आईएएस अधिकारी की धर्मगुरुओं के साथ बैठक के पांच साल पुराने वीडियो पर यूपी पुलिस ने जांच बिठाई

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ़्तिख़ारुद्दीन द्वारा कथित रूप से अपने सरकारी आवास में धार्मिक सभा आयोजित कर इस्लाम के मूल्यों पर चर्चा किए जाने का एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है. इसकी जांच के लिए प्रशासन ने एक एसआईटी गठित की है.

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उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ़्तिख़ारुद्दीन द्वारा कथित रूप से अपने सरकारी आवास में धार्मिक सभा आयोजित कर इस्लाम के मूल्यों पर चर्चा किए जाने का एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है. इसकी जांच के लिए प्रशासन ने एक एसआईटी गठित की है.

वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट. (फोटो: ट्विटर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के अध्यक्ष तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन द्वारा कथित रूप से अपने सरकारी आवास में धार्मिक सभा आयोजित कर इस्लाम के मूल्यों पर चर्चा किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.

योगी सरकार ने पांच साल पुराने इस वीडियो की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया है.

एक वीडियो में मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन कुछ मौलवी के साथ बैठे दिखाई दे रहे हैं. उन्हें सूराह अराफा की आयत 158 का हवाला देते हुए सुना जा सकता है, जिसमें कहा गया है कि सब कुछ ईश्वर की निज़ामत है और अंतिम नबी के बाद यह व्यक्तियों का कर्तव्य है कि वे पूरी मानवता के लिए ‘दीन’ लाएं.

इसी से जुड़े एक अन्य वीडियो में एक व्यक्ति इस बारे में बात कर रहा है कि कैसे पंजाब में कोई उनके पास आया और कहा कि वह अपनी बहन को उसकी मृत्यु के बाद चिता में जलते देखकर इस्लाम में परिवर्तित होना चाहते हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल ये वीडियो कथित तौर पर उस वक्त के हैं जब इफ्तिखारुद्दीन साल 2014 से 2017 के बीच कानपुर के मंडलायुक्त थे. हालांकि इस वीडियो की तारीख के बारे में जानकारी नहीं हो सकी है.

चूंकि किसी धर्म का प्रचार करना या उसके गुण की प्रशंसा करना कोई अपराध नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि एसआईटी किस अपराध की जांच करना चाहती है. एक धार्मिक उपदेशक को आधिकारिक तौर पर आवंटित आवास में आमंत्रित करना भी कोई अपराध नहीं है.

हालांकि यूपी के कानून और न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जिस जगह पर आईएएस अधिकारी बैठे हैं और उपदेश दे रहे हैं, वह सरकारी संपत्ति है, जो कानूनी या संवैधानिक रूप से बिल्कुल भी उचित नहीं है.

पाठक ने कहा कि विशेष रूप से धर्म परिवर्तन के मामले में राज्य सरकार सख्त है. उन्होंने कहा, ‘हमने इसे लेकर सख्त कानून भी बनाया है. हम ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे जो बल या किसी भी तरह के लालच का उपयोग करके लोगों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश करता है.’

हालांकि वीडियो में बल प्रयोग या धमकी या किसी भी प्रकार के प्रलोभन का कोई संकेत नहीं है. इस वीडियो को यूपी के नए धर्मांतरण विरोधी कानून से पांच साल पहले बनाया गया था.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, कई अन्य लोगों के अलावा अजमेर नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन के वेरिफाइड ट्विटर अकाउंट द्वारा भी वीडियो को साझा किया गया था. उनके ट्विटर प्रोफाइल में लिखा है कि वे भाजपा की युवा शाखा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और आरएसएस कार्यकर्ता रहे हैं.

वीडियो में आईएएस अधिकारी कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ बैठे नजर आ रहे हैं और कथित रूप से इस्लाम की नीतियों का प्रचार करन की बात कर रहे हैं.

इस बीच, सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित किया है. गृह विभाग ने एक ट्वीट में बताया कि कानपुर के आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के मामले में शासन द्वारा एसआईटी से जांच के आदेश दिए गए हैं.

एसआईटी के अध्यक्ष सीबीसीआईडी के महानिदेशक जीएल मीणा हैं, जबकि कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर इसके सदस्य हैं. एसआईटी सात दिनों के अंदर शासन को अपनी रिपोर्ट देगी.

इसके अलावा कानपुर के पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया कि अपर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) सोमेंद्र मीना को आईएएस अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन के उन कथित वीडियो की जांच सौंपी गई है.

उन्होंने बताया कि इस बात की जांच की जा रही है कि वे वीडियो वाकई वास्तविक हैं और क्या उनमें दिखाई जा रही सामग्री में कोई अपराध होना पाया जाता है या नहीं.

‘मठ मंदिर समन्वय समिति’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेश अवस्थी नामक व्यक्ति ने इस मामले में आईएएस अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ राज्य सरकार से लिखित शिकायत की थी और उसने वे वीडियो भी उपलब्ध कराए थे.

उधर, बिठूर से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने कहा कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का ऐसे मामले में शामिल होना गंभीर चिंता का विषय है.

उन्होंने आईएएस अफसर मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन को ‘पढ़ा-लिखा औरंगजेब’ करार दिया और कहा कि वह कानपुर के मौजूदा मंडलायुक्त राजशेखर से कहेंगे कि वह बिठूर से गंगाजल लाकर मंडलायुक्त कार्यालय का शुद्धिकरण कराएं.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीते सोमवार को उन्नाव में संवाददाताओं से बातचीत में इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि मामले की जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)