छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का निधन

पांच बार सांसद और नौ बार विधायक रहे वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह केंद्र सरकार में मंत्री पद की भी ज़िम्मेदारी संभाल चुके थे. सोमवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री 11 जून को दो महीने में दूसरी बार कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. इससे पहले वह 12 अप्रैल को इस महामारी की चपेट में आए थे.

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वीरभद्र सिंह. (फोटो: पीटीआई)

पांच बार सांसद और नौ बार विधायक रहे वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह केंद्र सरकार में मंत्री पद की भी ज़िम्मेदारी संभाल चुके थे. सोमवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री 11 जून को दो महीने में दूसरी बार कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. इससे पहले वह 12 अप्रैल को इस महामारी की चपेट में आए थे.

वीरभद्र सिंह. (फोटो: पीटीआई)

शिमला: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को तड़के शिमला में निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे.

इंदिरा गांधी चिकित्सा कॉलेज और अस्पताल (आईजीएमसी) के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने तड़के 3:40 बजे अस्पताल में अंतिम सांस ली.

सोमवार को सिंह को दिल का दौरा पड़ा था और उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी. उन्हें आईजीएमसी की गहन देखभाल इकाई में रखा गया था. सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें बुधवार को हृदय रोग विभाग में चिकित्सकों की निगरानी में वेंटिलेटर पर रखा गया था.

पांच बार सांसद और नौ बार विधायक रहे वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह केंद्र सरकार में मंत्री पद की भी ज़िम्मेदारी संभाल चुके थे. सिंह के परिवार में पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटा विक्रमादित्य सिंह हैं. उनकी पत्नी पूर्व सांसद हैं, जबकि बेटा शिमला ग्रामीण से विधायक है.

उनकी दो बेटियां भी हैं. अभिलाषा सिंह, जो हाईकोर्ट की जज रही हैं. अपराजिता सिंह की शादी पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पोते से हुई है.

गत 23 जून को परिवार ने वीरभद्र सिंह का 87वां जन्मदिन घर पर उनके समर्थकों की मौजूदगी में केक काटकर साधारण तरीके से मनाया था.

हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिंह के सम्मान में बृहस्पतिवार को तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने उनके सम्मान में आठ जुलाई से 10 जुलाई तक तीन दिवसीय राजकीय शोक का फैसला किया है. प्रवक्ता ने बताया कि शोक की इस अवधि के दौरान कोई आधिकारिक कार्य नहीं होंगे.

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए शिमला के लोअर जाखु इलाके में स्थित होली लॉज में उनके आवास में रखा गया है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राकेश सिंह समेत कई नेता और सिंह के प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पहुंचे.

पूर्व मुख्यमंत्री 11 जून को दो महीने में दूसरी बार कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. इससे पहले वह 12 अप्रैल को इस महामारी की चपेट में आए थे. उस समय उन्हें चंडीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

पहली बार संक्रमण से उबरने के बाद वह चंडीगढ़ से 30 अप्रैल को शिमला स्थित अपने निवास होली लॉज लौट आए थे. हालांकि घर पहुंचने के कुछ ही घंटों के बाद सांस लेने में तकलीफ और हृदय संबंधी शिकायतों के बाद उन्हें आईजीएमसी में भर्ती कराना पड़ा. तभी से वहां उनका इलाज हो रहा था.

23 जून, 1934 को शिमला जिले के सराहन के शाही परिवार में जन्मे वीरभद्र सिंह का 1947 में 13 साल की उम्र में राजा के रूप में अभिषेक किया गया था. उन्होंने बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से पढ़ाई की और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से मास्टर डिग्री ली.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता आठ अप्रैल 1983 से पांच मार्च 1990 तक, तीन दिसंबर 1993 से 23 मार्च 1998 तक, छह मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक और छठी बार 25 दिसंबर 2012 से 26 दिसंबर 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. वह मार्च 1998 से मार्च 2003 तक विपक्ष के नेता भी रहे.

