पूर्व नौकरशाहों का खुला पत्र, कहा- यूपी में क़ानून व्यवस्था ध्वस्त, अंकुश न लगा तो लोकतंत्र का नाश तय

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विरोध के अधिकार को दबाने के लिए हिरासत, आपराधिक आरोप और वसूली का आदेश आम तरीके बन गए हैं. उन्होंने पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का भी उल्लेख करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट और पुलिस सहित यूपी में प्रशासन की सभी शाखाएं ‘ध्वस्त’ हो गई हैं.

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योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/@CMO UP)

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विरोध के अधिकार को दबाने के लिए हिरासत, आपराधिक आरोप और वसूली का आदेश आम तरीके बन गए हैं. उन्होंने पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का भी उल्लेख करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट और पुलिस सहित यूपी में प्रशासन की सभी शाखाएं ‘ध्वस्त’ हो गई हैं.

योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/@CMO UP)

नई दिल्ली: पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने खुला पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में क़ानून के शासन का खुला उल्लंघन और राज्य की पूरी व्यवस्था के चरमरा जाने की आलोचना की है.

उन्होंने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार एक ऐसा मॉडल पेश कर रही है, जहां हर कदम पर संविधान और क़ानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है.

एक संवैधानिक आचरण समूह, जिसका कई अन्य संबंधित प्रतिष्ठित नागरिकों ने समर्थन किया है, ने बयान जारी कर कहा कि कार्यकारी मजिस्ट्रेट और पुलिस सहित यूपी में प्रशासन की सभी शाखाएंध्वस्तहो गई हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें डर है कि यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो राज्य में राजनीति और संस्थाओं को होने वाले नुकसान का परिणाम लोकतंत्र का ही क्षय और विनाश होगा.’

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले लोग किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं रखते हैं, लेकिनभारत के संविधान के प्रति समर्पित नागरिकहैं.

उन्होंने कहा कि विरोध के अधिकार को दबाने के लिए हिरासत, आपराधिक आरोप और वसूली का आदेश आम तरीके बन गए हैं. इन बातों के अलावा उन्होंने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी का भी उल्लेख किया. 

हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर मुठभेड़, तथाकथित लव जिहाद कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) का दुरुपयोग और सरकार द्वारा कोविड-19 संकट से निपटने में की गई लापरवाही गहरी चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सैकड़ों एफआईआर दर्ज किए, जिसमें 22 लोगों की मौत हुई और 705 लोगों को तमाम आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.

समूह ने यह भी कहा कि राज्य में साल 2017 से 2020 के बीच 6,476 एनकाउंटर्स में 124 कथित अपराधियों को गोली मारी गई.

उन्होंने कहा कि हमें डर है कि यदि इस पर लगाम नहीं लगाई जाती है तो ये राज्य में लोकतंत्र के विनाश का कारण बनेगा.

पूर्व नौकरशाहों ने मौजूदा स्थिति में सुधार लाने के लिए कई उपाय सुझाए हैं.

बयान पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख पूर्व सिविल सेवकों में नजीब जंग, हर्ष मंदर, शिवशंकर मेनन, अरुणा रॉय, जूलियो रिबेरो, जवाहर सरकार शामिल हैं. वहीं जस्टिस (सेवानिवृत्त) एपी शाह और 200 से अधिक अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने इसका समर्थन किया है.

(इस पत्र को पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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