नॉर्थ ईस्ट डायरी: मणिपुर के आदिवासी नेता की हत्या मामले की एनआईए जांच के आदेश

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, मेघालय, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

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स्थानीय परिषद जेलियांग्रोंग बाउडी के पूर्व अध्यक्ष अथुआन अबोनमाई (फोटो साभारः फेसबुक)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, मेघालय, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

स्थानीय परिषद जेलियांग्रोंग बाउडी के पूर्व अध्यक्ष अथुआन अबोनमाई (फोटो साभारः फेसबुक)

इम्फाल/गुवाहाटी/आइजॉल/अगरतला/शिलॉन्गः मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में आदिवासी आधारित स्थानीय परिषद जेलियांग्रोंग बाउडी के पूर्व अध्यक्ष अथुआन अबोनमाई को अगवा कर उनकी हत्या मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को जांच के आदेश दिए हैं. 

इससे पहले मामले की जांच पुलिस अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय समिति कर रही थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी क्षितिज कुमार द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया, ‘केंद्र सरकार की राय है कि एनआईए अधिनियम 2008 के तहत हुए अपराध की गंभीरता को देखते हुए और आरोपियों द्वारा रची गई साजिश का पता लगाने के लिए एनआईए द्वारा जांच किए जाने की जरूरत है.’

अथुआन अबोनमाई आदिवासी आधारित स्थानीय परिषद जेलियांग्रोंग बाउडी के पूर्व अध्यक्ष थे. उन्हें 22 सितंबर को तामेंगलोंग जिला मुख्यालय के पोलो ग्राउंड के पास से संदिग्ध आतंकियों ने अगवा कर लिया था और कुछ घंटों बाद किसी दूरवर्ती इलाके में उनका शव पाया गया था.

राज्य के गृह विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 26 सिंतबर को पत्र लिखकर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एनआईए जांच की मांग करते हुए बताया था कि एनएससीएन-आईएम के संदिग्ध कैडरों की मामले में संलिप्तता की वजह से इसके अंतरराज्यीय प्रभाव हो सकते हैं.

बता दें कि अथुआन अबोनमाई 22 सितंबर को एक सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी मौजदू थे. तामेंगलोंग में अज्ञात बदमाशों द्वारा उनके अपहरण की खबरों के बाद उनका शव पालोंग गांव के पास बरामद हुआ था.

मुख्यमंत्री के दौरे के मद्देनजर भारी सुरक्षा इंतजामों के बावजूद यह घटना होने पर व्यापक आलोचना हुई थी, जिसे लेकर मुख्यमंत्री सिंह ने पुलिस की लापरवाही को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी थी.

इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए प्रभारी अधिकारी सहित 16 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था और जिले के पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त दोनों का ट्रांसफर कर दिया गया था. इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

अतिक्रमण हटाने के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन हुआ: असम मानवाधिकार आयोग

असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) का कहना है कि दरांग जिले के गोरुखुटी में हाल में अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन हुआ.

एएचआरसी ने जांच के लिए मामले पर संज्ञान लेने से पहले राज्य के गृह विभाग से यह बताने के लिए कहा है कि क्या घटनाओं की जांच के लिए कोई जांच आयोग गठित किया गया है.

विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया की शिकायत पर गौर करते हुए आयोग ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा, ‘उपरोक्त पत्र को पढ़ने के बाद जांच के लिए मामले पर संज्ञान लेने के लिए प्रथम दृष्टया मानवाधिकार उल्लंघन होने का मामला दिखायी देता है.’

इसमें कहा गया, ‘संज्ञान लेने से पहले गृह विभाग से यह पूछना उचित होगा कि क्या दरांग जिले में धोलपुर के गोरुखुटी में हाल में हुई घटना की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत कोई आयोग गठित किया गया है.’

एएचआरसी ने गृह विभाग से 21 दिनों के भीतर उसे उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा है. इसके साथ ही उसने कहा कि इस जवाब के आधार पर ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा.

सैकिया ने 24 सितंबर को शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि 21 और 23 सितंबर को अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन हुआ. इस अभियान के दौरान पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी जिसमें 12 साल का लड़का भी शामिल है.

बता दें कि दरांग जिला प्रशासन ने सोमवार से लेकर अब तक 600 हेक्टेयर से अधिक जमीन खाली करा दी है और 800 परिवारों को यहां से बेदखल कर दिया है. इसके साथ ही सिपाझार में चार अवैध रूप से निर्मित धार्मिक इमारतों को भी नष्ट कर दिया है.

मालूम हो कि बीते 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत जमीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी.

इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई है जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए.

