उत्तर प्रदेश: चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 12,000 करोड़ रुपये बकाया, कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर बकाया राशि का तत्काल भुगतान करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी और आज की आवश्यकताओं के अनुसार इसके मूल्य में संशोधन न करना किसानों के दुखों और कष्टों को बढ़ा रहा है और महामारी के बाद से उनके लिए स्थिति और ख़राब हो गई है.

(फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर बकाया राशि का तत्काल भुगतान करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी और आज की आवश्यकताओं के अनुसार इसके मूल्य में संशोधन न करना किसानों के दुखों और कष्टों को बढ़ा रहा है और महामारी के बाद से उनके लिए स्थिति और ख़राब हो गई है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में गन्ने की बकाया राशि का तत्काल भुगतान करने के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नोएडा स्थित एक वकील ने ये याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि करीब 12,000 करोड़ रुपये की राशि के गन्ने का भुगतान अभी तक किसानों को नहीं चुकाया गया है.

जनहित याचिका पर बीते मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने सुनवाई की. अदालत ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और जनहित याचिका को सुनवाई के लिए 4 अगस्त को सूचीबद्ध कर दिया.

वकील पुनीत कौर ढांडा द्वारा दायर याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है, ‘अधिकारियों को गन्ना किसानों का बकाया भुगतान जारी करने का निर्देश दिया जाए, जो उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के पास साल 2019-20 और 2020-21 से लंबित है.’

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. उन्होंने कहा कि यदि इसमें ब्याज जोड़ दिया जाए तो यह राशि लगभग 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है.

याचिकाकर्ता ने गन्ने का मूल्य भी बढ़ाने के लिए कोर्ट से मांग की है.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पुनीत कौर ढांडा की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत ढांडा ने कहा, ‘याचिका दायर करने की आवश्यकता तब महसूस हुई जब इस बारे में न्यूज रिपोर्ट पढ़ने के बाद पता चला कि राज्य में गन्ना किसान कैसे पीड़ित हैं, उनके बकाये का भुगतान नहीं किया गया है.’

जनहित याचिका में कहा गया है कि गन्ना किसानों को भुगतान में देरी और आज की आवश्यकताओं के अनुसार इसके मूल्य में संशोधन न करना किसानों के दुखों और कष्टों को बढ़ा रहा है और महामारी के बाद से उनके लिए स्थिति और खराब हो गई है.

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