ममता बनर्जी ने कहा, यूपीएससी परीक्षा में भाजपा की ओर से दिए गए सवाल पूछ रहा है

बीते आठ अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के तहत सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ़) की नियुक्ति परीक्षा में पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा और तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछे गए थे. ममता बनर्जी ने भाजपा पर यूपीएससी जैसे संस्थानों को बर्बाद करने और निष्पक्ष संस्था के तौर पर इसकी नींव कमज़ोर करने का आरोप लगाया.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

बीते आठ अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के तहत सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ़) की नियुक्ति परीक्षा में पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा और तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछे गए थे. ममता बनर्जी ने भाजपा पर यूपीएससी जैसे संस्थानों को बर्बाद करने और निष्पक्ष संस्था के तौर पर इसकी नींव कमज़ोर करने का आरोप लगाया.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आयोग सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की नियुक्ति परीक्षा में भाजपा की ओर से दिए गए सवाल पूछ रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बनर्जी ने भाजपा पर यूपीएससी जैसे संस्थानों को बर्बाद करने और निष्पक्ष संस्था के तौर पर इसकी नींव कमजोर करने का आरोप लगाया.

बनर्जी का यह बयान आठ अगस्त को हुई सीएपीएफ की भर्ती परीक्षा में पूछे गए सवालों को लेकर आया है.

दरअसल परीक्षा के प्रश्नपत्र में पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछे गए थे. उम्मीदवारों को बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर 200 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया था.

बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘यूपीएससी, भाजपा के सवाल पूछ रहा है. यूपीएससी निष्पक्ष संस्था हुआ करती थी, लेकिन अब इसके प्रश्न पत्रों में भाजपा सवाल दे रही है.’

इस दौरान बनर्जी ने कहा, ‘यहां तक कि किसानों के आंदोलन पर यूपीएससी की परीक्षा में पूछा गया प्रश्न भी राजनीति से प्रेरित था.’

बता दें कि इस साल आठ चरणों में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 292 में से 213 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा 77 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी.

कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया था कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए, जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया था.