पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कार्यक्रम कार्यान्वित नहीं कर रहे कई देश: रिपोर्ट

यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव का सर्वेक्षण किया था. इसके अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है.

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(फोटोः पीटीआई)

यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव का सर्वेक्षण किया था. इसके अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है.

(फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: कोविड-19 के चलते जिन देशों में स्कूल बंद थे या हैं, उनमें तीन में से एक देश ने पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उपचारात्मक कार्यक्रम लागू नहीं किए हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने ‘कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव सर्वेक्षण’ किया था. इसके अलावा सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक-तिहाई देश प्राथमिक और दूसरे निचले स्तरों पर पढ़ाई को हुए नुकसान के आकलन के लिए कदम उठा रहे हैं . इनमें ज्यादातर उच्च आय वाले देश हैं.

इसके अनुसार, एक तिहाई से भी कम निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे थे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने का जोखिम बढ़ने की ओर से इशारा करता है.

हालांकि, अधिकांश देशों ने छात्रों को स्कूल लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते कम से कम एक प्रकार के संपर्क का उपयोग करने की जानकारी दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सामुदायिक संबंध, स्कूल-आधारित ट्रैकिंग, स्वच्छता सेवाएं, वित्तीय प्रोत्साहन और संपर्क नीतियों की समीक्षा शामिल हैं.

इन एजेंसियों द्वारा किए सर्वे में कुल 142 देशों ने भाग लिया जो वर्ष 2021 के दौरान फरवरी से मई महीनों के बीच कराया गया. इसमें पूर्व प्राइमरी से लेकर ऊपरी सेकेंडरी स्कूली शिक्षा के चार स्तर शामिल किए गए.

इस सर्वे में ये जानकारी भी एकत्र की गई है कि देशों में स्कूल फिर से खोले जाने और दूरस्थ शिक्षा रणनीतियां लागू करने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों का किस तरह सामना कर रहे हैं.

यूनिसेफ के शिक्षा मामलों के वैश्विक प्रमुख रॉबर्ट जैनकिन्स का कहा, ‘दुनिया भर में स्कूल बंद रहने के दौरान दूरस्थ शिक्षा बहुत से बच्चों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है. लेकिन कमजोर हालात वाले बहुत से बच्चों के लिए दूरस्थ शिक्षा भी पहुंच के बाहर थी. ये बहुत ज़रूरी और तात्कालिक है कि हम हर बच्चे को अब फिर से स्कूली शिक्षा में शामिल करें.’

विश्व बैंक में शिक्षा के वैश्विक निदेशक जैमे सावेद्रा ने कहा, ‘उन बच्चों की मदद करने के लिए उपचारात्मक निर्देश महत्वपूर्ण हैं, जो स्कूल छोड़ चुके हैं, ताकि वे पटरी पर लौट सकें और पढ़ाई को हुए दीर्घकालिक नुकसान को कम कर सकें.

सर्वेक्षण में बताया गया है कि कैसे देश पढ़ाई को हुए नुकसान की निगरानी और उसकी भरपाई कर रहे हैं. इसके अलावा, स्कूलों को फिर से खोलने और दूरस्थ शिक्षा रणनीतियों को लागू करने की चुनौती से कैसे निपट रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 19 देशों में अब भी स्कूली शिक्षा लगभग बंद है जिसके कारण लगभग 15.60 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.

संयुक्त राष्ट्र पदाधिकारियों ने सरकारों से आग्रह किया है कि स्कूल फिर से सुरक्षित तरीके से खोले जाने को प्राथमिकता दें ताकि एक पूरी पीढ़ी को तबाही से बचाया जा सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)