इस घटना में मृतकों में से एक 12 साल के शाख फरीद भी है. फरीद घटना के दिन स्थानीय पोस्ट ऑफिस से अपना आधार कार्ड लेकर घर लौट रहे थे कि तभी स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों के बीच यह झड़प हुई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में एक और शख्स को गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

दरांग के एसपी सुशांत बिस्वा शर्मा ने पुष्टि करते हुए कहा है कि मामले में एक और शख्स को गिरफ्तार किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘धोलपुर 1 गांव के 40 वर्षीय सरिफुद्दीन को गिरफ्तार किया गया है. पहली दो गिरफ्तारियों की तरह यह भी प्रदर्शनकारियों को उकसाते पाया गया.’

शर्मा ने कहा कि उनकी जांच में गिरफ्तार तीनों लोगो का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से किसी तरह का संबंध होने का खुलासा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘हम अभी भी छानबीन कर रहे हैं.’

बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पहले संकेत दिए थे कि मामले में पीएफआई की भूमिका हो सकती है.

पुलिस ने 23 सितंबर को राज्य के दरांग जिले के सिपाझार में बेदखली अभियान के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए दोनों लोगों की पहचान असमत अली अहमद (37 वर्ष) और चांद मामूद (47 वर्ष) हैं, जो किरकारा और धौलपुर-3 गांवों से हैं. तीनों आरोपियों को फिलहाल मंगलदाई जेल में रखा गया है.

मुख्यमंत्री के आरोपों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने कहा- उन्हें जांच करानी चाहिए

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के इस बयान पर कि ‘अवैध अतिक्रमणकारियों ने 2050 तक राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार किया’ था, पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने कहा कि उन्हें (हिमंता) इसकी जांच के आदेश देने चाहिए और इसकी जांच करानी चाहिए.

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएफआई के महासचिव मोहम्मद इलियास ने कहा कि हम जांच के लिए तैयार हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि दरांग जिले के गोरुखुटी में कथित अतिक्रमणकारी इस योजना का हिस्सा थे.

शर्मा ने हालांकि मुसलमान के तौर पर उनकी पहचान से इनकार करते हुए कहा था कि इस तरह की गतिविधियां सिर्फ एक वर्ग द्वारा की जा रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमें इस्लामिक शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि असम के मुस्लिम उनसे जुड़े हुए नहीं हैं. यह एक वर्ग की मानसिकता है.’

उन्होंने कहा कि गोरुखुटी से बेदखल किए गए 10,000 लोगों में से लगभग 6,000 के नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे में नहीं है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इलियास ने मुख्यमंत्री के बयान को पूरी तरह से निराधार बताया.

उन्होंने कहा कि आरएसएस डरी हुई है और न्याय के लिए लड़ रहे लोगों की आवाज को चुप कराना चाहती है. इलियास ने कहा, ‘आरएसएस और भाजपा के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं है. जब भी हम लोगों के लिए आवाज उठाते हैं तो वे इस तरह के प्रोपगेंडा का इस्तेमाल करते हैं.’

बता दें कि उनका यह बयान असम पुलिस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस ने दरांग जिले में हुई हिंसा की जांच के लिए दो एफआईआर दर्ज हैं और इस एफआईआर में पीएफआई और सीएफआई आरोपित हैं.

असम कांग्रेस ने सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए विधायक को नोटिस जारी किया

कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद. (फोटो साभार: एएनआई)

कांग्रेस की असम इकाई ने शुक्रवार को अपने विधायक शर्मन अली अहमद को राज्य में उपचुनावों से पहले हाल में गोरुखुटी बेदखली अभियान के संदर्भ में पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने के इरादे से सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयान देने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

कांग्रेस ने यह भी कहा कि आरोप लगे हैं कि अहमद भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं और मुख्यमंत्री से उनकी निकटता के कारण इस तरह की टिप्पणी करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि कांग्रेस को खासकर चुनाव के दौरान नुकसान हो सके.

कांग्रेस की असम इकाई की महासचिव बबीता शर्मा ने बाघबोर के विधायक को नोटिस जारी कर जानबूझकर अपने बयानों के जरिये कांग्रेस की साख घटाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

विधायक की टिप्पणियों ने राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है. कई संगठनों ने राज्य भर के कई थानों में शिकायत दर्ज कराई है.

अहमद ने कथित तौर पर यह टिप्पणी भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ नेताओं के इस दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए की थी कि दरांग जिले के सिपाझार इलाके में कथित अतिक्रमणकारियों ने छह साल के असम आंदोलन के दौरान 1983 में आठ लोगों की हत्या की थी.

