चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक की याचिका ख़ारिज होने के बाद अब शीर्ष अदालत में अपील

वकील सीआर जया सुकिन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया है कि मतपत्रों के ज़रिये मतदान किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया का अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी तरीका है. दुनिया के कुछ विकसित देश ईवीएम की प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं. 

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

वकील सीआर जया सुकिन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया है कि मतपत्रों के ज़रिये मतदान किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया का अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी तरीका है. दुनिया के कुछ विकसित देश ईवीएम की प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल पर रोक लगाने एवं आगामी चुनाव मतपत्रों से कराने का चुनाव आयोग को निर्देश देने की अनुरोध संबंधी याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब शीर्ष अदालत में अपील दायर की गई है.

हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने तीन अगस्त को 10,000 रुपये के जुर्माने साथ यह याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उसमें बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं.

हाईकोर्ट के इस आदेश के विरूद्ध बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में वकील सीआर जया सुकिन ने दावा किया है कि मतपत्रों के जरिये मतदान किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया का अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी तरीका है.

याचिका में कहा गया है, ‘दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के माध्यम से होने वाले चुनाव की सुरक्षा, सटीकता, विश्वसनीयता एवं सत्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं.’

याचिका में कहा गया है कि दुनिया के कुछ विकसित देश ईवीएम की प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं.

वैसे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा दी गईं दलीलें और बहस से यह स्पष्ट था कि वह ईवीएम की कार्यप्रणाली या उसकी कथित खामियों का ब्योरा देने वाली सामग्री अदालत के सामने पेश करने में असमर्थ था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा था, ‘याचिका केवल कुछ समाचारों के आधार पर इस मुद्दे पर बिना किसी शोध के दायर की गई है. इस आरोप का समर्थन करने के लिए कुछ भी ठोस नहीं बताया गया है कि ईवीएम में हेरफेर किया जा सकता है.’

हालांकि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस बात की छूट दी थी कि सघन शोध के बाद यदि वह जरूरी सामग्री एवं दस्तावेजों की मदद से अपने आरोपों की पुष्टि करने की स्थिति में हो तो वह अदालत जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)