महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र को चेताया- अगर जम्मू कश्मीर ने सब्र खोया, तो आप गायब हो जाएंगे

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि केंद्र के पास अब भी जम्मू कश्मीर में एक संवाद प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने किया था और उनके पास सूबे की पहचान को अवैध रूप से और असंवैधानिक तरीके से छीनकर की गई ग़लती को सुधारने का एक मौक़ा है, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी.

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महबूबा मुफ़्ती. (फोटो: पीटीआई)

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि केंद्र के पास अब भी जम्मू कश्मीर में एक संवाद प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने किया था और उनके पास सूबे की पहचान को अवैध रूप से और असंवैधानिक तरीके से छीनकर की गई ग़लती को सुधारने का एक मौक़ा है, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी.

महबूबा मुफ़्ती. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को केंद्र से अफगानिस्तान से सबक लेने के लिए कहा, जहां तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और अमेरिका को भागने पर मजबूर किया. उन्होंने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों ने अपना धैर्य खो दिया तो आप नहीं बचेंगे, आप (भी) गायब हो जाएंगे.

महबूबा मुफ्ती ने साथ ही सरकार से जम्मू कश्मीर में बातचीत करने और 2019 में रद्द किए गए विशेष दर्जे को वापस करने का आग्रह किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुफ्ती ने कहा, ‘धैर्य के लिए साहस चाहिए, जिसे जम्मू कश्मीर के लोग सह रहे हैं. जिस दिन वे सब्र खो देंगे, आप भी नहीं रहोगे, आप गायब हो जाओगे. मैं आपसे बार-बार कह रही हूं. हमारे धैर्य की परीक्षा मत लो. समझें और (स्वयं को) सही करें.’

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र को ‘परीक्षा न लेने’ की चेतावनी दी और सरकार से ‘अपने तरीके सुधारने, स्थिति को समझने और अपने पड़ोस में क्या हो रहा है वह देखने के लिए कहा.’

उन्होंने 5 अगस्त, 2019 के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा, ‘एक महाशक्ति,अमेरिका को अपना बोरिया बिस्तर समेटकर भागना पड़ा. आपके (केंद्र) पास अभी भी जम्मू कश्मीर में एक संवाद प्रक्रिया शुरू करने का अवसर है जैसे (पूर्व प्रधानमंत्री) वाजपेयी ने किया था और आपके पास जम्मू कश्मीर की पहचान को अवैध रूप से और असंवैधानिक तरीके से छीनकर की गई गलती को सुधारने का एक मौका है, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी.’

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महबूबा ने युवाओं से हथियार न उठाने की अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे को बंदूकों या पत्थरों से हल नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार को वह लौटाना चाहिए जो उसने हमसे छीना है और कश्मीर मुद्दे को जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार संबोधित करना चाहिए.’

अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि मुद्दों को बंदूकों या पत्थरों से हल नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘तालिबान अब अफगानिस्तान को नियंत्रित कर रहा है और उन्होंने अमेरिका को भागने के लिए मजबूर किया. लेकिन, अभी वे कह रहे हैं कि बंदूक से काम नहीं होगा. पूरी दुनिया उन्हें देख रही है कि वे कैसा व्यवहार करेंगे, क्या वे वही सख्ती करेंगे या लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे.’

महबूबा ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति में जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए एक सबक है.

उन्होंने कहा, ‘मैं युवाओं से अनुरोध करती हूं कि जिंदा रहकर विरोध करें और अपनी जान न गंवाएं. जब आप अपना जीवन खो देते हैं, तो सब कुछ खत्म हो जाता है. दूसरी ओर के लोग यह नहीं समझते कि कश्मीर के युवाओं को अपनी जान की कुर्बानी नहीं देनी चाहिए. उन्हें परवाह नहीं है. इसलिए मैं सभी युवाओं से अपील करती हूं कि वे बंदूक या पत्थर न उठाएं. यदि आप जुबान से बात नहीं कर सकते तो अपने दिल के जख्मों को याद रखना.’