अहमद ने दावा किया था कि 1983 के आंदोलन के दौरान मारे गए आठ लोग शहीद नहीं बल्कि हत्यारे थे, क्योंकि वे सिपाझार क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य लोगों को मारने में शामिल थे, जहां गोरुखुटी स्थित है.

हत्याओं को सही ठहराते हुए अहमद ने कथित तौर पर कहा कि आठ लोगों पर हमला उस क्षेत्र की मुस्लिम आबादी द्वारा आत्मरक्षा में उठाया गया कदम था.

पिछले महीने दरांग में बेदखली का अभियान पहले दिन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन दूसरे दिन स्थानीय लोगों ने कड़ा प्रतिरोध किया. पुलिस की गोलीबारी में 12 वर्षीय लड़के सहित दो लोगों की मौत हो गई. झड़प में पुलिसकर्मियों सहित 20 से अधिक लोग घायल हो गए.

सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल असम गण परिषद ने डिब्रूगढ़, बारपेटा, मंगलदोई, धेमाजी, तेजपुर, विश्वनाथ, नलबाड़ी, बोगाईगांव, माजुली अब्द मोरीगांव सहित विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और विधायक के पुतले जलाए.

मेघालय: मवेशी चोरी के शक़ में असम के व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या

दक्षिण गारो हिल्स जिले के एक सुदूर गांव में मवेशी चोरी करने के संदेह में असम निवासी 49 वर्षीय एक व्यक्ति की शुक्रवार को पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना बेतासिंग थाना क्षेत्र के अडुग्रे गांव में हुई.

दक्षिण गारो हिल्स जिले के एसपी सिद्धार्थ आंबेडकर ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि बेतासिंग थाने क्षेत्र के तहत अडुग्रे गांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार तड़के एक मवेशी चोर को पकड़ लिया.

उन्होंने बताया, ‘पुलिस की एक टीम को तुरंत गांव भेजा गया. हालांकि, वहां पहुंचने पर पता चला कि गंभीर रूप से घायल एक शख्स जमीन पर पड़ा है. उस शख्स को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया.’

मृतक की पहचान असम के दक्षिण सलमारा जिले के मनकाचर के स्थानीय निवासी माणिक लाल के तौर पर हुई है.

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और मामले की जांच जारी है.’

पुलिस की शुरुआती जांच से पता चला है कि लाल ने रोंगसांग अजिरीग्री गांव से कथित तौर पर तीन गोवंश पशुओं को चुरा लिया था लेकिन बाद में ग्रामीणों ने उसे पकड़कर उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी थी.

मिजोरम: देश में सबसे ज़्यादा कोरोना पॉजिटिविटी दर, केंद्र सरकार भेजेगी विशेषज्ञों की टीम

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मिजोरम में कोरोना के मामले बढ़ने के बीच केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम वहां भेजने के अलावा वित्तीय मदद और दवाइयां मुहैया कराएगी.

न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मिजोरम में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और वहां पर पॉजिटिविटी दर अब 18.44 फीसदी तक पहुंच गई है, जो देश में सबसे अधिक है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार को देश की साप्ताहिक संक्रमण दर 1.74 फीसदी रहा, जो पिछले 97 दिनों के लिए 3 फीसदी से कम है जबकि दैनिक संक्रमण दर 1.56 फीसदी है, जो पिछले 31 दिन में 3 फीसदी से कम है.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को नई दिल्ली में मिजोरम सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए कहा था कि विशेषज्ञों की एक टीम जल्द से जल्द मिजोरम भेजी जाएगी.

आइजॉल में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव भूषण ने मिजोरम प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया कि केंद्र मिजोरम के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (मैक) की आपूर्ति की व्यवस्था कर सकता है, जो एक महंगी लेकिन अत्यधिक प्रभावी कोविड दवा है, जिसकी कीमत 1,20,000 रुपये प्रति सेट है. अगर राज्य सरकार आग्रह करेगी तो इसे राज्य को निशुल्क मुहैया कराया जाएगा.

राज्य को वित्तीय मदद के लिए मिजोरम प्रतिनिधिमंडल की मांग का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए केंद्र की ओर से आपातकालीन कोविड पैकेज के तहत कुल 14,744.99 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिसमें से मिजोरम के लिए 44.38 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं.

शीर्ष अधिकारी ने बताया कि 19.94 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है. पहली किस्त के खर्चे की जानकारी मिलते ही शेष राशि जारी कर दी जाएगी.

