उत्तराखंडः हलाल मीट के लिए टेंडर जारी करने पर देहरादून के स्कूल के ख़िलाफ़ एफआईआर

देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल प्रशासन पर मेस के लिए हलाल मीट के टेंडर जारी करने को लेकर बजरंग दल के सदस्यों की शिकायत पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. स्कूल प्रशासन ने माफ़ी मांगते हुए टेंडर के लिए नया विज्ञापन जारी किया है.

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(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल प्रशासन पर मेस के लिए हलाल मीट के टेंडर जारी करने को लेकर बजरंग दल के सदस्यों की शिकायत पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. स्कूल प्रशासन ने माफ़ी मांगते हुए टेंडर के लिए नया विज्ञापन जारी किया है.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

देहरादूनः उत्तराखंड पुलिस ने देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल प्रशासन पर मेस के लिए हलाल मीट के टेंडर को लेकर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह एफआईआर बजरंग दल के सदस्यों की शिकायत पर दर्ज की गई है.

स्कूल ने शनिवार को स्पष्ट किया कि अनजाने में हुई किसी गलती की वजह से टेंडर से कुछ सामान बाहर रह गए थे. झटका मीट और पॉल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति के लिए कोटेशन आमंत्रित करते हुए विज्ञापन भी प्रकाशित कराया गया.

मामले के प्रभारी निरीक्षक महावीर सिंह ने बताया कि वेल्हैम बॉयज स्कूल के प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और प्रबंधक के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

यह धारा विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य, घृणा और दुर्भावना फैलाने से संबंधित है.

स्कूल के वाइस प्रिंसिपल महेश कांडपाल ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन एक प्रत्युत्तर और नया विज्ञापन साझा किया.

प्रत्युत्तर के अनुसार, अनजाने में हुई किसी गलती की वजह से टेंडर से कुछ मदों को बाहर कर दिया गया था.

इसमें कहा गया, ‘अगर किसी व्यक्ति समुदाय की भावना को ठेस पहुंची है तो स्कूल बिना शर्त माफी मांगता है. ऐसा करने का उसका कोई इरादा नहीं था.’

बजरंग दल देहरादून के समन्वयक विकास वर्मा ने 29 जून को डालनवाला थाने में शिकायत कर दावा किया कि स्कूल ने धार्मिक भेदभाव के इरादे से टेंडर जारी किया था, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

विकास वर्मा ने कहा, ‘हलाल मीट की सप्लाई के लिए टेंडर जारी करना स्कूल द्वारा धर्मपरिवर्तन की दिशा में उठाया गया पहला कदम है. मुझे पता चला है कि कुछ और स्कूल और अस्पताल भी ऐसा ही कर रहे हैं. हम ऐसे संस्थानों की पहचान करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए राज्य में अभियान शुरू करने जा रहे हैं.’