संघ के संगठन की कीटनाशक प्रबंधन विधेयक पर आपत्ति, कहा- बहुराष्ट्रीय कंपनियों को होगा मनमाना लाभ

कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति ‘कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020’ पर विचार कर रही है. इस विधेयक को पिछले साल 23 मार्च को राज्यसभा में पेश किया गया था और फिर इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था. आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति ज़ाहिर की है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति ‘कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020’ पर विचार कर रही है. इस विधेयक को पिछले साल 23 मार्च को राज्यसभा में पेश किया गया था और फिर इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था. आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति ज़ाहिर की है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने बीते गुरुवार को कीटनाशक प्रबंधन विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि ये आयाकतों एवं निर्यातकों के हितों को बढ़ावा देते हैं.

उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माताओं के हितों की रक्षा होनी चाहिए और इसके लिए विधेयक में कड़े प्रावधान होने चाहिए.

मंच ने दावा किया कि उन्होंने कुछ ऐसे संशोधनों का सुझाव देते हुए संसदीय समिति को ज्ञापन सौंपा है जिनसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के ‘राष्ट्रीय उद्देश्य’ को हासिल करने में मदद मिल सकती है.

कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति ‘कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020’ पर विचार कर रही है. इस विधेयक को पिछले साल 23 मार्च को राज्यसभा में पेश किया गया था और फिर इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था.

एसजेएम के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने एक बयान में कहा, ‘समिति ने इस विधेयक को लेकर सभी संबंधित पक्षों से आपत्तियां और सुझाव मांगे थे. स्वदेशी जागरण मंच ने समिति को अपना ज्ञापन सौंपा है.’

एसजेएम ने विधेयक में ‘कमियों’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें घरेलू विनिर्माण क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के ‘पर्याप्त प्रावधान’ नहीं हैं.

उसने दावा किया, ‘इस विधेयक ऐसे कई प्रावधान हैं जो आयातकों और निर्यातकों के हितों को बढ़ावा देते हैं. घरेलू विनिर्माताओं के हितों की रक्षा होनी चाहिए और इसके लिए विधेयक में कड़े प्रावधान होने चाहिए.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महाजन ने यह भी कहा, ‘इस कानून के ड्राफ्ट की धारा 22 (1) में एक खंड है, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अनुचित लाभ देता है, जो आमतौर पर पहले पंजीकरणकर्ता होते हैं. इस खंड को हटाने की जरूरत है. इसकी आवश्यकता नहीं है.’

स्वदेशी जागरण मंच ने सुझाव दिया है कि पंजीकरण समिति के पास रेडीमेड कीटनाशकों के आयात के लिए पंजीकरण से इनकार करने का अधिकार होना चाहिए, यदि वह कीटनाशक पहले से ही पंजीकृत है और भारत में निर्मित है या यदि समिति संतुष्ट है कि देश में विकल्प उपलब्ध हैं.

एसजेएम ने कहा, ‘यह घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और अर्थव्यवस्था को आयात निर्भरता से बचाएगा.’

मंच ने आगे कहा, ‘असेंबलिंग और रीपैकेजिंग विनिर्माण के बराबर नहीं होना चाहिए क्योंकि अधिकांश आयातक बिना वैल्यू एडिशन के विभिन्न ब्रांडों के आयातित कीटनाशक बेच रहे हैं और इससे घरेलू निर्माताओं के अस्तित्व को खतरा है. कीटनाशकों के आयात को विनियमित करने के लिए, नॉन-टैरिफ बैरियर लगाने का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि डब्ल्यूटीओ प्रतिबंधों की तर्ज पर कानूनी प्रावधानों के माध्यम से पौधों, जानवरों और मनुष्यों के जीवन की रक्षा की जा सके.’

एसजेएम ने यह भी कहा कि जैव और जैविक कीटनाशक भारतीय कृषि की विशेषता रही है, लेकिन विधेयक इन नए उत्पादों को पर्याप्त मान्यता, वैधता, समान अवसर और पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान नहीं करता है.

पिछले साल फरवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य किसानों को सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक उपलब्ध कराना है जो फसलों की दृष्टि से सुरक्षित एवं प्रभावी हो.

विधेयक में किसानों को नकली और अनधिकृत कीटनाशक से बचाने के उपाय करने के दावे किए गए हैं. इसके मुताबिक अगर कोई मिलावटी कीटनाशक और बिना पंजीकरण वाला कीटनाशक बेचता है तब उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और आपराधिक मामला भी चलाया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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