विरोध के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने स्पष्ट किया, जानवरों के वध पर कोई प्रतिबंध नहीं

बकरीद या ईद-उल-अजहा के मौके पर गायों और ऊंटों को अवैध रूप से मारने पर रोक लगाने वाले आदेश को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि केंद्रशासित प्रदेश में गोवंश के पशुओं के वध पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है.

/
(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

बकरीद या ईद-उल-अजहा के मौके पर गायों और ऊंटों को अवैध रूप से मारने पर रोक लगाने वाले आदेश को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि केंद्रशासित प्रदेश में गोवंश के पशुओं के वध पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है.

(फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने ईद-उल-अजहा के मौके पर गायों और ऊंटों को अवैध रूप से मारने पर रोक लगाने वाले आदेश को लेकर शुक्रवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में गोवंश के पशुओं के वध पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है. यह आदेश पशु वध से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के क्रियान्वयन के लिए जीव जंतु कल्याण बोर्ड की ओर से जारी किया गया था और प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि पशु और भेड़ पालन विभाग ने स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नियमों के अनुसार जानवरों के वध पर प्रतिबंध लगाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड प्रत्येक वर्ष कानूनों और नियमों का पालन करते हुए पशु वध के संबंध में परामर्श जारी करता है. इस साल भी यही परामर्श जारी किया गया है और संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है.’

इससे पहले जम्मू कश्मीर के पशु-भेड़पालन एवं मत्स्य पालन विभाग ने इस संबंध में जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के संभागीय आयुक्तों और आईजीपी (पुलिस महानिरीक्षक) को पत्र लिखकर बकरीद के अवसर पर गायों, बछड़ों और ऊंटों को मारने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया.

गौरतलब है कि ईद के अवसर पर भेड़, गाय, बछड़ों और ऊंटों की कुर्बानी दी जाती है.

जम्मू कश्मीर पशु-भेड़पालन और मत्स्य पालन विभाग के निदेशक (योजना) ने भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा जीव जंतु कल्याण बोर्ड के 25 जून को लिखे गए एक आधिकारिक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि 21-23 जुलाई, 2021 तक बकरीद (ईद-उल-अजहा) के दौरान केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में बलि के रूप में जानवरों का वध किए जाने की संभावना है.

पत्र के मुताबिक, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने पशु कल्याण के मद्देनजर पशु कल्याण कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए सभी एहतियाती उपायों को लागू करने का अनुरोध किया है.

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, पशु कल्याण नियम, 1978, पशुओं का परिवहन (संशोधन) नियम, 2001, कसाईखाना नियम, 2001 के तहत त्योहार के दौरान जानवरों (जिसके तहत ऊंटों का वध नहीं किया जा सकता) के वध के लिए भारतीय नगरपालिका कानून और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के निर्देश जारी किए गए हैं.

निदेशक ने कहा कि उन्हें पशु कल्याण कानूनों के क्रियान्वयन के लिए ऊपर उल्लिखित अधिनियमों और नियमों के प्रावधानों के अनुसार सभी निवारक उपाय करने, जानवरों की अवैध हत्या को रोकने तथा पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश मिलते हैं.

इस पत्र की प्रतियां भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष, सभी जिलाधिकारी, आयुक्त, एसएमसी/जेएमसी; निदेशक, पशुपालन विभाग, जम्मू कश्मीर, निदेशक, भेड़पालन विभाग, जम्मू कश्मीर, निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय, जम्मू कश्मीर; और सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को सूचना के लिए भेजी गई थीं.

हालांकि जम्मू कश्मीर के विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने इस पत्र का कड़ा विरोध किया है.

प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ईद-उल-अजहा के अवसर पर गायों और ऊंटों की अवैध हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले पत्र का कड़ा विरोध करते हुए इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी.

आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, पार्टी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि यह रेखांकित करना संभव है कि इस प्रकार के उपाय अन्यायपूर्ण और अक्षम्य हैं.

जम्मू कश्मीर में कई धार्मिक संगठनों के समूह मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने प्रतिबंध के खिलाफ शुक्रवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का सीधा-सीधा उल्लंघन है.

गौरतलब है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ही एमएमयू के अध्यक्ष हैं.

एक बयान में कहा, ‘एमएमयू आश्चर्यचकित है कि ईद के धार्मिक अवसर पर गोजातीय जानवरों की बलि को अवैध और जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम की आड़ में अस्वीकार किया जा रहा है. सरकार को ऐसे मनमाने आदेश जारी करने से बचना चाहिए, जो मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य हैं. राज्य के रूप में वे सीधे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और अपने व्यक्तिगत कानून का उल्लंघन करते हैं, जिससे उन्हें बहुत पीड़ा होती है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पत्र भेजने वाले पशुपालन अधिकारी ने कहा कि आदेश को गलत समझा गया है. पशुपालन योजना के निदेशक जीएल शर्मा ने कहा, ‘यह पशु कल्याण बोर्ड का एक पत्र था और मैंने इसे केवल प्रेषित किया था. इसे गलत समझा गया है. जानवरों के वध पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’

पशु कल्याण बोर्ड द्वारा नगरपालिका क्षेत्रों में बूचड़खानों के बाहर जानवरों के वध पर रोक लगा देने संबंधी पत्र जैसे ही सोशल मीडिया पर प्रसारित होने लगा विरोध की आवाजें उठने लगीं, क्योंकि  श्रीनगर में कुछ को छोड़कर घाटी में चालू बूचड़खाने नहीं हैं.

यह पूछे जाने पर कि जहां बूचड़खाने नहीं हैं वहां लोग जानवरों का वध कैसे करेंगे. शर्मा ने कहा, ‘यह केवल नगरपालिका क्षेत्रों के लिए है. गांवों में लोग वैसे ही वध कर सकते हैं जैसे वे करते हैं. वध पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq