बेल्जियम के पत्रकार और उनकी पत्नी को पेगासस स्पायवेयर से निशाना बनाया गया

बेल्जियम की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी का मानना है कि रवांडा सरकार द्वारा ऐसा किए जाने की संभावना है. पत्रकार पीटर वरलिंडेन ने काफी लंबे समय तक मध्य अफ्रीका में रिपोर्टिंग की है. पत्रकार ने कहा कि पेगासस क्या कर सकता है, यह बहुत निराशाजनक है. जो कोई भी आपके फोन में पेगासस भेजता है, वह आपके फोन पर पूरा क़ब्ज़ा कर लेता है. वे अच्छी तरह जानते हैं कि आप कहां हैं.

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बेल्जियम की सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी का मानना है कि रवांडा सरकार द्वारा ऐसा किए जाने की संभावना है. पत्रकार पीटर वरलिंडेन ने काफी लंबे समय तक मध्य अफ्रीका में रिपोर्टिंग की है. पत्रकार ने कहा कि पेगासस क्या कर सकता है, यह बहुत निराशाजनक है. जो कोई भी आपके फोन में पेगासस भेजता है, वह आपके फोन पर पूरा क़ब्ज़ा कर लेता है. वे अच्छी तरह जानते हैं कि आप कहां हैं.

पीटर वरलिंडेन. (फोटो साभार: ट्विटर/Peter Verlinden)

नई दिल्ली: पेगासस प्रोजेक्ट खुलासे के बाद बेल्जियम की मिलिट्री इंटेलिजेंस (सैन्य खुफिया एजेंसी) ने संभावित पीड़ितों की सूची तैयार की और उनके फोन की जांच की, जिसके बाद ये पाया गया है कि इस देश के एक पत्रकार और उनकी पत्नी के फोन में पेगासस स्पायवेयर के निशान हैं.

प्रोजेक्ट के तहत बेल्जियम के मीडिया पार्टनर नैक (Knack) और ले सॉयर (Le Soir) ने रिपोर्ट कर बताया है कि बेल्जियम की सैन्य खुफिया सेवा, जनरल इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सर्विस (जिसे इसके डच और फ्रेंच भाषा में ADVID-SGRS के नाम से जाना जाता है) ने बेल्जियम के ऐसे कई नागरिकों की सूची तैयार करके जांच शुरू की थी, जो पेगासस के संभावित लक्ष्य हो सकते हैं.

जांच में पता चला है कि पत्रकार पीटर वरलिंडेन और उनकी पत्नी मैरी बामुटीस के फोन को पेगासस के जरिये हैक करने की कोशिश की गई थी.

नैक और ले सॉयर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों में लिखा है, ‘चूंकि जांच अभी भी चल रही है, हमने ये आकलन किया है कि पीटर वरलिंडेन और मैरी बामुटीस दोनों के डिवाइस को पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा टारगेट किया गया है. इसमें यह भी पता चला है कि इस तरह की घुसपैठ रवांडा द्वारा शुरू की गई थी.’

एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब ने भी फोरेंसिक जांच के बाद उनके फोन में छेड़छाड़ की पुष्टि की है.

बेल्जियम की सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पायवेयर की जटिलता के कारण हमारे पहले आकलन की पुष्टि करने और इसका पूरा स्तर जानने के लिए जांच चल रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बेल्जियम की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अन्य फोन की जांच चल रही है.

वरलिंडेन के फोन को रवांडा द्वारा निशाना बनाए जाने की संभावना इस आधार पर जताई जा रही है कि उन्होंने काफी लंबे समय तक मध्य अफ्रीका में रिपोर्टिंग की है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे प्रति रवांडा सरकार के रवैये को देखते हुए हमें वास्तव में आश्चर्य नहीं हुआ कि रवांडा यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि मैं और मेरी पत्नी क्या करते हैं. हम सोशल मीडिया पर इंटरनेट ट्रोल्स के निशाने पर आ गए हैं. साल 2018 में हमने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी. दूसरे शब्दों में कहें तो हम रवांडा शासन के अभ्यस्त हैं.’