उन्होंने केंद्र सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री और उद्योग राज्यमंत्री का पद भी संभाला. सिंह ने केंद्रीय इस्पात मंत्री और केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री के रूप में भी काम किया.

दिसंबर 2017 में वह सोलन जिले के अर्की विधानसभा क्षेत्र से 13वीं विधानसभा के लिए फिर से चुने गए थे. इससे पहले वह अक्टूबर 1983 (उपचुनाव) में राज्य विधानसभा में निर्वाचित हुए, 1985 में जुब्बल-कोटखई निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुए, 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में वह रोहरू से जीते और 2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए.

सिंह 1977, 1979, 1980 और 26 अगस्त 2012 से दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.

वीरभद्र सिंह 26 साल के थे जब साल 1961 में वह कांग्रेस में शामिल हुए थे. एक साल बाद वह अविभाजित पंजाब के महसू सीट से लोकसभा पहुंच गए. वह तीसरी लोकसभा के सबसे युवा सदस्य रहे हैं. 1968 में वह​ फिर से संसद के चुने गए और 1971 में मंडी सीट से जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह यहां से 1980 और 2009 में भी विजयी रहे थे.

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत विभिन्न नेताओं ने शोक जताया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिंह के निधन पर शोक जताया है.

राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, ‘वीरभद्र सिंह के निधन की खबर सुन कर दुखी हूं. छह दशक के उनके राजनीतिक करिअर में मुख्यमंत्री और सांसद के तौर पर उनकी भूमिकाएं हिमाचल प्रदेश के लोगों की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता जाहिर करती हैं. परिवार एवं समर्थकों के प्रति संवेदनाएं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘वीरभद्र सिंह का लंबा राजनीतिक जीवन रहा, जो प्रशासनिक और विधायी अनुभवों से भरा हुआ था. उन्होंने हिमाचल प्रदेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोगों की सेवा की. उनके निधन से दुखी हूं. परिवार के सदस्यों और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और कई अन्य नेताओं ने सिंह के निधन पर शोक जताया है. सिंह के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए ठाकुर ने कहा कि उनके निधन से पैदा हुआ खालीपन कभी नहीं भर पाएगा.

उन्होंने कहा कि सिंह का राज्य के विकास में अनुकरणीय योगदान है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और उल्लेखनीय काम हमारे लिए प्रेरणादायक रहेगा.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य कांग्रेस नेताओं ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर दुख जताया और राज्य के विकास में उनके योगदान को याद किया.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘वीरभद्र सिंह जी सही मायनों में एक कद्दावर नेता थे. जनता और कांग्रेस की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता आखिर तक अनुकरणीय रही. उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी संवेदना है. हम उनकी कमी महसूस करेंगे.’

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘राजनीति में विशालकाय पर्वतों-सा कद रखने वाले और देवभूमि हिमाचल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री वीरभद्र सिंह जी के निधन से हम सबको एक अपूरणीय क्षति हुई है. ईश्वर श्री वीरभद्र सिंह जी को श्रीचरणों में स्थान दें. विनम्र श्रद्धांजलि.’

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ट्वीट किया, ‘हमारे मित्र, छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह जी के देहांत के समाचार से मन व्यथित है. अच्छे इंसान एवं स्नेही व्यक्तित्व वाले वीरभद्र जी से मेरे निजी संबंध थे. परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं. भावभीनी श्रद्धांजलि.’

शिमला के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, भाजपा के हिमाचल प्रदेश मामलों के प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने भी सिंह के निधन पर शोक जताया है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा, ‘निशब्द, एक युग का अंत.’

फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, ‘एक युग का अंत. दिलों पर राज करने वाला अब नहीं रहा. विनम्र श्रद्धांजलि.’

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को एक सक्षम प्रशासक और एक सज्जन पुरुष बताया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं. एक सक्षम प्रशासक और सज्जन व्यक्ति सिंह सभी लोगों के प्रिय थे, वह न केवल हमारे जैसे कई लोगों के बड़े भाई थे बल्कि एक मार्गदर्शक भी थे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें.’

कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सिंह के निधन पर शोक जताया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)