पेगासस जासूसीः जांच के लिए सरकार का विशेषज्ञ समिति का प्रस्ताव, याचिकाकर्ताओं ने जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल कर नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी ग़लत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि वह ऐसा कब करेगी, समिति में कौन होगा या समिति जांच में कितना समय लेगी.

(फोटो साभार: Jonathan Chng/Unsplash)

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल कर नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी ग़लत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि वह ऐसा कब करेगी, समिति में कौन होगा या समिति जांच में कितना समय लेगी.

(फोटो साभार: Jonathan Chng/Unsplash)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा है कि वह इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी. हालांकि याचिकाकर्ताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है.

सरकार ने यह भी नहीं बताया कि वह ऐसा कब करेगी, समिति में कौन होगा या समिति कितना समय लेगी.

हालांकि, ऐसा लगता है कि इसका परिणाम पहले से ही निर्धारित है, क्योंकि सरकार के हलफनामे में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने कहा, ‘शुरुआत में यह प्रस्तुत किया जाता है कि मैं साफ तौर पर उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में बचाव पक्ष के खिलाफ लगाए गए किसी भी और सभी आरोपों से स्पष्ट रूप से इनकार करता हूं.’

आगे कहा गया है, ‘उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं. यह प्रस्तुत किया जाता है कि यह इस माननीय न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने का आधार नहीं हो सकता है.’

हलफनामे में कहा गया कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिए गए किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा.

अतिरिक्त सचिव ने यह भी दावा किया कि सरकार पहले ही इस मामले को संसद में संबोधित कर चुकी है.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेगासस पर सुनवाई शुरू किए जाने से ठीक पहले केंद्र ने यह हलफनामा दायर किया. यह पता लगाने के लिए कि क्या सरकार ने भारत में पत्रकारों, राजनेताओं और मानवाधिकार रक्षकों के फोन हैक करने के लिए इजरायली स्पायवेयर का इस्तेमाल किया है, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

इन याचिकाकर्ताओं में पत्रकार एन. राम, शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पेगासस स्पायवेयर के पुष्ट पीड़ित पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और एसएनएम अब्दी और स्पायवेयर के संभावित लक्ष्य पत्रकार  प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी शामिल हैं.

याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इससे पहले कि अदालत सरकार की एक समिति के प्रस्ताव पर विचार करे, सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं और यदि हां, तो लोगों को निशाना बनाने के लिए अधिकृत करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई थी.

ठाकुरता और अब्दी के लिए पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने समिति नियुक्त किए जाने के सरकार के अधिकार पर सवाल उठाए और कहा कि अदालत को उसके सदस्यों को चुनना चाहिए और उनके काम की निगरानी करनी चाहिए.

पीठ ने सरकार की तरफ से पेश होने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह भी पूछा कि एक तकनीकी समिति वैध प्राधिकरण, खरीद आदि के सवाल पर कैसे जा सकती है?

इस पर मेहता ने कहा कि अगर अदालत चाहे तो समिति को अधिकार दे सकती है.

अपने जवाब में मेहता ने संसद में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान भी पढ़ा और एनएसओ के हवाले से कहा कि उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल उन लोगों को लक्षित करने के लिए नहीं किया गया था, जिनके नंबर लीक हुए डेटाबेस में सूचीबद्ध हैं.

एक घंटे तक दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने मामलों को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि मेहता सरकार ने नई जानकारी लेकर पेश हों.

बता दें कि द वायर  सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

फ्रांस स्थित गैर-लाभकारी फॉरबिडेन स्टोरीज ने लीक हुए एक ऐसे डेटाबेस को प्राप्त किया था, जिसमें 50,000 से अधिक लोगों के नंबर थे और इनकी पेगासस के जरिये निगरानी कराने की संभावना है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सूची में शामिल भारत के कुछ लोगों के फोन का फॉरेंसिक विश्लेषण किया है, जिसमें से 10 से अधिक लोगों की पेगासस के जरिये फोन हैकिंग की पुष्टि हुई है.

एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.

खुलासे के बाद फ्रांस के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अधिकारियों ने सूची में शामिल दो फ्रांसीसी पत्रकारों के फोन में पेगासस स्पायवेयर होने की पुष्टि की है.

जहां रक्षा और आईटी मंत्रालय ने पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल से इनकार कर दिया है, तो वहीं मोदी सरकार ने इस निगरानी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल और उसे खरीदने पर चुप्पी साध रखी है.

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