पंजाब पर आरोप लगाने के बजाय, कृषि क़ानून वापस लीजिए: अमरिंदर सिंह

बीते 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल शहर में भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के उनके समकक्ष अमरिंदर सिंह आमने-सामने आ गए हैं. खट्टर ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उनके राज्य में किसानों को उकसा रही है. इस पर अमरिंदर सिंह ने खट्टर सहित भाजपा पर आरोप लगाया कि किसानों पर हमले को लेकर वे शर्मनाक झूठ बोल रहे हैं.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)

बीते 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल शहर में भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के उनके समकक्ष अमरिंदर सिंह आमने-सामने आ गए हैं. खट्टर ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उनके राज्य में किसानों को उकसा रही है. इस पर अमरिंदर सिंह ने खट्टर सहित भाजपा पर आरोप लगाया कि किसानों पर हमले को लेकर वे शर्मनाक झूठ बोल रहे हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उनके राज्य में किसानों को उकसा रही है, जिस पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई.

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीने से विरोध प्रदर्शन की कड़ी में करनाल में हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए लाठीचार्ज के बाद यह आरोप-प्रत्यारोप सामने आया है.

खट्टर ने एक संवाददाता सम्मेलन में उनके राज्य में किसानों के प्रदर्शन के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार बताया. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से पंजाब सरकार का हाथ है.’

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने थोड़ी देर बाद पलटवार किया और हरियाणा के मुख्यमंत्री सहित भाजपा पर आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी किसानों पर खतरनाक हमले को लेकर वे शर्मनाक झूठ बोल रहे हैं.

सिंह ने बयान जारी कर कहा, ‘आपकी पार्टी ने किसानों को जिन परेशानियों में धकेला है, उसके लिए पंजाब पर दोष मढ़ने के बजाए कृषि कानूनों को वापस लें.’

खट्टर ने पंजाब सरकार के अलावा कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वामपंथी नेताओं पर भी किसान आंदोलन के लिए आरोप लगाए.

खट्टर ने करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज को लेकर उनसे इस्तीफा मांगने पर पंजाब के अपने समकक्ष अमरिंदर सिंह पर भी निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि टीकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैठे अधिकांश लोग- मैं कहूंगा कि लगभग 80 प्रतिशत- पंजाब से हैं.’

खट्टर ने दावा किया कि हरियाणा के किसान खुश हैं.

खट्टर ने आंदोलनकारी किसानों को विरोध के हिंसक तरीकों का सहारा लेने के खिलाफ भी आगाह किया, जो उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और समाज को उनके खिलाफ कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, ‘हर स्वतंत्रता की सीमाएं होती हैं. कोई भी आजादी पूर्ण नहीं होती है.’

अमरिंदर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कानूनों को रद्द करने से इनकार करना पार्टी और उसके नेतृत्व के निहित स्वार्थों को दर्शाता है, जिसने एक बार फिर अपने पूंजीवादी मित्रों को आम आदमी के ऊपर रखा था.’

उन्होंने अशांति के माहौल के लिए भाजपा को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि संकट इतना गंभीर नहीं होता अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा ने किसानों की चिंताओं पर ध्यान दिया होता.

उन्होंने कहा कि खट्टर के किसान विरोधी एजेंडे का पर्दाफाश हो गया है, क्योंकि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पंजाब पर आंदोलन की जिम्मेदारी डालकर प्रदर्शनकारी किसानों पर आपराधिक हमले का बचाव करने की कोशिश की.

सिंह ने कहा, ‘क्या आपको दिखाई नहीं देता कि आपके अपने राज्य के किसान आपके उदासीन रवैये और आपकी पार्टी के कृषि कानूनों को निरस्त करने से इनकार करने के लिए आपसे नाराज हैं?’

उन्होंने कहा कि किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्हें अपनी और अपने परिवार की रक्षा के लिए पंजाब या किसी अन्य राज्य से उकसावे की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘आपकी पार्टी ने कृषि क्षेत्र में जो गड़बड़ी की है, उसके लिए पंजाब को दोष देने के बजाय कृषि कानूनों को निरस्त करें. भाजपा को विभिन्न राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में और उसके बाद हर चुनाव में अपने पापों का भुगतान करना होगा.’

इस बीच करनाल के घरौंदा में सोमवार को हुई किसान महापंचायत में हरियाणा सरकार के लिए अल्टीमेटम जारी किया गया. एक किसान नेता ने कहा कि बैठक में बीते 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ छह सितंबर तक मामले दर्ज करने की मांग की गई. उन्होंने कहा कि किसान सात सितंबर को करनाल में सचिवालय का घेराव करेंगे.

किसान आगामी पंचायत चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे थे, जब उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था. पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में घायल एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.

प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद करनाल के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों की पिटाई के निर्देश देते दिखाई दिए थे.

इस वीडियो में करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा को सुरक्षा घेरा तोड़ने वालों के सिर फोड़ने का पुलिसकर्मियों को निर्देश देते सुना जा सकता है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने करनाल एसडीएम का बचाव करते हुए कहा था कि आईएएस अधिकारी का शब्द चयन सही नहीं था, लेकिन वहां कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती की जरूरत थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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