टोक्यो में प्रदर्शन अच्छा लेकिन ज़मीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना ज़रूरी: कर्णम मल्लेश्वरी

ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी पूर्व भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि खिलाड़ी अपने बलबूते, संघर्ष कर के पहचान बनाते हैं तब जाकर उन्हें किसी से मदद मिलती है, जबकि होना यह चाहिए कि ज़मीनी स्तर पर ही ध्यान देकर प्रतिभा की पहचान की जाए. ज़मीनी स्तर पर सही व्यवस्था नहीं होने के कारण ज़्यादातर प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती हैं.

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कर्णम मल्लेश्वरी. (फोटो: ट्विटर/@kmmalleswari)

ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी पूर्व भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि खिलाड़ी अपने बलबूते, संघर्ष कर के पहचान बनाते हैं तब जाकर उन्हें किसी से मदद मिलती है, जबकि होना यह चाहिए कि ज़मीनी स्तर पर ही ध्यान देकर प्रतिभा की पहचान की जाए. ज़मीनी स्तर पर सही व्यवस्था नहीं होने के कारण ज़्यादातर प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती हैं.

कर्णम मल्लेश्वरी. (फोटो: ट्विटर/@kmmalleswari)

नई दिल्ली: ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी पूर्व भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी टोक्यो 2020 में भारत के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं, लेकिन उनका मानना है कि देश को खेलों की महाशक्ति बनने के लिए जमीनी स्तर इसे बढ़ावा देने के साथ प्रतिभाओं की पहचान करना जरूरी है.

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (भाला फेंक) के स्वर्ण सहित सात पदक जीतकर भारत ने इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 में सिडनी में हुए ओलंपिक खेलों में भारोत्तोलन (69 किग्रा वर्ग) में कांस्य पदक जीता था. वह सिडनी खेलों में पदक जीतने वाली इकलौती भारतीय खिलाड़ी थीं.

टोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर हमारे खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, हालांकि हमने जितना अनुमान लगाया था, उतने पदक नहीं आए. हमने सोचा था कि 10 से 12 पदक आएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हम निशानेबाजी और तीरंदाजी पदक से चूक गए, बाकी दूसरे खेलों से अच्छे नतीजे मिले. हमें लगा था कि दोनों स्पर्धाओं (तीरंदाजी और निशानेबाजी) में कुल तीन-चार पदक आएंगे. हम मीराबाई चानू (भारोत्तोलन) और नीरज चोपड़ा के पदक को लेकर आश्वस्त थे. कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन और हॉकी में भी पहले से पदक का अनुमान था.’

भारतीय निशानेबाजों और तीरंदाजों पर उम्मीदों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर मल्लेश्वरी ने कहा, ‘अगर आप खिलाड़ी हैं तो आप पर दबाव तो हमेशा होगा. जहां तक उनके प्रशिक्षण और अभ्यास का सवाल है तो मैं नहीं समझती की इस बार उस मामले में कोई कमी रही. सरकार और इन खेलों से जुड़े महासंघों ने खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखा था. खिलाड़ियों के पास कोच , फिजियो, चिकित्सकों की सुविधा थीं.’

टोक्यो ओलंपिक के बाद भविष्य की तैयारियों के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले भी यह बात कही है कि ओलंपिक में पदकों की संख्या में तभी इजाफा होगा जब देश में जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम होगा. अगर आप टोक्यो खेलों में गए हमारे खिलाड़ियों को देखेंगे तो इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक गांवों या छोटे शहरों के हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जब वे अपने बलबूते, संघर्ष कर के पहचान बनाते हैं, तब जाकर उन्हें किसी से मदद मिलती है, जबकि होना यह चाहिए कि जमीनी स्तर पर ही ध्यान देकर प्रतिभा की पहचान की जाए. जमीनी स्तर पर सही व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातर प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती हैं.’

खेल रत्न पुरस्कार विजेता इस खिलाड़ी ने कहा, ‘खेलो इंडिया खेल इस मामले में एक अच्छी पहल है, इससे काफी फायदा होगा, लेकिन उसका दायरा और बढ़ाने की जरूरत है.’

बता दें कि भारत की महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन रियो ओलंपिक के बाद टोक्यो में अच्छा रहा. टोक्यो 2020 में मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में पदक जीत कर भारत का खाता खोला था. इसके बाद पीवी सिंधु ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. पहली बार इन खेलों में भाग ले रहीं मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने भी कांस्य पदक जीता.

मल्लेश्वरी ने कहा, ‘मुझे महिला खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से काफी खुशी होती है. मुझे गर्व भी महसूस होता है कि मैंने जो रास्ता बनाया उस पर अब कई लड़कियां चल रही हैं और सफल हो रही हैं.’

उन्होंने कहा, ‘पहले तो लड़कियों का ओलंपिक में पहुंचना ही बड़ी बात होती थी, पदक के बारे में कोई सोचता नहीं था. अब कोई महिला खिलाड़ी ओलंपिक में जाती है तो सिर्फ उसमें भागीदारी की बात नहीं होती, अब वे पदक की दावेदार होती है.’

बता दें कि टोक्यों में हो रहे ओलंपिक खेलों में भारत को अब तक कुल सात पदक मिल चुके हैं, जो कि रिकॉर्ड है. इससे पहले भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में छह पदक जीते थे. तब कुश्ती में सुशील कुमार ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया था.

पदक लाने वाले इन खिलाड़ियों में नीरज चोपड़ा (भाला फेंक- स्वर्ण पदक), रवि कुमार दहिया (कुश्ती- रजत), मीराबाई चानू (भारोत्तोलन-रजत), लवलीना बोरगोहेन (मुक्केबाजी- कांस्य), पीवी सिंधु (बैडमिंटन- कांस्य), बजरंग पुनिया (कुश्ती- कांस्य) और भारतीय हॉकी टीम शामिल हैं.

स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने भारत को ओलंपिक ट्रैक एवं फील्ड प्रतियोगिताओं में अब तक का पहला पदक दिलाकर नया इतिहास रचा है. एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है.

नीरज भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं, इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था.

भारोत्तोलन में पहला रजत पदक और नौ वर्षों बाद मुक्केबाजी में पहला पदक भारत की झोली में आया जबकि बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु दो ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं.

ज्यादातर पदार्पण कर रहे खिलाड़ियों ने पोडियम स्थान हासिल किए और एक ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक भी मिले और देश के लिए इतना सब कुछ एक ही ओलंपिक के दौरान हुआ.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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