तमिलनाडु: एक और छात्रा ने ख़ुदकुशी की, चार दिनों में नीट से जुड़ी तीसरी आत्महत्या

तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले की 17 वर्षीय छात्रा ने बुधवार को आत्महत्या कर ली. पुलिस के मुताबिक, छात्रा को डर था कि वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए आयोजित ‘नीट’ परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाएगी. इससे पहले नीट के तनाव से 12 सितंबर को परीक्षा के कुछ घंटे पहले एक छात्र और 13 सितंबर को एक अन्य छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी. नीट लागू होने के बाद से पिछले चार साल में तमिलनाडु में 17 छात्रों ने आत्महत्या की है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले की 17 वर्षीय छात्रा ने बुधवार को आत्महत्या कर ली. पुलिस के मुताबिक, छात्रा को डर था कि वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए आयोजित ‘नीट’ परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाएगी. इससे पहले नीट के तनाव से 12 सितंबर को परीक्षा के कुछ घंटे पहले एक छात्र और 13 सितंबर को एक अन्य छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी. नीट लागू होने के बाद से पिछले चार साल में तमिलनाडु में 17 छात्रों ने आत्महत्या की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में रहने वाली और एमबीबीएस की पढ़ाई करने की इच्छुक 17 वर्षीय छात्रा ने बुधवार को आत्महत्या कर ली. पुलिस के मुताबिक छात्रा को डर था कि वह राष्ट्रीय अर्हता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) उत्तीर्ण नहीं कर पाएगी.

इसके साथ ही राज्य में गत चार दिनों में नीट के तनाव से आत्महत्या करने वाले उम्मीदवारों की संख्या तीन हो गई है.

पुलिस ने बताया कि वेल्लोर जिले के कटापड़ी के नजदीक थलयारामपट्टू गांव की रहने वाली 17 वर्षीय सौंदर्या रविवार (12 सितंबर) को आयोजित नीट में शामिल हुई थीं और उन्हें इस बात का डर साथ कि वह परीक्षा पास नहीं कर पाएंगी.

कटापड़ी के पुलिस अधिकारी ने बताया कि सौंदर्या ने बुधवार सुबह करीब 9:30 बजे कमरे में साड़ी का फंदा बना फांसी लगा ली.

द न्यूज मिनट के मुताबिक, थोट्टापलयम स्कूल की छात्रा सौंदर्या ने कक्षा 12 में कुल 600 में से 510 अंक हासिल किए थे और किंग्स्टन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से नीट की परीक्षा दी थी.

सौंदर्या ने कथित तौर पर परीक्षा के बाद घर लौटने पर अपनी मां से कहा था कि पेपर कठिन था और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं.

15 सितंबर की सुबह उसके माता-पिता हमेशा की तरह काम के लिए चले गए थे. जब उनकी मां वापस आईं, तो उन्होंने सौंदर्या को अपने कमरे में मृत पाया. सौंदर्या के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और वे मुधलियार जाति के हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है.

शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और काटपाडी डीएसपी और राजस्व निरीक्षक द्वारा जांच की जा रही है.

उल्लेखनीय है कि नीट लागू होने के बाद से गत चार साल में सौंदर्या तमिलनाडु में 17वीं चिकित्सा पाठ्यक्रम की उम्मीदवार है, जिसने आत्महत्या की है.

इसके अलावा पिछले कुछ दिनों यह तीसरी आत्महत्या है. इससे पहले 12 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर की यह परीक्षा हुई थी और उसी दिन धनुष नामक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.

धनुष अपने पिछले दो प्रयासों में असफल होने के बाद तीसरी बार नीट की परीक्षा देने वाले थे, लेकिन इसके कुछ घंटे पहले उन्होंने आत्महत्या कर ली. इसके अलावा अरियालुर जिले के सतमपडी गांव की 17 वर्षीय कनिमोझी ने 13 सितंबर की रात आत्महत्या कर ली थी.

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विभिन्न दलों के नेताओं ने मृतक छात्रा के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और विद्यार्थी समुदाय से अपील की है कि वे ऐसे कदम नहीं उठाएं.

इसके साथ ही सरकार ने चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश को इच्छुक और नीट देने वाले विद्यार्थियों को परामर्श देने के लिए समर्पित टोल फ्री नंबर 104 की शुरुआत की है.

स्टालिन ने कहा कि वह आत्महत्या की खबर सुनकर टूट गए हैं और केंद्र सरकार पर ‘पत्थर दिल’ होने का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर तमिलनाडु को नीट के दायरे से बाहर करने को तैयार नहीं है.

बता दें कि तमिलनाडु विधानसभा ने बीते 13 सितंबर को नीट परीक्षा न करवाने के लिए एक विधेयक पारित किया है, जिसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी.

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, भारतीय औषधि और होम्योपैथी में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.

विधेयक में उच्चस्तरीय समिति के सुझावों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार ने स्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट की बाध्यता समाप्त करने का निर्णय लिया है. ऐसे पाठ्यक्रमों में योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.

विधेयक में कहा गया है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले तमिल माध्यम के छात्र, सरकारी स्कूलों के छात्र, जिनके माता-पिता की आय 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है और सामाजिक रूप से निराश और वंचित समूह जैसे सबसे पिछड़ा वर्ग – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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