मध्य प्रदेश: बारिश के लिए बच्चियों को निर्वस्त्र घुमाने का मामला, एनसीपीसीआर ने रिपोर्ट मांगी

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बनिया गांव में बीते पांच सितंबर को यह घटना हुई. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मामले में संज्ञान लेते हुए दमोह ज़िला प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट तलब की है.

(प्रतीकात्मक फोटोः नेविल जावेरी/फ्लिकर)

मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बनिया गांव में बीते पांच सितंबर को यह घटना हुई. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मामले में संज्ञान लेते हुए दमोह ज़िला प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट तलब की है.

(प्रतीकात्मक फोटोः नेविल जावेरी/फ्लिकर)

दमोहः मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक गांव में कथित तौर पर इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए और सूखे जैसी स्थिति से राहत पाने के लिए एक कुप्रथा के तहत बच्चियों को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाने का मामला सामने आया है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मामले में संज्ञान लेते हुए दमोह जिला प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट तलब की है.

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यह घटना बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर जबेरा थाना क्षेत्र के बनिया गांव में रविवार (पांच सितंबर) को हुई.

दमोह के जिलाधिकारी एस. कृष्ण चैतन्य ने कहा कि एनसीपीसीआर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) डीआर तेनिवार ने कहा कि पुलिस को सूचना मिली थी कि स्थानीय कुप्रथा के तहत इंद्र देवता को प्रसन्न करने और सामाजिक कुरीतियों से दूर रहने के नाम पर कुछ नाबालिग लड़कियों को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया गया था.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस इस घटना की जांच कर रही है और अगर जांच में यह पाया गया कि लड़कियों को जबरन निर्वस्त्र कर घुमाया गया तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.’

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रथा के परिणामस्वरूप बारिश हो सकती है.

इस कुप्रथा के मुताबिक बच्चियों को निर्वस्त्र घुमाया जाता है और इस दौरान उनके कंधों पर लकड़ी का एक दस्ता होता है, जिस पर मेढ़क बंधा होता है. बच्चियों के पीछे चलने वाली महिलाएं इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए भजन गाती हैं और रास्ते में आने वाले घरों से आटा, दाल और अन्य खाद्य सामग्री इकट्ठा करती हैं.

इस दौरान इकट्ठा हुई खाद्य सामग्री को गांव के मंदिर में भंडारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

दमोह के कलेक्टर एस. कृष्णा चैतन्य ने कहा, ‘स्थानीय प्रशासन इस संबंध में एनसीपीसीआर को रिपोर्ट सौंपेगा.’

अधिकारी ने कहा कि इन लड़कियों के माता-पिता भी इस घटना में शामिल थे.

इस संबंध में किसी भी ग्रामीण ने कोई शिकायत नहीं की है.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह के मामलों में प्रशासन ग्रामीणों को इस प्रकार के अंधविश्वास को लेकर केवल जागरूक कर सकता है और उन्हें समझा सकता है कि इस तरह की प्रथाओं से वांछित परिणाम नहीं मिलते.’

इस बीच इस घटना के दो वीडियो भी सामने आए, जिनमें बच्चियां निर्वस्त्र दिखाई दे रही हैं.

इनमें से एक वीडियो में ये बच्चियां (लगभग पांच साल) निर्वस्त्र दिखाई दे रही हैं. ये एक साथ चल रही हैं और उनके कंधों पर लकड़ी का दस्ता है, जिस पर मेढ़क बंधा हुआ है. बच्चियों के पीछे चल रहीं महिलाएं भजन गा रही हैं.

अन्य वीडियो में कुछ महिलाओं को यह कहते सुना जा सकता है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा क्योंकि बारिश नहीं होने से धान की फसलें सूख रही हैं.

वीडियो में महिलाएं कहती हैं, ‘हमारा मानना है कि इससे बारिश होगी.’

इन महिलाओं का कहना है कि वे इस दौरान ग्रामीणों से अनाज इकट्ठा करेंगी और फिर इस अनाज से स्थानीय मंदिर में होने वाले भंडारे के लिए खाना बनाएंगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)