अफ़ग़ानिस्तान: बाइडन ने सेना बुलाने के फैसले का किया बचाव, अफ़ग़ान सेना को ठहराया ज़िम्मेदार

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज़्यादा जल्दी हुआ. तो क्या हुआ? अफ़ग़ानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. अफ़ग़ान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना. पिछले हफ़्ते के घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को ख़त्म करना सही फ़ैसला है.

जो बाइडन. (फोटो: रॉयटर्स)

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज़्यादा जल्दी हुआ. तो क्या हुआ? अफ़ग़ानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. अफ़ग़ान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना. पिछले हफ़्ते के घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को ख़त्म करना सही फ़ैसला है.

जो बाइडन. (फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान नेतृत्व को बिना किसी संघर्ष के तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया और साथ ही तालिबान को चेतावनी दी कि अगर उसने अमेरिकी कर्मचारियों पर हमला किया या देश में उनके अभियानों में बाधा पहुंचायी, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई करेगा.

बाइडन ने अफगानिस्तान से आ रहीं तस्वीरों को ‘अत्यंत परेशान’ करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिक किसी ऐसे युद्ध में नहीं मर सकते, जो अफगान बल अपने लिए लड़ना ही नहीं चाहते.

उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं अपने फैसले के साथ पूरी तरह से हूं. मैंने 20 वर्षों के बाद यह सीखा कि अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का कभी अच्छा समय नहीं आया, इसलिए हम अभी तक वहां थे. हम जोखिमों को लेकर स्पष्ट थे. हमने हर आकस्मिक स्थिति की योजना बनाई, लेकिन मैंने अमेरिकी लोगों से हमेशा वादा किया कि मैं आपसे बिल्कुल स्पष्ट बात करूंगा.’

उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा जल्दी हुआ. तो, क्या हुआ? अफगानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. अफगान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना. पिछले हफ्ते के घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को खत्म करना सही फैसला है.’

बाइडन ने साथ ही कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के अभियानों में हस्तक्षेप करता है तो अमेरिका विध्वंसक बल के साथ जवाब देगा.

उन्होंने कहा, ‘सेना की वापसी के साथ ही हमने तालिबान को स्पष्ट कर दिया है कि अगर उन्होंने हमारे कर्मचारियों पर हमला किया या हमारे अभियान में बाधा डाली तो त्वरित और जोरदार जवाब दिया जाएगा.’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम जरूरत पड़ने पर विध्वंसकारी बल के साथ अपने लोगों की रक्षा करेंगे. हमारे मौजूदा अभियान का मकसद अपने लोगों और सहयोगियों को सुरक्षित और जल्द से जल्द बाहर निकालना है.’

उन्होंने कहा, ‘हम 20 वर्षों के खून-खराबे के बाद अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करेंगे. हम अब जो घटनाएं देख रहे हैं, वे दुखद रूप से यह साबित करती हैं कि कोई भी सेना स्थिर, एकजुट और सुरक्षित अफगानिस्तान नहीं बना सकती. जैसा कि इतिहास रहा है, यह साम्राज्यों का कब्रिस्तान है.’

बाइडन ने कहा, ‘हमने एक हजार अरब डॉलर से अधिक खर्च किए. हमने अफगानिस्तानी सेना के करीब 3,00,000 सैनिकों को प्रशिक्षित किया. उन्हें साजो-सामान दिए. उनकी सेना हमारे कई नाटो सहयोगियों की सेनाओं से कहीं अधिक बड़ी है. हमने उन्हें वेतन दिए, वायु सेना की देखरेख की, जो तालिबान के पास नहीं है. तालिबान के पास वायुसेना नहीं है. हमनें उन्हें अपना भविष्य तय करने का हर मौका दिया. हम उन्हें उस भविष्य के लिए लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं दे सकते.’

मैरीलैंड में कैंप डेविड के राष्ट्रपति रिजॉर्ट से ह्वाइट हाउस लौटते हुए बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने उन्हें हर वह औजार दिया, जिसकी उन्हें जरूरत हो सकती थी. उन्होंने कहा, ‘अफगान सेना में कई बहादुर और सक्षम सैनिक हैं, लेकिन यदि अफगानिस्तान अब तालिबान का कोई प्रतिरोध करने में असमर्थ है तो एक साल, एक और साल, पांच और साल या 20 और साल तक अमेरिका के वहां होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’

उन्होंने कहा, ‘जब अफगानिस्तान की खुद की सशस्त्र सेना लड़ना नहीं चाहती, तो अमेरिका की और सेना को भेजना गलत है. अफगानिस्तान के राजनीतिक नेता अपने लोगों की भलाई के लिए एक साथ आगे नहीं आ पाए.’

