झारखंड में धनबाद के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की बीते 28 जुलाई की सुबह सैर के दौरान एक ऑटो रिक्शा से टक्कर के बाद मौत हो गई थी. घटना को पहले हिट एंड रन माना जा रहा था लेकिन मौक़ा-ए-वारदात की सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हत्या का संदेह जताया जा रहा है.
रांची: झारखंड सरकार ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की शनिवार को सिफारिश की.
धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह सैर पर निकले थे कि रणधीर वर्मा चौक की सड़क पर एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी, जिसमें उनकी मौत हो गई थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ‘जज उत्तम आनंद की मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है.’
मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM
ने न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत मामले की जांच #CBI से कराने की अनुशंसा की है।— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) July 31, 2021
पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.
पुलिस ने घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद हत्या का मामला दर्ज किया है.
इस घटना में इस्तेमाल किए गए ऑटो रिक्शा को कथित तौर पर धनबाद से चोरी किया गया था और बाद में यह ऑटो रिक्शा घटना की रात ही पड़ोसी गिरिडीह जिले से बरामद किया गया.
पुलिस महानिरीक्षक (ऑपरेशन्स) अमोल वी. होमकर का कहना है, ‘इस मामले में दो लोगों लखन कुमार वर्मा और राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से ही ऑटो रिक्शा बरामद किया गया. आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. आगे की जांच सावधानीपूर्वक की जाएगी.’
मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करने का यह फैसला चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा घटना का स्वत: संज्ञान लेने और झारखंड के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देने के एक दिन बाद लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.
पीठ ने कहा था, ‘इस घटना को समाचार पत्रों में व्यापक तौर पर रिपोर्ट किया गया और घटना के वीडियो क्लीपिंग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट किया जा रहा है, जिससे पता चलता है कि यह कोई साधारण सड़क दुर्घटना का मामला नहीं है.’
अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘मामले की गंभीरता और इसके व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हम राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को न्यायिक अधिकारी उत्तम आनंद के मौत की जांच की स्टेटस रिपोर्ट संयुक्त रूप से एक हफ्ते के भीतर अदालत की रजिस्ट्री के समक्ष पेश करने का निर्देश देते हैं.’
इससे पहले न्यायाधीश उत्तम आनंद के परिवार ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सोरेन के कार्यालय में उनसे मुलाकात की और सीबीआई जांच की मांग की थी. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार न्यायाधीश आनंद की मौत के मामले में बहुत गंभीर है.
न्यायाधीश की पत्नी प्रीति सिन्हा ने अपनी लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इरादतन की गयी हत्या है.
अतिरिक्त महानिदेशक संजय आनंद लथकर की अगुवाई में विशेष जांच दल (एसआईटी) शुक्रवार से इस मामले की जांच कर रहा है. हालांकि, पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों के उद्देश्य का खुलासा नहीं किया है.
माफियाओं से जुड़े कई मामले की सुनवाई कर रहे थे जज
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस जज आनंद के केसों पर ध्यान दे रही है. वह धनबाद में माफियाओं से जुड़े कई मामलों की सुनवाई कर रहे थे और हाल ही में उन्होंने दो गैंगस्टरों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, जिला जज उत्तम आनंद रंजय हत्याकांड मामले की सुनवाई कर रहे थे. रंजय का संबंध धनबाद के चर्चित ‘सिंह मेंशन’ से है. सिंह मेंशन के ही संजीव सिंह पहले झरिया से भाजपा विधायक हुआ करते थे.
रंजय की हत्या के बाद धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज सिंह की भी एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई थी. संजीव और नीरज चचेरे भाई थे.
संजीव फिलहाल अपने चचेरे भाई नीरज की हत्या के मामले में दुमका जेल में बंद है. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह झरिया से कांग्रेस विधायक हैं.
आरोप है कि नीरज सिंह की हत्या के लिए उन्हीं के चचेरे भाई संजीव ने अमन सिंह नाम के शूटर को ठेका दिया था. अमन सिंह भी फिलहाल रांची जेल में बंद है. वो उत्तर प्रदेश का रहने वाला है.
अब जज की मौत को संदेहास्पद इसलिए कहा जा रहा है कि वो न सिर्फ संजीव सिंह के करीबी रहे रंजय हत्याकांड की सुनवाई कर रहे थे, बल्कि उन्होंने नीरज सिंह हत्याकांड के शूटर और संजीव सिंह के करीबी अमन सिंह गिरोह के दो शूटर अभिनव और रवि ठाकुर को जमानत देने से इनकार कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, धनबाद अदालत के रिकॉर्ड से पता चलता है कि अतिरिक्त सत्र एवं जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद ने जुलाई महीने में 36 आदेश पारित किए थे, जिनमें कथित यौन उत्पीड़न, फर्जी लॉटरी टिकटों की बिक्री और अल्पसंख्यक स्कूली छात्रों के लिए छात्रवृत्तियों के कथित दुरुपयोग के मामले भी शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)