिब जिले में उसकी जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया तो दूसरी ओर असम के अधिकारियों और विधायकों ने मिजोरम पर असम में हैलाकांडी के अंदर कथित तौर पर दस किलोमीटर की दूरी पर संरचनाओं के निर्माण और सुपारी तथा केले के पौधे लगाने के आरोप लगाए.

गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले ही असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि वह सभी सीमावर्ती राज्यों के साथ समझौते पर काम कर रहे हैं.

कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक वनलालफाका राल्ते ने दावा किया कि असम के हैलाकांडी जिले के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सौ से अधिक अधिकारी और पुलिसकर्मी मिजोरम के इलाके में घुस आए हैं और मंगलवार से वहां डेरा डाले हुए हैं.

उन्होंने कहा कि यह इलाका मिजोरम का है और असम के करीमगंज जिले की सीमा से लगे कोलासिब के वैरेंगते गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित है. इस इलाके को स्थानीय स्तर पर ऐतलांग हनार (ऐतलांग नदी का स्रोत) के रूप में जाना जाता है.

हालांकि, कतलीचेरा से एआईयूडीएफ के विधायक सुजामुद्दीन लश्कर ने आरोप लगाया कि मिजोरम के निवासियों ने ढोलचेरा-फैसेन सीमा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ऐसनंगलॉन गांवों के चुनिनुल्ला में लगभग दस किलोमीटर असम की भूमि का अतिक्रमण किया है.

असम सरकार के अधिकारियों ने कहा कि हैलाकांडी से एक टीम सीमा पर पहुंची, लेकिन मिजो अतिक्रमणकारियों ने उन्हें रोक दिया और वापस लौटने के लिए मजबूर किया. इस टीम में डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर मुंताज अली, बॉर्डर डीएसपी निर्मल घोष और अन्य शामिल थे.

राल्ते ने कहा कि वैरेंगते के निवासी इस इलाके में खेती करते हैं और उनका दावा है कि यह इलाका पुरातन समय से मिजोरम का हिस्सा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि असम से कई जिला अधिकारी और पुलिसकर्मी मंगलवार को इलाके में पहुंचे और उन्होंने जबरन वहां कब्जा कर लिया.

इस समय इलाके में मौजूद राल्ते ने कहा, ‘यह पड़ोसी राज्य का पूरी तरह आक्रामक व्यवहार है, क्योंकि यह इलाका मिजोरम का है. सशस्त्र कर्मियों के हमले के डर से स्थानीय किसानों को वहां से भागना पड़ा.’

राल्ते ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने पर मिजोरम के उपमंडलीय अधिकारी के नेतृत्व में जिले के अधिकारी और पुलिसकर्मी हालात का जायजा लेने के लिए मंगलवार को घटनास्थल पहुंचे.

उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों राज्यों के अधिकारियों ने मंगलवार को घटनास्थल पर वार्ता की, लेकिन असम के अधिकारियों ने इलाके से हटने से इनकार कर दिया. पुलिस अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल पर पहुंचे वैरेंगते के निवासियों को घर वापस भेज दिया गया है, ताकि हिंसा न भड़के.

नॉर्थईस्ट नाउ के मुताबिक, आईजीपी अनुराग अग्रवाल (प्रशासन) के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय पुलिस दल ने बुधवार को जोरहाट जिले के मरियानी में अंतरराज्यीय सीमा का दौरा किया.

अग्रवाल ने कहा कि सभी विवादास्पद सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता करने का प्रस्ताव रखा गया है और यह जल्द ही होगा.

अग्रवाल के साथ डीआईजी (पूर्वी रेंज) वी शिव प्रसाद गांजावाला और जोरहाट के एसपी अंकुर जैन ने भी नागालन के मोकोकचुंग जिले के एक एसडीओ और अतिरिक्त उपायुक्त के साथ बातचीत की.

डीआईजी गांजावाला ने कहा कि उनके नगालैंड समकक्षों के असहयोगात्मक रवैये के कारण अब तक उच्च स्तरीय वार्ता नहीं हो सकी है.

इस बीच, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) की जोरहाट जिला इकाई ने मांग की है कि असम सरकार असम-नगालैंड सीमा के पास मरियानी में जोरहाट जिला प्रशासन का एक उच्च-स्तरीय प्रशासनिक कार्यालय स्थापित करे ताकि आसपास की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा सके.

बता दें कि बीते फरवरी महीने की शुरूआत में असम-मिजोरम सीमा पर विवादित क्षेत्र में दोनों राज्यों के लोगों के बीच हुई झड़पों में कई लोग घायल हो गए थे.

हिंसा और आगजनी की घटना नौ फरवरी की रात रामनाथपुर थानांतर्गत कचूरथोल में हुई थी. कल्तीचेरा के विधायक सुजामुद्दीन लश्कर ने दावा किया कि था कि पड़ोसी राज्य के शरारती तत्वों के हमले में लगभग 30 लोग गंभीर रूप से घायल हुए और लगभग 50 मकान आगजनी में नष्ट हो गए.

पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भी असम-मिजोरम सीमा पर तब कई दिन तक तनाव रहा था, जब असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिले के लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे तथा कई कच्चे मकान जला दिए गए थे.

मिजोरम के तीन जिले – आइजोल, कोलासिब और मामित – असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.

दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच सीमा विवाद पुराना है और इससे निपटने के लिए 1995 के बाद से कई वार्ताएं हुई, लेकिन इनका कोई फायदा नहीं हुआ.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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