शस्त्र लाइसेंस मामला: सीबीआई ने जम्मू कश्मीर और दिल्ली में कई स्थानों पर छापेमारी की

जम्मू कश्मीर में अनिवासियों को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ के आधार पर 2012 से 2016 के दौरान 2.78 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप में साल 2019 में दर्ज एक मामले में संबंध में ये छापेमारी की गई. आरोप है कि विभिन्न ज़िलों के उपायुक्तों ने धन के लालच में फ़र्ज़ी और अवैध रूप से थोक में लाइसेंस जारी किया था.

(फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर में अनिवासियों को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ के आधार पर 2012 से 2016 के दौरान 2.78 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप में साल 2019 में दर्ज एक मामले में संबंध में ये छापेमारी की गई. आरोप है कि विभिन्न ज़िलों के उपायुक्तों ने धन के लालच में फ़र्ज़ी और अवैध रूप से थोक में लाइसेंस जारी किया था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अनिवासियों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर 2012 से 2016 के दौरान 2.78 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप में बीते शनिवार को जम्मू कश्मीर में 40 जगहों और राष्ट्रीय राजधानी में छापे मारे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि शस्त्र लाइसेंस रैकेट से संबंधित एक मामले में चल रही जांच के तहत जम्मू, श्रीनगर, उधमपुर, राजौरी, अनंतनाग, बारामूला और दिल्ली में आईएएस अधिकारियों, करीब 20 ‘गन हाउस’ सहित लोकसेवकों के आधिकारिक और आवासीय परिसरों में छापे मारे गए.

अधिकारियों ने बताया कि कम से कम दो आईएएस अधिकारियों- शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार के परिसरों पर छापेमारी हुई है. चौधरी जम्मू कश्मीर सरकार में आदिवासी मामलों के सचिव हैं और कुमार राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र शासित प्रदेश के अतिरिक्त रेजिडेंट कमिश्नर हैं.

चौधरी ने ट्वीट किया, ‘मीडिया में आई खबरों के संदर्भ में मैं पुष्टि करता हूं कि सीबीआई ने मेरे आवास पर छापेमारी की और शस्त्र लाइसेंस जांच में कुछ भी अनियमित नहीं पाया. मीडिया के मित्र इस बात को नोट कर सकते हैं कि जांच में सभी जिलों में चार वर्षों को कवर किया गया. अपने कार्यकाल के लिए मैं पूरी तरह से सीबीआई के प्रति जवाबदेह हूं.’

चौधरी ने कहा, ‘2012 से 2016 के दौरान उधमपुर में जारी 36 हजार शस्त्र लाइसेंस में से केवल 1500 (चार प्रतिशत से भी कम) मेरे कार्यकाल में जारी किए गए.’ उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों द्वारा जारी लाइसेंस में यह सबसे कम है.

उन्होंने कहा कि उन्होंने एजेंसी के सवालों के जवाब दिए और भविष्य में भी जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि 2012- 16 के दौरान जम्मू कश्मीर में जारी 4.49 लाख शस्त्र लाइसेंस में से केवल 56 हजार तीन जिलों रियासी, कठुआ और उधमपुर में जारी किए गए, जहां उन्होंने जिलाधिकारी के तौर पर सेवा दी थी.

अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी शब्बीर अहमद भट के आवास पर भी छापेमारी की गई, जिन्होंने रजौरी के जिलाधिकारी के तौर पर सेवा दी थी.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा पुंछ, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला और रामबन में 2012-16 के दौरान अतिरिक्त जिलाधिकारी के तौर पर सेवा देने वाले छह अधिकारियों के परिसरों पर भी छापेमारी की गई.

एजेंसी ने कथित अनियमितताओं को लेकर 16 अक्टूबर 2018 को दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की थीं.

सीबीआई ने कुपवाड़ा, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडो, पुलवामा और कुछ अन्य जगहों के तत्कालीन जिलाधिकारियों और मजिस्ट्रेटों के परिसरों पर दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुड़गांव और नोएडा समेत एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी. अभियान 2019 में दर्ज एक मामले के संबंध में चलाया जा रहा है.

आरोप है कि 2012 और 2016 के बीच जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों के उपायुक्तों ने धन के लालच में फर्जी और अवैध रूप से थोक में शस्त्र लाइसेंस जारी किया था.

सीबीआई ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के विभिन्न जिलों में वहां के जिलाधिकारियों और मजिस्ट्रेट द्वारा कथित तौर पर लगभग दो लाख शस्त्र लाइसेंस जारी करने से संबंधित दो मामलों की जांच के सिलसिले में तलाशी ली थी. आरोप है कि रिश्वत के बदले में गैर कानूनी रूप से ये शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए.

आरोप है कि तत्कालीन लोक सेवकों ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर राज्य के गैर निवासियों को नियमों का उल्लंघन कर शस्त्र लाइसेंस जारी किया और रिश्वत ली.

राजस्थान आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 2017 में इस घोटाले का खुलासा किया था और अवैध रूप से शस्त्र लाइसेंस जारी करने में संलिप्तता के आरोप में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था.

एटीएस के अनुसार, कथित रूप से सेना के जवानों के नाम पर 3,000 से अधिक परमिट दिए गए थे. एटीएस के निष्कर्षों के आधार पर जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने मामले में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया था.

वैसे यह जांच सिर्फ 2012 से 2016 तक ही सीमित है, जबकि राजस्थान एटीएस ने भी कई अन्य जिलों में कई वर्षों पहले की अनियमितताओं का उल्लेख किया था.

सीबीआई ने फरवरी 2020 में कई शहरों/कस्बों में कई अधिकारियों के कार्यालयों और आवासों की फिर से तलाशी या छापेमारी की थी और एक सेवारत आईएएस अधिकारी सहित कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था.

मार्च 2020 में जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन को 29 फरवरी से निलंबित करने का आदेश दिया था, जिस दिन उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा हिरासत में लिया गया था.

वह उस समय जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) के उपाध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले मेट्रोपॉलिटन रेगुलेटरी अथॉरिटी, जम्मू के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में तैनात थे.

पिछले साल आईएएस अधिकारी राजीव रंजन सहित दो अधिकारियों को सीबीआई ने डिप्टी कमिश्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान बंदूक लाइसेंस जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)