कैबिनेट ने ‘बैड बैंक’ के लिए 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में क़रीब दो लाख करोड़ रुपये के फंसे क़र्ज़ के समाधान को लेकर ‘बैड बैंक’ के गठन की घोषणा की थी. ऐसा करने पर बैड लोन को बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है और इसी समय बैड बैंक फंसे हुए क़र्ज़ को अपने पास ले लेता है.

//
निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में क़रीब दो लाख करोड़ रुपये के फंसे क़र्ज़ के समाधान को लेकर ‘बैड बैंक’ के गठन की घोषणा की थी. ऐसा करने पर बैड लोन को बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है और इसी समय बैड बैंक फंसे हुए क़र्ज़ को अपने पास ले लेता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते गुरुवार को फंसे कर्ज वाली संपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर राष्ट्रीय संपत्ति पुर्नगठन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) के लिए 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी की घोषणा की. इसके साथ ही ‘बैड बैंक’ के परिचालन में आने का रास्ता साफ हो गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में एनएआरसीएल द्वारा जारी की जाने वाली प्रतिभूति रसीदों के लिए सरकारी गारंटी देने का निर्णय किया गया.

वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में करीब दो लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज के समाधान को लेकर ‘बैड बैंक’ के गठन की घोषणा की थी.

बैड बैंक यानी एनएआरसीएल लिए गए फंसे कर्ज के लिए सहमति वाले मूल्य का 15 प्रतिशत नकद में और बाकी 85 प्रतिशत सरकारी गारंटी वाली प्रतिभूति रसीद के रूप में देगा. यदि तय मूल्य के मुकाबले नुकसान होता है, तो सरकारी गारंटी को भुनाया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘प्रतिभूति रसीद को बनाए रखने और उनका मूल्य बरकरार रखने के लिए सरकार को एक व्यवस्था तय करने की आवश्यकता थी और इसलिए मंत्रिमंडल ने बुधवार को 30,600 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.’

सरकारी गारंटी पांच साल के लिए होगी और एनएआरसीएल को इसके लिए फीस देनी होगी.

वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा ने कहा कि गारंटी के लिए शुल्क 0.25 प्रतिशत होगा. फंसे कर्ज के समाधान में देरी के मामले में इसे आगे बढ़ाकर 0.5 प्रतिशत किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि इससे दबाव वाली संपत्ति का तेजी से निपटान होगा और बैंकों के बही-खाते नए कर्ज देने को लेकर साफ-सुथरे होंगे.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘गारंटी अंकित मूल्य को बरकरार रखने में मदद करती है और पूरे प्रकरण को लेकर भरोसा भी देती है.’

उन्होंने कहा कि संपत्ति के तय मूल्य और बिक्री मूल्य में अंतर संभवत: नहीं होगा और अगर होगा भी तो बहुत कम होगा. यानी गारंटी को हर बार भुनाने की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में सरकार पर तत्काल कोई देनदारी नहीं होगी. यानी कोई रोजकोषीय खर्च फिलहाल नहीं है.

सीतारमण ने कहा कि आईबीसी (दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता) और अन्य कर्ज वसूली प्रक्रिया के साथ भी तालमेल होगा.

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एनएआरसीएल में 51 प्रतिशत और प्रस्तावित कर्ज प्रबंधन कंपनी- भारत ऋण समाधान कंपनी लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि एनएआरसीएल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों और एनबीएफसी सहित कुल 16 शेयरधारक होंगे.

वित्त मंत्री ने कहा कि यह ढांचा ऋण के समेकन में सहायता करेगा जो वर्तमान में विभिन्न कर्जदाताओं में बिखरा हुआ है. इससे निर्णय प्रक्रिया भी आसान होगी.

उन्होंने कहा, ‘यह संरचना फंसे कर्ज की परिसंपत्तियों के समाधान पर त्वरित कार्रवाई को प्रोत्साहित करेगी. इससे बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिलेगी. भारत ऋण समाधान कंपनी बेहतर मूल्य को लेकर बाजार विशेषज्ञों को शामिल करेगी. इससे बैंक कर्मी पर काम का बोझ कम होगा और वे कारोबार तथा कर्ज बढ़ाने पर ध्यान दे सकेंगे.’

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को बैड बैंक गठित करने की जिम्मेदारी दी गयी है. पिछले महीने, आईबीए ने 6,000 करोड़ रुपये के एनएआरसीएल के गठन को लेकर लाइसेंस के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष एक आवेदन दिया था.

लाइसेंस प्राप्त करने की समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि यह स्वीकृत होने की प्रक्रिया में है और जल्द मिलने की उम्मीद है.

पांडा ने कहा कि पहले चरण के तहत लगभग 90,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों को एनएआरसीएल को हस्तांतरित किये जाने की संभावना है, जबकि कम मूल्य वाली शेष परिसंपत्तियों को दूसरे चरण में हस्तांतरित किया जाएगा.

क्या है बैड बैंक

‘बैड बैंक’ का गठन बैंकों के बैड लोन या फंसे हुए कर्ज को अलग करने के लिए किया जा रहा है. ऐसा करने पर बैड लोन को बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है और इसी समय बैड बैंक फंसे हुए कर्ज को अपने पास ले लेता है.

दूसरे शब्दों में कहें, तो बैंक बैंक सस्ते में बैंकों के बैड लोन खरीदेगा और उसे बेहतर मूल्य में बेचेगा. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी बैंक के पास 100 रुपये का बैड लोन पड़ा हुआ है, तो बैड बैंक उसे 70 रुपये में खरीदेगा और इसी चीज को किसी अन्य कंपनी को 75 रुपये में बेच देगा.

पिछले कई सालों से भारत की बैंकिंग व्यवस्था पर बैड लोन का काला बादल मंडरा रहा है, जिसके चलते अर्थव्यवस्था में सुस्ती छायी रहती है. आर्थिक टिप्पणीकार विवेक कौल के अनुसार, अप्रैल 2013 से मार्च 2021 के बीच आठ साल की अवधि में 10.83 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डाला गया है, यानी राइट ऑफ किया गया है.

बैड बैंक की उत्पत्ति 1980 के दशक में हुई थी, जब अमेरिका और स्वीडन ने शुरुआत में इसे अपनाया था. बाद में अन्य देशों की सरकारों ने भी इसे अपने यहां लागू किया, जिसके परिणाम अलग-अलग रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25