स्कूलों में डिजिटल शिक्षा का हाल-बेहाल, 2019-20 में महज़ 22 फीसदी स्कूलों में इंटरनेटः रिपोर्ट

एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस द्वारा देशभर के 15 लाख स्कूलों पर अकादमिक वर्ष 2019-20 के लिए किए गए सर्वे से पता चला कि 12 फीसदी से भी कम सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी और 30 फीसदी से भी कम स्कूलों में संचालित कंप्यूटर थे.

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(फोटोः पीटीआई)

एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस द्वारा देशभर के 15 लाख स्कूलों पर अकादमिक वर्ष 2019-20 के लिए किए गए सर्वे से पता चला कि 12 फीसदी से भी कम सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी और 30 फीसदी से भी कम स्कूलों में संचालित कंप्यूटर थे.

(फोटोः पीटीआई)
(फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार के देशभर के 15 लाख स्कूलों पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 2019-2020 में सिर्फ 22 फीसदी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्शन था.

एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडाइस प्लस) की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में देश के लगभग 39 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर हैं और यह पिछले साल के मुकाबले छह प्रतिशत से ज्यादा है. वहीं इस अवधि में देश में 22 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में इंटरनेट कनेक्शन है, जो पिछले साल के मुकाबले 3.5 फीसदी बेहतर है.

शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में 83 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में बिजली आपूर्ति हो रही थी जो पिछले साल (2018-19) के मुकाबले लगभग सात फीसदी बेहतर है.

रिपोर्ट के अनुसार, 2012-13 में लगभग 54.6 फीसदी स्कूलों में बिजली आपूर्ति हो रही थी. 2019-20 में देश के 84 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में पुस्तकालय की व्यवस्था थी जो पिछले साल के मुकाबले करीब चार फीसदी बेहतर है.

वहीं, 2012-13 में लगभग 69.2 फीसदी स्कूलों में पुस्तकालय थे.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अकादमिक वर्ष 2019-2020 के लिए किए गए सर्वे से पता चला कि 12 फीसदी से भी कम सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी और 30 फीसदी से भी कम स्कूलों में संचालित कंप्यूटर थे.

यूडाइस प्लस की रिपोर्ट से पता चला है कि कई केंद्रशासित प्रदेशों और केरल ने कई अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां 90 फीसदी से अधिक स्कूलों (सरकारी और निजी) में संचालनरत कंप्यूटर थे.

छत्तीसगढ़ (83 फीसदी) और झारखंड (73 फीसदी) जैसे राज्यों में अधिकतर सरकारी स्कूलों में शुरू की गई कंप्यूटर सुविधाओं का लाभ मिला जबकि तमिलनाडु (77 फीसदी), गुजरात (74 फीसदी) और महाराष्ट्र (71 फीसदी) जैसे अन्य राज्यों में निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों की तुलना में कंप्यूटर की उपलब्धता अधिक रही.

दूसरी तरफ यह भी पता चला कि असम (13 फीसदी), मध्य प्रदेश (13 फीसदी), बिहार (14 फीसदी), पश्चिम बंगाल (14 फीसदी), त्रिपुरा (15 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (18 फीसदी) जैसे राज्यों में पांच में से एक से भी कम स्कूल में कामकाजी कंप्यूटर थे.  सरकारी स्कूलों में स्थिति और भी खराब है. उत्तर प्रदेश के पांच फीसदी से भी कम सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा है.

इंटरनेट कनेक्टिविटी के संबंध में राज्यों के बीच यह अंतर और भी खराब है. सिर्फ केरल (88 फीसदी), दिल्ली (86 फीसदी) और गुजरात (71 फीसदी) में उनके आधे से अधिक स्कूलों मे इंटरनेट सुविधा रही.

इस रिपोर्ट से यह भी पता चला कि देश में 90 फीसदी से अधिक स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा है जो कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों के दोबारा खुलने पर लाभप्रद होगा.

बता दें कि स्कूलों में डिजिटल शिक्षा को अपग्रेड करने की जरूरत मार्च 2020 में कोरोना की वजह से एहतियातन स्कूलों को बंद करने से पहले तक कभी महसूस नहीं हुई. मार्च 2020 के बाद से अब तक देशभर के लगभग 26 करोड़ बच्चों ने स्कूलों का रुख नहीं किया है.

कोरोना की वजह से पूरे अकादमिक वर्ष 2020-2021 में स्कूल पूरी तरह से डिजिटल शिक्षा पर निर्भर हो गए हैं. वॉट्सऐप, जूम, ईमेल, रिकॉर्डिड क्लासेज जैसे ऑनलाइन संचार का इस्तेमाल किया जा रहा है और छात्रों एवं परिजनों को ऑनलाइन क्लासेज के लिए स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप के इस्तेमाल पर जोर दिया गया.

कई ऐसे मामले भी सामने आए, जब कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट तक पहुंच नहीं होने की वजह से कई बच्चे शिक्षा से महरूम रह गए.

बता दें कि यूडाइस को 2012-13 में शिक्षा मंत्रालय ने शुरू किया था. मंत्रालय ने प्राथमिक शिक्षा के लिए बने डीआईएसई और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए बनी एसईएमआईएस को एक साथ मिलाकर एकीकृत प्रणाली बनायी थी. बाद में इसे अपग्रेड कर यूडाइस प्लस किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)