आपात ट्रॉमा केयर सेंटर का संचालन न करने को लेकर कैग ने असम सरकार को फटकार लगाई

कैग ने असम के पांच अस्पतालों में आठ साल से भी ज्यादा वक्त से ट्रॉमा केयर केंद्रों का संचालन न करने को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की खिंचाई की. विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित ये सेंटर सिर्फ आवश्यक मानव संसाधन की कमी के कारण नहीं चल रहे हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटोः पीटीआई)

कैग ने असम के पांच अस्पतालों में आठ साल से भी ज्यादा वक्त से ट्रॉमा केयर केंद्रों का संचालन न करने को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की खिंचाई की. विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित ये सेंटर सिर्फ आवश्यक मानव संसाधन की कमी के कारण नहीं चल रहे हैं.

(प्रतीकात्मक फोटोः पीटीआई)

गुवाहाटी: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने असम के पांच अस्पतालों में आठ साल से भी ज्यादा वक्त से ट्रॉमा केयर केंद्रो का संचालन नहीं करने को लेकर राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की खिंचाई की.

राज्य विधानसभा में सोमवार को पेश कैग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित ये सेंटर सिर्फ आवश्यक मानव संसाधन की कमी के कारण संचालित नहीं हो रहे हैं, जबकि इन पर 7.32 करोड़ रुपये का खर्च आया है.

कैग की यह रिपोर्ट 31 मार्च, 2019 को समाप्त हुए साल के लिए है. ये आपात ट्रॉमा केयर केन्द्र बोंगाईगांव, हाफलांग, दीफू, नलबारी और नगांव के सरकारी अस्पतालों में संचालित होने थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण एनएचएम द्वारा धुबरी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि पर 2.36 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित चार भवनों को भी गिरा दिया गया है.

कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके अलावा अनुबंध के आधार पर नियुक्त सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के कैश कलेक्टर ने कम राशि जमा कर 30.54 लाख रुपये की हेराफेरी की, जिसमें 13 लाख रुपये की लागत राज्य सरकार द्वारा वहन की गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी संग्रह पर पर्यवेक्षण की अनुपस्थिति, विशेष रूप से संविदा कर्मचारियों की और अपर्याप्त निगरानी ने नकदी के गबन में सुविधा प्रदान की.

इसके साथ ही कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड (एएमडीबी) के निदेशक ने छात्रवृत्ति की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करने के बजाय एक निजी बैंक के पे डायरेक्ट कार्ड के माध्यम से अनियमित रूप से प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरित की.

रिपोर्ट में कहा है कि इसके अलावा बैंक के पास 18.60 करोड़ रुपये और बोर्ड के पास 13.34 करोड़ रुपये बेकार पड़े थे.

राज्य सरकार ने अनुकंपा परिवार पेंशन योजना के तहत अप्रैल 2017 के बाद सेवाकाल में मरने वाले सरकारी कर्मचारियों के आश्रित परिवार के सदस्यों को सेवानिवृत्ति की आयु तक अंतिम वेतन के 100 प्रतिशत की दर से पेंशन प्रदान करके राज्य के खजाने पर अतिरिक्त परिहार्य वित्तीय बोझ डाला है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत अब तक 171.55 करोड़ रुपये का वित्तीय खर्च हुआ है और ऑडिट ने राज्य के बजट पर 156.91 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के अतिरिक्त वित्तीय बोझ का अनुमान लगाया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)