64 वर्षीय पत्रकार ने 32 वर्षों तक बेल्जियम के सार्वजनिक प्रसारक वीआरटी के लिए काम किया है. वह वर्तमान में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो नैक सहित कई प्रकाशनों के लिए लिखते हैं. रवांडा शरणार्थी रहीं उनकी पत्नी इस समय बेल्जियम की नागरिक हैं.

उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सुरक्षा एजेंसी ने अगस्त में उनसे संपर्क कर उनके फोन की जांच करने की गुजारिश की थी.

पत्रकार ने कहा, ‘अगस्त के आखिर में उन्होंने फोन की एक कॉपी बनाई और पांच दिन तक उसका विश्लेषण किया. इसके बाद 16 सितंबर को पता चला किया दोनों फोन को पेगासस के जरिये हैक किए जाने की संभावना है.’

खुफिया एजेंसी ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में पेगासस को ‘एक निजी कंपनी द्वारा बनाया गया संभवत: सबसे शक्तिशाली स्पायवेयर बताया है.’ यदि एक बार इसे फोन में डाल दिया गया तो यह उसकी लगभग पूरी जानकारी हैक कर सकता है, यहां तक कि यह फोन के माइक्रोफोन और कैमरा तक को चालू कर सकता है.

वरलिंडेन ने कहा कि पेगासस के स्वभाव को पढ़कर निराशा हुई.

उन्होंने कहा, ‘पेगासस क्या कर सकता है, यह बहुत निराशाजनक है. जो कोई भी आपके फोन में पेगासस भेजता है, वह आपके फोन पर पूरा कब्जा कर लेता है, यहां तक कि जीपीएस ट्रैकर से भी. वे अच्छी तरह जानते हैं कि आप कहां हैं. सिग्नल भी सुरक्षित नहीं है.’

वे आगे कहते हैं, ‘आपको ऐसा लगता है कि हर कोई देख सकता है कि आप क्या करते हैं. यह बहुत गंदा एहसास देता है. असुरक्षा की भावना देता है. हमने पहले ही उसके साथ रहने की कोशिश की है, लेकिन इन सबसे ऊपर एक गंभीर झटका है.’

फॉरेंसिक विश्लेषण के अनुसार, सैन्य खुफिया एजेंसी ने बताया कि पेगासस संभवत: 22 और 29 सितंबर, 2020 के बीच वरलिंडेन के फोन में डाला गया था. उनका फोन 20 अक्टूबर और 2 नवंबर, 2020 के बीच किसी समय संक्रमित हुआ था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकार के फोन की हैकिंग करने की टाइमिंग काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दौरान रवांडा के नेता पॉल रुसेसाबगीना के अपहरण को लेकर पश्चिमी मीडिया रवांडा सरकार पर हमलावर थी.

रुसेसाबगीना को हॉलीवुड फिल्म ‘होटल रवांडा’ में एक हीरो के रूप में दर्शाया गया है, जिन्होंने साल 1994 के नरसंहार के दौरान हजारों लोगों को छिपाकर उनकी जान बचाई थी. इसके बाद से ही पॉल रुसेसाबगीना काफी चर्चित हो गए थे. इस नरसंहार के समय वे एक होटल के मैनेजर थे.

पेगासस प्रोजेक्ट ने इस बात का भी खुलासा किया था कि रुसेसाबगीना की बेटी कैराइन कानिम्बा, जो कि अमेरिका-बेल्जियम दोनों की नागरिक हैं, के फोन पर भी पेगासस स्पायवेयर का हमला किया गया था. वह अपने पिता को रवांडा से मुक्त कराने के लिए एक कैंपेन चला रही थीं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के फॉरेंसिक विश्लेषण में ये पाया गया था कि कानिम्बा के फोन को इस साल कम से कम जनवरी से कई बार हैक करने की कोशिश की गई थी.

इस मामले को लेकर रवांडा सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

बता दें कि बीते जुलाई में द वायर  सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर  सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.

एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.

जहां रक्षा और आईटी मंत्रालय ने पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल से इनकार कर दिया है, तो वहीं मोदी सरकार ने इस निगरानी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल और उसे खरीदने पर चुप्पी साध रखी है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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