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तालिबान से बात की और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार सहित नयी दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकारों ने भी जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से बात की और ‘एक समय आएगा जब वे अपने घुटनों पर झुकेंगे और हमसे पूछेंगे कि हम क्या चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका ने तालिबान से बात की, भारत ने पाकिस्तान से बात की और संघर्षविराम हुआ. बात करने के अलावा कोई चारा नहीं है. दरवाजे के पीछे जो कुछ भी हो रहा है, भगवान की मर्जी है, एक दिन आएगा और उन्हें सभी से बात करनी होगी – चाहे वह जम्मू कश्मीर के लोग हों या उस ओर के लोग क्योंकि कश्मीर मुद्दा बरकरार है.’

महबूबा ने कहा कि भारत विभिन्न धर्मों, विविधताओं और जातियों का एक विचार है. महबूबा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश को बचाया और इसे एकसाथ रखा. उन्होंने भाजपा पर इसे विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘पिछले पांच-सात साल से जो हो रहा है, ऐसा लगता है कि भाजपा इस देश को बांटने और लोगों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है.’

जम्मू कश्मीर के भारत संघ में विलय का जिक्र करते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि अगर भाजपा तब सत्ता में होती तो हो सकता है कि जम्मू कश्मीर देश में शामिल नहीं हुआ होता.

उन्होंने कहा, ‘विलय भाजपा के कारण नहीं हुआ. यह तब हुआ जब जवाहरलाल नेहरू सत्ता में थे, जो धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक थे और जो भाईचारे में विश्वास करते थे. उन्होंने जम्मू कश्मीर के लोगों को एक हिंदू बहुल भारत में शामिल होने के लिए एक विशेष दर्जे का आश्वासन दिया, जो मुस्लिम बहुल था.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने इन शर्तों पर जम्मू कश्मीर को भारत के साथ शामिल किया था. अगर भाजपा होती तो मुझे नहीं लगता कि जम्मू कश्मीर इस देश का हिस्सा होता.’

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई 19 विपक्षी पार्टियों की डिजिटल बैठक में अनुच्छेद 370 के बारे में बात नहीं करने को लेकर आलोचना पर महबूबा ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर बात की और कहा कि यह कांग्रेस का कर्तव्य है कि वह जम्मू कश्मीर के लोगों की रक्षा करे और उनकी स्थिति देखें और कठिनाइयों को समझें.

भाजपा और कांग्रेस ने की आलोचना

जम्मू कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना ने महबूबा की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की और कहा कि वह ‘कुछ गलतफहमी में हैं. भारत एक शक्तिशाली देश है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (अमेरिकी राष्ट्रपति) जो बाइडन के विपरीत हैं, जो अफगानिस्तान से हट गए हैं. चाहे वह तालिबान हो, अल-कायदा, लश्करे तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, या हिजबुल… जो कोई भी भारत के खिलाफ साजिश करेगा, उसे नष्ट कर दिया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘पीडीपी अध्यक्ष ने देश के खिलाफ बहुत बड़ा पाप किया है. जम्मू कश्मीर के लोग देशभक्त हैं जो अपने देश से प्यार करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा रखते हैं. वे आतंकवाद से निपटने में पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की मदद कर रहे हैं.’

रैना ने कहा, ‘वह अब तालिबान को याद कर रही हैं जिसने अफगानिस्तान को नष्ट कर दिया है, निर्दोष महिलाओं और बच्चों को मार डाला है और पत्रकारों और खिलाड़ियों सहित लोगों के अधिकारों को कुचल दिया है.’

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी उनकी टिप्पणी की निंदा की.

शेरगिल ने कहा, ‘महबूबा मुफ्ती का उद्धृत भाषण बेहद निंदनीय और भड़काऊ है. शांति का उपदेश देने के बजाय, नीतिगत मुद्दों पर सरकार को बेनकाब करने के बजाय यदि आपकी राजनीति आपको हिंसक परिणामों के साथ प्रतिष्ठान को धमकी देना आवश्यक बनाती है तो स्पष्ट रूप से आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं- दुखद और शर्मनाक.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)