राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के मुख्य पक्षकार भास्कर दास का निधन

1929 में गोरखपुर में जन्मे महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के साथ ही अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के भी महंत थे.

महंत भास्कर दास. (फोटो साभार: सिफी न्यूज़ डॉट कॉम)

1929 में गोरखपुर में जन्मे महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के साथ ही अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के भी महंत थे.

महंत भास्कर दास. (फोटो साभार: सिफी न्यूज़ डॉट कॉम)
महंत भास्कर दास. (फोटो साभार: सिफी न्यूज़ डॉट कॉम)

फैज़ाबाद में निर्मोही अखाड़ा के महंत और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुख्य पक्षकार भास्कर दास का शनिवार तड़के निधन हो गया. इसके साथ ही राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में हिंदू और मुस्लिम दोनों तरफ के मुख्य पक्षकारों का निधन हो गया. पिछले साल जुलाई में 95 वर्ष की उम्र में मामले के सबसे उम्रदराज़ पक्षकार हाशिम अंसारी का निधन हो गया था.

बताया जाता है कि प्रतिद्वंद्वी पक्षकार होने के बावजूद हाशिम अंसारी और भास्कर दास अच्छे दोस्त हुआ करते थे.

89 वर्षीय महंत भास्कर दास लंबे समय से बीमार चल रहे थे. बीते बुधवार को सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें फैज़ाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शनिवार भोर में तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

उनका अंतिम संस्कार अयोध्या में सरयू नदी के तुलसी घाट पर होगा. उनके करीबियों ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ या दिल्ली के किसी बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी थी, लेकिन महंत ने मंदिरों के नगर से दूर जाने से मना कर दिया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महंत भास्कर दास ने राम जन्मभूमि की ज़मीन पर वर्ष 1959 में अपना दावा किया था.

महंत भास्कर दास अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के भी महंत थे. उनका जन्म वर्ष 1929 में गोरखपुर में हुआ था. जब वे 16 साल के थे तो उन्होंने हनुमान गढ़ी में अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी थीं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1959 में निर्मोही अखाड़ा के महंत रघुबर दास ने राम जन्मभूमि पर दावा करते हुए एक याचिका दायर की थी. उस समय महंत भास्कर दास परिसर में स्थित राम चबूतरे पर धार्मिक अनुष्ठान कराया करते थे. उन्होंने भी याचिका को लेकर महंत रघुबर दास का साथ दिया और राम जन्मभूमि पर दावा किया था.

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मामले में एक फैसला सुनाया तो महंत भास्कर दास ने पूरे राम जन्मभूमि परिसर के मालिकाना हक़ पर दावा किया था.

रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला अभी भी चल रहा है. अब उनके निधन के बाद उनके शिष्य महंत राम दास के पक्षकार बनने की संभावना है.

उनके निधन पर फैज़ाबाद के सांसद लल्लू सिंह और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने दुख जताया है. राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि दास स्पष्टवादी, सिद्धांतवादी और आदर्शवादी संत थे. राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में उनकी विशेष भूमिका थी.

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