हरियाणा: 100 से अधिक प्रदर्शनकारी किसानों पर राजद्रोह सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज

बीते 11 जुलाई को प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर कथित तौर पर हमला कर दिया था जिससे उसका शीशा टूट गया था. संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता दर्शन पाल ने कहा कि गाड़ी का शीशा टूटने पर राजद्रोह और हत्या के आरोप को कैसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

बीते 11 जुलाई को प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर कथित तौर पर हमला कर दिया था जिससे उसका शीशा टूट गया था. संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता दर्शन पाल ने कहा कि गाड़ी का शीशा टूटने पर राजद्रोह और हत्या के आरोप को कैसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा रविवार को हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर हमले की घटना के संबंध में सिरसा पुलिस ने विभिन्न आरोपों में सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध राजद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है.

राज्य सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए सिरसा जिला पुलिस प्रमुख भूपेंद्र सिंह का स्थानांतरण कर दिया जबकि निरीक्षक स्तर के एक अधिकारी को निलंबित कर दिया.

सिविल लाइन पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक विक्रम सिंह ने मंगलवार को दिन में फोन पर बताया, ‘हमने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में 100-150 प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध एक प्राथमिकी दर्ज की है.

इसमें लोक सेवकों को कर्तव्य निर्वहन के दौरान बाधा पहुंचाना, निर्वाचित प्रतिनिधि की हत्या का प्रयास, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है. धारा 124 (ए) (राजद्रोह) को भी प्राथमिकी में जोड़ा गया है और आगे की जांच जारी है.’

अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी में दो किसान नेताओं के नाम दर्ज हैं. सिंह ने कहा कि घटना का सीसीटीवी फुटेज मंगाया गया है और अन्य आरोपियों की पहचान होते ही गिरफ्तारी की जाएगी.

हालांकि घटना वाले दिन कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में सिंह को शाम में पुलिस विभाग ने निलंबित कर दिया.

मंगलवार को कार्यभार संभालने वाले सिरसा के नए पुलिस अधीक्षक डॉ. अर्पित जैन ने कहा, ‘उन्हें निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.’

गंगवा ने यहां मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि रविवार को जिन्होंने उनके वाहन पर पथराव किया था उन्हें किसान नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें किसान नहीं कहा जाना चाहिए. मैं कह सकता हूं कि जिन्होंने हमला किया था वे नशेड़ी लग रहे थे….’

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा कि सभी को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता.

दरअसल, यह घटना हरियाणा में किसानों द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों को निशाना बनाकर विरोध प्रदर्शन किए जाने के बीच हुई थी.

बीते 11 जुलाई को राज्य भर में कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की.

इस बीच फतेहाबाद में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को हटा दिया था और उस स्थान की ओर बढ़ने का प्रयास किया जहां हरियाणा के सहकारिता मंत्री बनवारी लाल और सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल पार्टी के एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे.

दुग्गल बाद में एक अन्य पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सिरसा गयीं जहां हिसार जिले के नलवा क्षेत्र से भाजपा विधायक गंगवा भी मौजूद थे.

काले झंडे लिए किसान चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के बाहर एकत्र हो गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. पुलिस ने कहा कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब नेतागण बाहर आ रहे थे, उसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने गंगवा की कार को निशाना बनाया.

भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद कुछ लोगों ने वाहन को घेर लिया. सिरसा के पुलिस उपाधीक्षक संजय कुमार ने बताया था, ‘घटना के समय गंगवा आगे की सीट पर बैठे थे. वाहन का पिछला शीशा टूट गया. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इस पर कुछ फेंका गया था या किसी ने इसे हाथ से या किसी वस्तु से तोड़ दिया. कुछ पथराव भी किया गया था… वाहन में सवार किसी को चोट नहीं आई. बाद में उपाध्‍यक्ष को इलाके से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.’

उन्होंने कहा कि घटना के वक्त सुनीता दुग्गल एक अन्य कार में थीं.

किसान नेताओं ने बाद में कहा कि कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. उन्होंने दावा किया कि वे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और जब पुलिस कर्मियों ने उन्हें वहां से जबरन हटा दिया तो उन्होंने आपत्ति जताई.

किसानों ने झज्जर में भी प्रदर्शन किया जहां प्रदेश भाजपा प्रमुख ओपी धनखड़ एक पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे. अपने हाथों में काले झंडे लिए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे भाजपा या उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) को तब तक कार्यक्रम नहीं करने देंगे जब तक कि विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता.

अंबाला में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी उस समय अंबाला-साहा मार्ग पर एकत्र हो गए, जब उन्हें पता चला कि भाजपा की जिला इकाई एक कार्यक्रम आयोजित कर रही है.

किसानों को भड़का रही सरकार

एफआईआर पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के वरिष्ठ नेता दर्शन पाल ने कहा कि ऐसे कदम उठाकर सरकार किसानों को भड़काने का प्रयास कर रही है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘राजद्रोह के आरोप लगाकर सरकार किसानों को भड़का रही है. एक गाड़ी का शीशा टूटने पर राजद्रोह और हत्या के आरोप को कैसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है?’

उन्होंने कहा, ‘हमने पहले ही घोषणा कर दी है कि भाजपा, जननायक जनता पार्टी और कानूनों का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों सहित सभी विधायकों का शांतिपूर्ण बहिष्कार किया जाएगा और उन्हें राज्य भर के गांवों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. हम आज (14 जुलाई) एक बैठक में इस मुद्दे पर फैसला करेंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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