बाइडन ने जून में ह्वाइट हाउस में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और चेयरमैन अब्दुल्ला से मुलाकात और जुलाई में टेलीफोन पर हुई बातचीत को याद करते हुए कहा, ‘हमने इस बारे में बात की थी कि अमेरिकी सेना के जाने के बाद अफगानिस्तान को अपना गृह युद्ध लड़ने के लिए कैसे तैयार होना चाहिए और सरकार में भ्रष्टाचार को कैसे खत्म करना चाहिए, ताकि सरकार अफगान लोगों के लिए काम कर सकें.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कूटनीति से बात करने और तालिबान के साथ राजनीतिक समझौता करने का अनुरोध किया था. इस सलाह को सिरे से खारिज कर दिया गया. गनी ने जोर दिया कि अफगान सेना लड़ेगी, लेकिन जाहिर तौर पर वह गलत थे.’

बाइडन ने कहा कि वह अतीत में अमेरिका द्वारा की गईं गलतियों को नहीं दोहराएंगे. किसी संघर्ष में शामिल रहने और अनिश्चितकाल तक लड़ने की गलती अमेरिका के राष्ट्रीय हित में नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम इन गलतियों को दोहरा नहीं सकते, क्योंकि हमारी दुनिया में अहम हित हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज नहीं कर सकते.’

उन्होंने कहा, ‘मैं यह भी मानता हूं कि हम में से ज्यादातर लोगों के लिए यह कितना दुखद है. अफगानिस्तान से जो दृश्य सामने आ रहे हैं, वे अत्यंत परेशान करने वाले हैं.’

बाइडन ने आलोचकों को दिया जवाब

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता ट्रंप की आलोचना भी की जिनके प्रशासन ने तालिबान के साथ समझौता किया था. बाइडन ने कहा कि ट्रंप ने 2001 की तुलना में कहीं अधिक सैन्य शक्ति के साथ तालिबान को वहां छोड़ा.

बाइडन के आलोचक अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के तरीके की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि कई वीडियो में ऐसा देखने में आया कि काबुल एयरपोर्ट पर अफगान लोग बेतहाशा भाग रहे हैं और युद्धग्रस्त देश छोड़ने की तैयारी कर रहे अमेरिकी विमानों में सवार होने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

रिपब्लिकन सीनेटर मिट रॉमनी ने ट्वीट कर कहा, ‘अपनी विनाशकारी वापसी को स्वीकार करने में राष्ट्रपति की विफलता से अमेरिकियों या हमारे अफगान भागीदारों को कोई राहत नहीं मिलेगी, जिनका जीवन अधर में लटक गया है.’

रिफ्यूजी सहायता के लिए 50 करोड़ डॉलर मदद की घोषणा

ह्वाइट हाउस ने कहा कि सोमवार की रात बाइडन ने अफगानिस्तान में पैदा हुए अप्रत्याशित और तत्काल रिफ्यूजी सहायता के साथ विशेष अफगान आव्रजन वीजा आवेदनों को पूरा करने के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक का फंड अधिकृत किया.

बता दें कि अमेरिका विशेष आव्रजन वीजा (एसआईवी) के माध्यम से हजारों अफगानों को वहां से निकालने की तैयारी कर रहा है, जिनकी अमेरिकी सरकार के लिए काम करने के कारण तालिबान लड़ाकों से जान का खतरा है.

अमेरिकी सेना ने अभी तक 3,200 से अधिक लोगों को काबुल से निकाला: ह्वाइट हाउस

अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद अभी तक काबुल से 3,200 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला है, जिनमें से 1,100 लोगों को तो मंगलवार को निकाला गया.

ह्वाइट हाउस के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया, ‘आज अमेरिका के सैन्य विमान 13 उड़ानों से करीब 1,100 अमेरिकी नागरिकों, अमेरिकी के स्थायी निवासियों और उनके परिवारों को लेकर आए. हमें इस संख्या के बढ़ने की उम्मीद है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने अभी तक 3,200 से अधिक लोगों को बाहर निकाला है जिसमें हमारे कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके अलावा हमने अफगानिस्तान के करीब 2,000 विशेष आव्रजकों को भी अमेरिका में नई जगहों पर बसाया है.’

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान ने कहा, ‘हम देश से आ रहे सैन्य मालवाहक विमान में औसतन 300 यात्रियों को लाएंगे.’

इस बीच, सदन की विदेश मामलों की समिति के रिपब्लिकन सदस्यों ने राष्ट्रपति जो बाइडन से यह वादा करने का अनुरोध किया कि वह काबुल से तब तक लोगों को बाहर निकालना जारी रखेंगे, जब तक सभी अमेरिकी नागरिक और उसके सभी अफगान साझेदार सुरक्षित देश से बाहर न आ जाएं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)