त्रिपुरा: भाजपा सरकार द्वारा 1971 के शहीदों का स्मारक हटाने पर विवाद

अगरतला में 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों का स्मारक था, जहां हर साल 26 जनवरी तथा 15 अगस्त को राज्य सरकार और सेना की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती थी. इसे यहां से स्थानांतरित करने पर रोष जताते हुए विपक्षी दलों व बांग्लादेश के कुछ बुद्धिजीवियों ने इसे मूल जगह पर वापस लाने की मांग की है.

/
शहीद स्मारक. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

अगरतला में 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों का स्मारक था, जहां हर साल 26 जनवरी तथा 15 अगस्त को राज्य सरकार और सेना की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती थी. इसे यहां से स्थानांतरित करने पर रोष जताते हुए विपक्षी दलों व बांग्लादेश के कुछ बुद्धिजीवियों ने इसे मूल जगह पर वापस लाने की मांग की है.

शहीद स्मारक. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

अगरतला: बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 1971 में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए त्रिपुरा में बनवाये गए स्मारक को हटाने पर विवाद पैदा हो गया है.

उक्त स्मारक, त्रिपुरा की राजधानी के व्यस्त क्षेत्र में पोस्ट ऑफिस चौमुहानी में स्थित था और हर साल 26 जनवरी तथा 15 अगस्त को यहां राज्य सरकार और भारतीय सेना की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती थी.

युद्ध स्मारक के पास स्थित एक युद्धक टैंक और आर्टिलरी तोप को पहले ही नए राजधानी परिसर में पिछले साल लीचुबागान क्षेत्र में एल्बर्ट एक्का पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था.

वेस्ट त्रिपुरा जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेश कुमार यादव ने पांच नवंबर को एक बयान में कहा था, ‘भारतीय सेना की लंबे समय से यह मांग थी कि बड़ा युद्ध स्मारक बनवाया जाए और इस मुद्दे को वर्ष 2018 में सत्ता में आए मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव के सामने भी उठाया गया था. इस परियोजना को स्मार्ट सिटी अभियान के तहत लिया गया था.’

यादव ने कहा था कि अल्बर्ट एक्का युद्द स्मारक लीचुबागान क्षेत्र में निर्माणाधीन है और पोस्ट ऑफिस चौमुहानी पर विजय स्तंभ की एक नकल लीचुबागान पार्क में बनाई गई है. टैंक और आर्टिलरी तोप को पोस्ट ऑफिस चौमुहानी से अल्बर्ट एक्का युद्ध स्मारक में स्थानांतरित कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘सैनिक बोर्ड से अनुमति लेने के और एक साल तक भारतीय सेना से बात करने के बाद यह किया गया. पोस्ट ऑफिस चौमुहानी का व्यास 28 मीटर था जिससे क्षेत्र में यातायात जाम लगता था.’

यादव ने कहा कि पोस्ट ऑफिस चौमुहानी का व्यास कम कर के 18 मीटर किया जाएगा और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पुनर्निर्मित किया जाएगा.

हालांकि, विपक्षी दलों कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा बांग्लादेश के कुछ बुद्धिजीवियों ने स्मारक को मूल स्थान पर स्थापित करने की मांग की है.

बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों, लेखकों, बांग्लादेश मुक्ति बाहिनी (स्वतंत्रता सेनानी) और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के केंद्र में पोस्ट ऑफिस चौमुहानी में स्थित 40 फुट ऊंचा शहीद स्मारक, भारत और बांग्लादेश के लोगों की दोस्ती के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक में से एक था, हम भारतीय अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि इसे पुनः स्थापित किया जाए.’

रिपोर्ट के अनुसार, वहीं, स्तंभ को हटाए जाने का त्रिपुरा सांस्कृतिक समन्वय केंद्र ने कड़ा विरोध जताया है. समूह ने स्मारक की तत्काल बहाली की मांग करते हुए कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार इस मांग को पूरा करने में सकारात्मक भूमिका निभाकर इतिहास के विनाश का प्रायश्चित करेगी.

त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष तापस डे ने इस कदम को एक जघन्य कृत्य करार दिया और दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की मानसिकता मुक्ति आंदोलन के खिलाफ है क्योंकि इसमें उनका कोई योगदान नहीं था.

डे ने कहा, ‘यह अन्यायपूर्ण है, जो मुक्ति आंदोलन में योगदान देने वाले शहीदों और राज्य के लोगों को बदनाम करने के लिए तैयार किया गया. इसके अलावा, वे 1971 के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस के योगदान के बारे में लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यदि वे इसे सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से कर रहे हैं, तो स्मारक को वर्तमान स्थान पर आसानी से बरकरार रखा जा सकता था. दुर्भाग्य से, उन्होंने किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ चर्चा नहीं की और अचानक स्मारक तोड़ दिया. उनकी मानसिकता आंदोलन के खिलाफ है क्योंकि उनका इसमें कोई योगदान नहीं था और यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस सरकार ने इतना जघन्य काम किया है.’

त्रिपुरा वाम मोर्चा समिति के संयोजक बिजन धर ने भी इस अधिनियम की निंदा की और कहा, ‘वे इतिहास मिटा रहे हैं. यह लोगों की भावना का प्रतिनिधित्व करता था और सही नहीं किया गया. हम इसकी निंदा और विरोध करते हैं.’

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने द वायर  को बताया कि वर्तमान स्थान जहां स्मारक स्थापित किया गया था, वह बहुत छोटा था और इसका उचित तरीके से रखरखाव नहीं किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘सैनिक बोर्ड ने भी इसे सही तरीके से बनाए रखने के लिए कई बार लिखा है और यही कारण है कि इसे ठीक से औऱ सम्मान के साथ बनाए रखने के लिए इसे अल्बर्ट एक्का मेमोरियल पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया. हमारी सरकार ऐसे युद्ध स्मारकों को बचाने की कोशिश कर रही है. सैनिक बोर्ड भी इस मामले को लेकर चिंतित है.’

वरिष्ठ पत्रकार मानस पॉल ने कहा कि यह शहीद स्तंभ भारतीय सेना का है और इसे जो स्थान दिया गया है वह बहुत छोटा है.

पॉल ने द वायर  से कहा, ‘1971 के युद्ध के दौरान अगरतला में काफी जगह थी. आबादी कम थी और बमुश्किल कोई निर्माण हुआ था. उस समय, अगरतला शहर के केंद्र में स्मारक स्थापित किया गया था. लेकिन अब शहर बढ़ने लगा है, जिससे जगह की कमी हो गई है. स्मारक को निर्धारित क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए सैनिक बोर्ड कई बार मांग कर चुका है. वर्तमान स्थान लोगों को अंदर प्रवेश करने और टैंक और तोपखाने देखने या इसके इतिहास के बारे में पढ़ने की अनुमति नहीं देता है. एक समर्पित युद्ध स्मारक का निर्माण किया जा रहा है.’

उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों को युद्ध के बारे में जानने में मदद मिलेगी. हालांकि, त्रिपुरा में सैनिक बोर्ड की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq