असमः शॉर्ट्स पहनकर परीक्षा देने गई छात्रा को रोका, पर्दा लपेटकर बैठने को मजबूर किया गया

घटना तेजपुर के गिरिजानंद चौधरी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज की  है, जहां असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा के लिए पहुंची एक 19 साल की छात्रा को उनके शॉर्ट्स पहनने का हवाला देते हुए सिर्फ फुल पैंट में ही परीक्षा देने की बात कही गई. बाद में संस्थान में लगा एक पर्दा निकालकर छात्रा से उसे पैरों पर लपेटकर परीक्षा देने को कहा गया.

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असम के तेजपुर का गिरिजानंद चौधरी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज (फोटो साभारः फेसबुक)

घटना तेजपुर के गिरिजानंद चौधरी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज की  है, जहां असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा के लिए पहुंची एक 19 साल की छात्रा को उनके शॉर्ट्स पहनने का हवाला देते हुए सिर्फ फुल पैंट में ही परीक्षा देने की बात कही गई. बाद में संस्थान में लगा एक पर्दा निकालकर छात्रा से उसे पैरों पर लपेटकर परीक्षा देने को कहा गया.

असम के तेजपुर का गिरिजानंद चौधरी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज. (फोटो साभारः फेसबुक)

नई दिल्लीः असम के तेजपुर में एक प्रवेश परीक्षा देने के लिए शॉर्ट्स पहनकर पहुंची 19 साल की छात्रा को पैरों को पर्दों से ढककर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना बुधवार को उस समय हुई, जब 19 साल की जुबली तमुली जोरहाट के असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (एएयू) की प्रवेश परीक्षा देने गई थी.

वह परीक्षा देने के लिए अपने पिता के साथ अपने गृहनगर बिश्वनाथ चरियाली से 70 किलोमीटर दूर तेजपुर गई थी.

जुबली का कहना है कि वह अपने परीक्षा केंद्र गिरिजानंद चौधरी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स साइंसेज (जीआईपीएस) के अंदर बिना रुकावट पहुंच गई लेकिन परीक्षा हॉल पहुंचने पर उसे खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

जुबली ने बताया, ‘सुरक्षाकर्मियों ने मुझे परीक्षा केंद्र के भीतर जाने दिया लेकिन परीक्षा हॉल में निरीक्षक ने मुझे रोक लिया. उन्होंने कहा कि मैं शॉर्ट्स पहनकर अंदर नहीं जा सकती.’

जुबली के मुताबिक, ‘परीक्षा के एडमिट कार्ड में ड्रेस कोड का कोई जिक्र नहीं था. कुछ दिन पहले मैंने तेजपुर में ही नीट की परीक्षा भी शॉर्ट्स पहनकर ही दी थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था. न ही एएयू में शॉर्ट्स पहनने को लेकर कोई नियम है और न ही इस संबंध में एडमिट कार्ड में कुछ लिखा गया है तो मुझे कैसे पता चलता?’

जुबली कहती है कि मुझसे शुरुआत में कहा गया कि मैं परीक्षा नहीं दे सकती. उन्होंने बताया, ‘मैं रोते हुए बाहर अपने पिता के पास गई. आखिरकर कंट्रोलर ऑफ एग्जाम्स ने कहा कि अगर एक जोड़ी पैंट का इंतजाम कर लिया जाए तो मैं परीक्षा दे सकती हूं. इस पर मेरे पिता पैंट खरीदने के लिए बाजार गए.’

जुबली का कहना है कि इस दौरान बहुत समय खराब हो गया और मैं बहुत ही अपमानित और उत्पीड़ित महसूस कर रही थी.

जुबली के पिता परीक्षा केंद्र से लगभग आठ किलोमीटर दूर स्थित बाजार से पैंट लेने गए थे. इस बीच जुबली को उनके पैर ढकने के लिए पर्दे दिए गए.

जुबली ने कहा, ‘उन्होंने (परीक्षा निरीक्षकों) ने मुझसे कहा कि अगर मुझमें सामान्य ज्ञान की कमी है तो मैं जिंदगी में कैसे सफल होऊंगी. यह बिल्कुल गलत था. उन्होंने कोविड-19 प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया. उन्होंने न ही मास्क और न ही तापमान जांचा लेकिन मेरे शॉर्ट्स को लेकर वे खासा परेशान रहे.’

जुबली ने इसे अपनी जिंदगी का सबसे अपमानजक अनुभव बताते हुए कहा कि वह इस घटना के बारे में असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू को पत्र लिखने की सोच रही है.

उनका कहना है, ‘हर किसी का अपना कंफर्ट जोन है. अगर एक लड़का बनियान पहनता है तो कोई कुछ नहीं कहता. कुछ लोग सार्वजनिक स्थानों पर बिना बनियान के भी घूमते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं कहता लेकिन अगर एक लड़की शॉर्ट्स पहन ले, तो लोग उंगली उठाने लग जाते हैं.’

हालांकि, जुबली अपनी परीक्षा पूरी देने में सफल रही लेकिन उसका कहना है कि यह पूरी घटना बहुत तनावपूर्ण थी क्योंकि जब वह परीक्षा दे रही थी तो उसके पैर पर ढका पर्दा बार-बार फिसल रहा था.

उन्होंने कहा, ‘हमारा परीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. हमारे कॉलेज को सिर्फ परीक्षा स्थल के रूप में चुना गया था. यहां तक कि जिस परीक्षा निरीक्षक निरीक्षक ने छात्रा को रोका था वह भी बाहरी था. परीक्षा में शॉर्ट्स पहनने को लेकर कोई नियम नहीं है लेकिन परीक्षा के दौरान यह जरूरी है कि शिष्टाचार बना रहे. परिजनों को भी इसे बेहतर तरह से समझना चाहिए.’