आयकर पोर्टल सही से न चलने की शिकायतों के बीच वित्त मंत्रालय ने इंफोसिस सीईओ को तलब किया

आयकर दाखिल करने के नया पोर्टल सात जून को शुरू किया गया था. यूज़र्स लगातार इस बात की शिकायत करते रहे हैं कि या तो पोर्टल अनुपलब्ध है या बेहद धीमी गति से काम कर रहा है. इसके मद्देनजर आयकर विभाग ने रेमिटेंस फॉर्म को मैनुअल तरीके से दाखिल करने की अनुमति दी है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म जमा करने की तारीख को आगे बढ़ाया गया है.

इन्फोसिस सीईओ सलिल पारेख. (फोटो: पीटीआई)

आयकर दाखिल करने के नया पोर्टल सात जून को शुरू किया गया था. यूज़र्स लगातार इस बात की शिकायत करते रहे हैं कि या तो पोर्टल अनुपलब्ध है या बेहद धीमी गति से काम कर रहा है. इसके मद्देनजर आयकर विभाग ने रेमिटेंस फॉर्म को मैनुअल तरीके से दाखिल करने की अनुमति दी है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म जमा करने की तारीख को आगे बढ़ाया गया है.

इंफोसिस सीईओ सलिल पारेख. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आयकर विभाग के नए पोर्टल में शुरुआत से ही दिक्कतें आ रही हैं. पिछले लगातार दो दिन से यह पोर्टल ‘अनुपलब्ध’ है.

इसके बाद वित्त मंत्रालय ने पोर्टल बनाने वाली सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी इंफोसिस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सलिल पारेख को सोमवार को तलब किया है.

पारेख को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है. उन्हें वित्त मंत्री को बताना होगा कि दो महीने बाद भी पोर्टल पर समस्याएं क्यों कायम हैं और उनका हल क्यों नहीं हो पा रहा.

इस बीच, कंपनी ने रविवार शाम एक ट्वीट में कहा कि पोर्टल का आपातकालीन रखरखाव संबंधी कार्य पूरा हो गया है और साइट काम कर रही है.

इंफोसिस द्वारा विकसित नए आयकर दाखिल करने के पोर्टल ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.इनकमटैक्स.जीओवी.इन’ को सात जून को शुरू किया गया था.

शुरुआत से ही पोर्टल को लेकर दिक्कतें आ रही हैं. यूजर्स लगातार इस बात की शिकायत करते रहे हैं कि या तो पोर्टल अनुपलब्ध है या काफी धीमी रफ्तार से काम कर रहा है.

इसी के मद्देनजर आयकर विभाग ने रेमिटेंस फॉर्म को मैनुअल तरीके से दाखिल करने की अनुमति दी है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म जमा करने की तारीख को आगे बढ़ाया है.

यह पोर्टल 21 अगस्त से ‘उपलब्ध नहीं’ है. इसी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय इंफोसिस के शीर्ष कार्यकारी से पूछेगा कि कैसे कई तरह की अड़चनों की वजह से पोर्टल का सुगम परिचालन प्रभावित हो रहा है.

आयकर विभाग ने ट्वीट किया, ‘वित्त मंत्रालय ने इंफोसिस के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सलिल पारेख को 23 अगस्त को तलब किया है. पारेख को वित्त मंत्री के समक्ष बताना होगा कि कैसे इस ई-फाइलिंग पोर्टल में समस्याएं जारी हैं. 21 अगस्त से तो यह पोर्टल उपलब्ध नहीं है.

आयकर रिटर्न दाखिल करने के इस नए पोर्टल की शुरुआत सात जून को हुई थी. शुरुआत से ही इसमें दिक्कतें आ रही हैं.

इंफोसिस इंडिया की बिजनेस यूनिट ने रविवार देर शाम एक ट्वीट में कहा, ‘आयकर विभाग का आपातकालीन रखरखाव संबंधी कार्य पूरा हो गया है और पोर्टल काम कर रहा है. करदाताओं को हुई किसी भी असुविधा के लिए हमें खेद है.’

इसने इससे पहले रविवार को किए गए ट्वीट में कहा था कि आयकर विभाग का पोर्टल आपात रखरखाव में है. कंपनी ने शनिवार को अपने ट्वीट में कहा था कि पोर्टल तक पहुंच उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

पोर्टल के शुरू होने के एक पखवाड़े के अंदर प्रयोगकर्ताओं की ओर से शिकायतें आने के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने ट्वीट कर कहा था, ‘बहुप्रतीक्षित ई-फाइलिंग पोर्टल 2.0 को कल रात 8:45 बजे लॉन्च किया गया. मैं अपनी टाइमलाइन पर शिकायतें और गड़बड़ियां देख रही हूं. उम्मीद है कि इंफोसिस और नंदन नीलेकणी मुहैया कराई जा रही सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर करदाताओं को निराश नहीं करेंगे. करदाताओं के लिए अनुपालन में आसानी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.’

उन्होंने इंफोसिस से मामले के त्वरित समाधान का निर्देश दिया था. इसके बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने 22 जून को इंफोसिस के महत्वपूर्ण अधिकारियों को पोर्टल से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया था.

उस समय वित्त मंत्री ने कंपनी के अधिकारियों से सभी मुद्दों को बिना किसी देरी के हल करने को कहा था. साथ ही उन्होंने सेवाओं में सुधार तथा शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने के लिए भी कहा था.

इस बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया था कि इंफोसिस के सीईओ पारेख तथा मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) प्रवीन राव ने कंपनी के अन्य अधिकारियों के साथ अंशधारकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया है. उन्होंने पोर्टल के कामकाज के तकनीकी मुद्दों की बात को स्वीकार किया है.

इंफोसिस को अगली पीढ़ी की आयकर दाखिल करने वाली प्रणाली विकसित करने का अनुबंध 2019 में मिला था. जून, 2021 तक सरकार ने इंफोसिस को पोर्टल के विकास के लिए 164.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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