बता दें कि लालरोसंगा ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को राज्य में चल रहे कोरोना संकट के बारे में अवगत कराया और बताया कि कैसे संक्रमण मामलों की बढ़ती संख्या के कारण मिजोरम को दवाओं, उपकरणों और अन्य कोविड से संबंधित सामग्री के रूप में केंद्रीय सहायता की सख्त जरूरत है.

प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के सामने चल रहे कोविड संकट की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम को जल्द से जल्द मिजोरम भेजने का अनुरोध किया है.

मिजोरम के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पिछले दो हफ्तों से हर दिन लगभग 1,500 लोगों की कोविड जांच की जा रही है. 11 लाख की आबादी के साथ, भारत के दूसरे सबसे कम आबादी वाले राज्य मिजोरम में अब तक 93,660 संक्रमण के मामले सामने आए हैं जबकि 309 लोगों की मौत हुई है.

अरुणाचल प्रदेश: तीन जिले और दो थाना क्षेत्र आफस्पा के तहत अशांत घोषित

केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और एक अन्य जिले के दो थाना क्षेत्रों को उग्रवादी गतिविधियों और कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम के तहत अगले छह महीने के लिए अशांत घोषित कर दिया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना एक अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2022 तक प्रभावी होगी.

मंत्रालय के अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पहली बार लंबे समय के बाद दो अन्य जिलों लोअर दिबांग और लोहित के दो पुलिस थाना क्षेत्रों में आफस्पा कानून लागू नहीं होगा और यह फैसला सुरक्षा हालात में सुधार के मद्देनजर लिया गया है.

केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम-1958 की धारा-3 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक अप्रैल 2021 को जारी अधिसूचना में अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और चार पुलिस थाना क्षेत्रों- दो नामसई जिले में और लोअर दिबांग और लोहित जिले के एक-एक पुलिस थाना क्षेत्र को अशांत इलाका घोषित किया था, जो असम की सीमा से सटे हैं.

मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और असम की सीमा से लगते चार थाना क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की हाल में समीक्षा की.

अधिसूचना में कहा गया, ‘अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लॉन्गडिंग जिलों और नामसई जिले के नामसई और महादेवपुर पुलिस थाना क्षेत्र को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम-1958 की धारा-3 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2022 तक या इससे पहले आदेश वापस लेने तक अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है.’

आफस्पा उन इलाकों में लागू किया जाता है, जहां पर नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्रबलों की जरूरत होती है.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में एनएससीएन, उल्फा और एनडीएफबी जैसे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों की मौजूदगी है.

त्रिपुरा: जेडपीएम ने कहा- विस्थापित ब्रू लोगों को मिजोरम उपचुनाव में वोट की मंजूरी न दी जाए

(फोटोः पीटीआई)

मिजोरम की मुख्य विपक्षी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी. जवाहर को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि त्रिपुरा में रह रहे ब्रू आदिवासी लोगों को तुइरियाल विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में मतदान करने की मंजूरी नहीं दी जाए.

बता दें कि इस सीट पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होना है. जेडपीएम ने पत्र में कहा, ‘आगामी उपचुनाव में ब्रू आदिवासियों द्वारा मतदान देने को लेकर पार्टी को कड़ी आपत्ति है क्योंकि केंद्र सरकार पहले ही उन्हें स्थाई तौर पर त्रिपुरा में बसने की मंजूरी दे चुकी है.’

बता दें कि पिछले साल नवंबर में पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उनसे राज्य की मतदाता सूची से लगभग 1,20,000 ब्रू मतदाताओं के नाम हटाने का आग्रह किया था.

मालूम हो कि हजारों की संख्या में ब्रू आदिवासी लोग 1997 से त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे हैं. ये लोग जातीय संघर्षों की वजह से मिजोरम से भागकर पड़ोसी राज्य पहुंचे थे. अब तक इनकी संख्या बढ़कर 35,000 से अधिक हो गई है.

पिछले साल केंद्र, त्रिपुरा, मिजोरम की सरकारों और समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच हुए एक समझौते के बाद कई विस्थापित ब्रू परिवारों को त्रिपुरा में नया घर मिला गया था. प्रत्येक ब्रू परिवार को 1,200 वर्ग फुट का एक प्लॉट आवंटित किया गया है और सरकार ने घर बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की है.

त्रिपुरा सरकार ने राज्य में स्थाई तौर पर बस गए 6,959 ब्रू परिवारों को अंत्योदय कार्ड मुहैया कराने का भी फैसला किया है.

वहीं, मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक अधिकारी का कहना है कि मिजोरम में अभी भी लगभग 12,000 ब्रू लोग मतदाता सूची में नामांकित हैं क्योंकि त्रिपुरा में उनके पुनर्वास को लेकर प्रक्रिया अभी जारी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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