दिल्ली: पुलिस ने कोर्ट से कहा- जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई

दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण 21 मरीज़ों की मौत हो गई थी. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से न तो उन्हें गिरफ़्तार किया और न ही उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की.

/
जयपुर गोल्डन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर)

दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण 21 मरीज़ों की मौत हो गई थी. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से न तो उन्हें गिरफ़्तार किया और न ही उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की.

जयपुर गोल्डन अस्पताल. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अदालत को बताया कि अप्रैल में जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई कोविड-19 के 21 मरीजों की मौत का कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं थी. हालांकि, पुलिस का यह दावा अस्पताल प्रबंधन के रुख के विपरीत है.

इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने अदालत को बताया कि मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की कमी में संबंध है क्योंकि बार-बार अनुरोध के बावजूद अस्पताल को 30 घंटों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई थी.

गौरतलब है कि 23-24 अप्रैल की दरमियानी रात को कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल में 21 मरीजों की मौत हो गई थी.

मरीजों की मौत के लिए अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर अपनी स्थिति रिपोर्ट में पुलिस ने कहा, ‘सभी मरे हुए लोगों के मौत के कारणों की समीक्षा से पता चला कि किसी भी मरीज की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है.’

पुलिस उपायुक्त प्रणव तायल ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विवेक बेनीवाल को बताया कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर लगे लापरवाही के आरोपों को लेकर दिल्ली मेडिकल काउंसिल से सलाह मांगी गई है.

हालांकि, अस्पताल का कहना है, ‘आईनॉक्स ने 22 अप्रैल शाम 5.30 बजे 3.8 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की. हालांकि, आईनॉक्स ने 23 अप्रैल शाम 5:30 बजे उसके फिर से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की. इसके कारण संकट की स्थिति उत्पन्न हुई.’

अस्पताल प्रबंधन ने यह भी बताया कि कैसे घटना से पहले एक दिन में औसतन दो-तीन लोगों की मौत हो रही थी, लेकिन 7-8 घंटों के भीतर ही 21 लोगों की मौत हो गई.

उसने कहा, ‘परिणामस्वरूप, जब यह स्थिति उत्पन्न हुई, तो असामान्य रूप से बड़ी संख्या में मौतों और सामान्य कारक यानी कम ऑक्सीजन की आपूर्ति के बीच एक संबंध प्रतीत हुआ.’

अस्पताल ने यह भी कहा कि उसने दोपहर से लेकर लगातार बेचैनी में फोन कॉल किए, लेकिन रात तक तरल ऑक्सीजन खत्म होने की स्थिति में उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग करना पड़ा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अस्पताल ने कहा, ‘उनके अस्पताल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि पूरी नियमित आपूर्ति बंद हो गई और सिलेंडर का इस्तेमाल करना पड़ा. यह स्थिति अभूतपूर्व थी और ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली एक गंभीर आपात स्थिति थी.’

अस्पताल ने कहा कि मरीजों की मौत की प्रारंभिक जांच के बाद प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत हुआ कि 23 अप्रैल की रात करीब 9.45 बजे चार मामलों में ऑक्सीजन के दबाव में गिरावट आई थी, जो एक असामान्य घटना थी.

मृतक के परिवार के सदस्यों ने यह दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि अस्पताल प्रबंधन को दंडित किया जाना चाहिए. साथ ही आरोप लगाया कि पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से न तो उन्हें गिरफ्तार किया और न ही उनके खिलाफ जांच शुरू की.

अधिवक्ता साहिल आहूजा और सिद्धांत सेठी के माध्यम से दायर याचिका में शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि अस्पताल प्रबंधन को मरीजों को भर्ती करना बंद कर देना चाहिए था या ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने पर उन्हें छुट्टी देना शुरू कर देना चाहिए था.

दिल्ली सरकार की विशेषज्ञ समिति ने पहले कहा था कि मौत के कारण के रूप में ऑक्सीजन की कमी का पता नहीं चल सका है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)