पंजाब के मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह ने इस्तीफ़ा दिया, कहा- अपमानित महसूस कर रहा हूं

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पिछले कई महीनों से चल रही तनातनी की पृष्ठभूमि में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपना इस्तीफ़ा सौंपा है. इस्तीफ़ा देते वक्त अमरिंदर सिंह ने कहा कि ये राजनीति होती है. ये फैसला जिस भी वजह से लिया गया, जितना फैसला था सब कांग्रेस अध्यक्ष ने लिया.

इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह. (फोटो साभार: ट्विटर/@RT_MediaAdvPBCM)

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पिछले कई महीनों से चल रही तनातनी की पृष्ठभूमि में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपना इस्तीफ़ा सौंपा है. इस्तीफ़ा देते वक्त अमरिंदर सिंह ने कहा कि ये राजनीति होती है. ये फैसला जिस भी वजह से लिया गया, जितना फैसला था सब कांग्रेस अध्यक्ष ने लिया.

इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह. (फोटो साभार: ट्विटर/@RT_MediaAdvPBCM)

चंडीगढ़: कांग्रेस की पंजाब इकाई में लगातार जारी तनातनी के बीच पार्टी आलाकमान के निर्देश पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को विधायक दल की बैठक से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

विधायक दल की यह बैठक मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पिछले कई महीनों से चल रही तनातनी की पृष्ठभूमि में हो रही थी.

सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात कर अपना और अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंपा.

इससे पहले अमरिंदर ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक में इस्तीफा देने का फैसला किया था.

इस्तीफा देते वक्त अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘मेरा फैसला सुबह हो गया था. सुबह मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से बात की थी और मैंने उनको कह दिया था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं आज. बात ये है कि पिछले दो महीनों में ये तीसरी बार हो रहा है, पहले तो एमएलए को दिल्ली बुलाया, दूसरी बार बुलाया, अब तीसरी बार मीटिंग कर रहे हो. मेरे ऊपर कोई शक है कि मैं चला नहीं सका या कोई बात हुई है, पर जिस तरीके से ये बात हुई है मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं समझता हूं कि अगर ये महसूस किया जा रहा है… दो महीने में आपने तीन बार विधानसभा के सदस्य को बुलाया, उसका फैसला मैंने किया कि मुख्यमंत्री पद छोड़ दूंगा. जिन पर उनको (पार्टी हाईकमान) भरोसा होगा, वो उसे (पंजाब का मुख्यमंत्री) बना दें.’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा. ये राजनीति होती है. ये फैसला जिस भी वजह से लिया गया, जितना फैसला था कांग्रेस अध्यक्ष ने लिया.’

जानकारी के मुताबिक, इससे पहले शनिवार दिन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अमरिंदर को एक नए नेता के चुनाव की सुविधा के लिए पद छोड़ने के लिए कहा था. सूत्रों ने कहा कि अमरिंदर ने सोनिया गांधी से बात की और उनसे कहा कि वह इस तरह के अपमान का सामना करने के बजाय पार्टी से इस्तीफा देना पसंद करेंगे.

राज्य में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं.

किसान आंदोलन से जुड़े एक सवाल के जवाब में अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘इस पर मैं टिप्पणी नहीं कर सकता.’

भविष्य की राजनीति पर उन्होंने कहा, ‘भविष्य की राजनीति हमेशा होती है और जब समय आएगा मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा.’

पंजाब के अगले मुख्यमंत्री को स्वीकार करने के सवाल पर अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘मैं अभी नहीं करूंगा. 52 साल मुझे राजनीति में हो गए हैं और साढे़ नौ साल मैं मुख्यमंत्री रहा हूं. मैं अपने साथियों, समर्थकों, जो मेरे साथ इतने सालों से चले आए हैं, मैं उनसे बात करूंगा और फिर (इस मुद्दे पर) फैसला करूंगा.’

इस बीच विधायक दल की बैठक के लिए कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन एवं हरीश चौधरी तथा पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत चंडीगढ़ पहुंच गए हैं. चंडीगढ़ पहुंचने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने उनका स्वागत किया.

इससे पहले, कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग करते हुए सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा था.

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 50 से अधिक विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए.

विधायकों ने अपने पत्र में सोनिया गांधी ने विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की थी. पार्टी आलाकमान ने शनिवार शाम बैठक बुलाने का निर्देश दिया और वरिष्ठ नेताओं- अजय माकन और हरीश चौधरी को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था.

मालूम हो कि बीते जुलाई महीने में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की पंजाब इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था. गांधी ने अमरिंदर सिंह की कड़ी आपत्ति के बावजूद यह फैसला लिया था.

अमरिंदर और सिद्धू के बीच कलह के बीज 2017 में उपज गए थे, जब सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए और मुख्यमंत्री ने उन्हें दिल्ली आलाकमान द्वारा राज्य इकाई में लाए गए एक नए नवाब के रूप में देखा.

दोनों के बीच तनाव बढ़ने के साथ मुख्यमंत्री ने जून 2019 में सिद्धू से उनका पोर्टफोलियो छीन लिया, जिसमें एक कथित घोटाले को लेकर बाद में एक साथी मंत्री पर खुलेआम हमला किया गया था.

सिद्धू ने इस साल 13 अप्रैल को कैप्टन अमरिंदर सिंह पर एक नया हमला किया, जब उन्होंने कहा था कि अकालियों के तहत 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से संबंधित मामलों में सरकार ने बादल (परिवार) के प्रति नरमी दिखाई थी.

इस बयान ने दोनों नेताओं के बीच नए सिरे से संघर्ष की शुरुआत को जन्म दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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