पश्चिम बंगाल: पांच दिन में तीसरे भाजपा विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए

इस साल जून में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे मुकुल रॉय वापस टीएमसी में लौट गए थे. इसके अलावा हालिया चुनाव में भाजपा के टिकट पर बांकुरा ज़िले की बिष्णुपुर सीट से जीतने वाले तन्मय घोष बीते 30 अगस्त को और उत्तर 24 परगना ज़िले के बागदा से भाजपा विधायक बिस्वजीत दास बीते 31 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

सुमन रॉय (बाएं से दूसर). (फोटो: पीटीआई)

इस साल जून में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे मुकुल रॉय वापस टीएमसी में लौट गए थे. इसके अलावा हालिया चुनाव में भाजपा के टिकट पर बांकुरा ज़िले की बिष्णुपुर सीट से जीतने वाले तन्मय घोष बीते 30 अगस्त को और उत्तर 24 परगना ज़िले के बागदा से भाजपा विधायक बिस्वजीत दास बीते 31 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

सुमन रॉय (बाएं से दूसर). (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में भाजपा को एक और झटका देते हुए उत्तरी बंगाल के कालियागंज से पार्टी के विधायक सुमन रॉय शनिवार को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीते तीन दिनों में रॉय भाजपा के तीसरे और इस साल मई में विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार टीएमसी के सत्ता में आने के बाद चौथे भाजपा विधायक हैं, जिन्होंने अपना पाला बदला है.

पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा, ‘रॉय ने हमारी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी से संपर्क किया और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से भी बातचीत की.’

बीते 31 अगस्त को उत्तर 24 परगना जिले के बागदा से भाजपा विधायक बिस्वजीत दास तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. तृणमूल के टिकट पर दो बार विधायक रहे दास 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे. वह 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीते थे.

पार्टी में शामिल होने के बाद कहा उन्होंने कहा था, ‘मुझे भाजपा में कभी भी सुखद अनुभूति नहीं हुई. मैं बहुत पहले ही तृणमूल में लौटना चाहता था. भाजपा ने बंगाल के लिए कुछ नहीं किया. यह बाहरियों का दल है और उसे राज्य के लोगों के नब्ज की समझ नहीं है.’

दास ने कहा था कि उन्होंने गलतफहमी के चलते 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ी थी. उन्होंने कहा, ‘तब पार्टी (तृणमूल) के साथ कुछ गलतफहमी थी. यदि मैं पार्टी नहीं छोड़ता तो बेहतर होता. लेकिन यह मेरे लिए घरवापसी जैसा है.’

बीते 30 अगस्त को एक अन्य भाजपा विधायक तन्मय घोष तृणमूल में लौट गए थे. बिष्णुपुर से नेता घोष विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर भाजपा में चले गए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है.

घोष पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मार्च में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. घोष टीएमसी की युवा इकाई के बांकुड़ा जिले के बिष्णुपुर शहर के अध्यक्ष और स्थानीय नगर निकाय के पार्षद भी थे.

घोष का पार्टी में स्वागत करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने दावा किया था कि त्रिपुरा के भाजपा विधायक भी टीएमसी के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा था, ‘जब ममता बनर्जी त्रिपुरा में कदम रखेंगी, तो सुनामी आएगी. उस राज्य के भाजपा नेता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं.’ बसु ने आरोप लगाया था, ‘भाजपा के नेतृत्व में त्रिपुरा खौफ की घाटी में तब्दील हो गया है.’

इससे पहले जून में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे मुकुल रॉय वापस टीएमसी में लौट गए थे.

टीएमसी सूत्रों ने बताया कि भगवा खेमे के कई नेता तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में हैं और सत्तारूढ़ दल में आने को इच्छुक हैं. टीएमसी में शामिल होने के बाद रॉय और दास दोनों ने संकेत दिया कि निकट भविष्य में कई और भाजपा विधायक सत्ताधारी पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

विधायकों के दल-बदल करने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि जिन्होंने पाला बदला है, वे वाकई कभी उनकी पार्टी की विचारधारा एवं सिद्धांतों को अपना ही नहीं पाए.

उन्होंने कहा था, ‘हमने उन सभी का स्वागत किया जो तृणमूल के खिलाफ लड़ने को इच्छुक थे. चूंकि हम सत्ता में नहीं आए इसलिए शायद उन्होंने महसूस किया कि उन्हें तृणमूल में लौट जाना चाहिए. यह उन्हें तय करना है कि वे किसका हिस्सा रहना चाहते हैं, लेकिन पाला बदलने के बाद भाजपा विधायक के तौर पर इस्तीफा दे देना चाहिए.’

इतना ही नहीं बीते एक सितंबर को भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए अपने दो विधायकों (बिस्वजीत दास और तन्मय घोष) को धमकी दी थी कि यदि उन्होंने सात दिन में विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया कि तो वह उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी.

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा था, ‘हमने दोनों विधायकों को पत्र भेजा है और उनसे अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. अन्यथा, हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे. तृणमूल को हमें पहले के विपक्षी दलों की तरह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. यह भाजपा है और हम उनके सामने नहीं झुकेंगे.’

बता दें कि हालिया विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने 213 सीटों और भाजपा ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, जब दो विधायकों ने अपनी लोकसभा सीट बरकरार रखने के लिए शपथ लिए बिना इस्तीफा दे दिया था, तब भाजपा के कुल 75 विधायक ही रह गए थे.

फिलहाल सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बीते चार सितंबर को निर्वाचन आयोग ने ओडिशा में एक और पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों पर 30 सितंबर को उपचुनाव कराने की घोषणा की. इनमें पश्चिम बंगाल की भवानीपुर सीट भी शामिल है, जहां से मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने की संभावना है.

मतगणना तीन अक्टूबर को होगी. यह सीट तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय के चुनाव बाद इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी.

बनर्जी इस साल की शुरुआत में हुए राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी पारंपरिक भवानीपुर सीट को छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरी थीं, लेकिन टीएमसी से भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी से हार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि उसने पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने का फैसला किया है. वहीं, 30 सितंबर को पश्चिम बंगाल के शमशेरगंज और जंगीपुरा और ओडिशा के पिपली में भी उपचुनाव होंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)