चिराग पासवान और उनके चाचा विवाद के निपटारे तक लोजपा का नाम-चिह्न का उपयोग नहीं कर सकते

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि दोनों धड़े बिहार में दो विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने के वास्ते उपलब्ध चिह्नों का उपयोग कर सकते हैं. बिहार में कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को होगा.

(फोटो साभार: फेसबुक)

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि दोनों धड़े बिहार में दो विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने के वास्ते उपलब्ध चिह्नों का उपयोग कर सकते हैं. बिहार में कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को होगा.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बीते शनिवार को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के दोनों धड़ों- चिराग पासवान गुट और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस गुट द्वारा पार्टी के नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल करने पर तब तक रोक लगा दी, जब तक कि आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच विवाद का निपटारा नहीं कर देता.

आयोग ने यह भी कहा कि दोनों धड़े बिहार में आने वाले दिनों में दो विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने के वास्ते उपलब्ध चिह्नों का उपयोग कर सकते हैं.

आदेश में कहा गया है, ‘दोनों समूहों को ऐसे नामों से जाना जाएगा, जो वे अपने संबंधित समूहों के लिए चुन सकते हैं, जिसमें वे चाहें तो अपनी मूल पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ संबंध भी शामिल कर सकते हैं.’

बिहार में कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को होगा.

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडेय द्वारा हस्ताक्षरित अंतरिम आदेश, बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों सहित पूरे भारत में 30 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों के लिए 30 अक्टूबर को उपचुनाव को शामिल करता है.

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के प्रावधानों के अनुसार यह आदेश ‘मामले में विवाद के अंतिम निर्धारण तक जारी रहेगा.’ चुनाव आयोग ने उल्लेखित किया कि अंतिम समाधान, जैसा कि एक धड़े द्वारा मांग की गई थी, आठ अक्टूबर से पहले संभव नहीं है.

उपचुनाव के लिए नामांकन की तारीख एक अक्टूबर से शुरू हुई थी और 8 अक्टूबर को बंद होगी.

चुनाव आयोग ने कहा कि वह अंतरिम आदेश जारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य दोनों प्रतिद्वंद्वी समूहों को समान स्थिति में रखना और उनके अधिकारों एवं हितों की रक्षा करना है.

आदेश में कहा गया है, ‘पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के नेतृत्व वाले दो समूहों में से किसी को भी लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी, न ही दोनों समूहों में से किसी को भी ‘बंगला’ चिह्न का उपयोग करने की अनुमति ही दी जाएगी, जो लोक जनशक्ति पार्टी के लिए आरक्षित है.’

इसने कहा कि दोनों समूह अपनी पसंद के नाम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें उनकी मूल पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ जुड़ाव भी शामिल है.

आदेश में कहा गया है, ‘दोनों समूहों को बिहार के कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रों सहित मौजूदा उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित खाली चिह्नों की सूची में से ऐसे अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे.’

दोनों समूहों को निर्देश दिया गया है कि वे सोमवार, चार अक्टूबर को अपराह्न एक बजे तक अपने उन समूहों के नाम, जिनके द्वारा वे चाहते हैं कि आयोग उन्हें मान्यता दें और चुनाव चिह्न जो संबंधित समूहों के उम्मीदवारों, यदि कोई हो, को आवंटित किया जा सकता है, प्रस्तुत करें.

चुनाव आयोग ने कहा, ‘वे अपनी पसंद के क्रम में तीन खाली चिह्न के नाम बता सकते हैं, जिनमें से कोई भी आयोग द्वारा उनके उम्मीदवारों को आवंटित किया जा सकता है.’

बीते जून महीने में लोजपा में दरार पड़ गई थी. पार्टी के छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने दल के मुखिया चिराग पासवान को संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता के पद से हटाने के लिए हाथ मिला लिया था और उनकी जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को इस पद के लिए चुन लिया था.

इसके बाद बीते जुलाई महीने में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था.

बता दें कि अक्टूबर 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग ने पार्टी की कमान संभाली थी.

इसके बाद अक्टूबर-नवंबर 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जमुई से सांसद चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के लिए बिहार में सत्ताधारी राजग से अलग होने वाले चिराग पासवान ने हालांकि नरेंद्र मोदी और भाजपा समर्थक रुख कायम रखा था.

इस चुनाव में लोजपा के एकमात्र विधायक राज कुमार सिंह बेगुसराई के मटिहानी सीट जीते थे, जो बाद में जदयू में शामिल हो गए थे.

पिछले साल ही लोजपा नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान और दिवंगत नेता के भाई पारस ने पार्टी नेतृत्व पर दावा पेश किया था और इस संबंध में चुनाव आयोग से संपर्क किया था.

इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी के एक धड़े के नेता चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को सदन में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता देने को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि अदालत ने कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq