सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मृतकों के परिजनों को पचास हज़ार रुपये मुआवज़ा देने को स्वीकृति दी

सुप्रीम कोर्ट ने बीते जुलाई में कहा था कि कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार मुआवज़े के हक़दार हैं और इस बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिशानिर्देश जारी करने चाहिए. प्राधिकरण ने ऐसे परिवारों को बतौर अनुग्रह राशि 50,000 रुपये देने की सिफ़ारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने मंज़ूरी दे दी है.

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15 अप्रैल 2021 को सूरत के एक श्मशान गृह में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव. (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने बीते जुलाई में कहा था कि कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार मुआवज़े के हक़दार हैं और इस बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिशानिर्देश जारी करने चाहिए. प्राधिकरण ने ऐसे परिवारों को बतौर अनुग्रह राशि 50,000 रुपये देने की सिफ़ारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने मंज़ूरी दे दी है.

15 अप्रैल 2021 को सूरत के एक श्मशान गृह में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से दम तोड़ चुके लोगों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने इस संबंध में पालन करने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं.

अदालत ने 30 जुलाई को कहा था कि कोविड-19 से दम तोड़ चुके लोगों के परिवार मुआवजे के हकदार हैं और इसी संबंध में अदालत ने एनडीएमए से दिशानिर्देश जारी करने को कहा था.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने मुआवजे के संबंध में विभिन्न निर्देश जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 12 (3) के तहत कोरोना से दम तोड़ चुके लोगों के परिजनों को 50,000 रुपये दिए जाने चाहिए.

यह राशि राज्य के स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एसडीआरएस) से जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) और जिला प्रशासन को वितरीत की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में कोरोना की वजह से व्यक्ति की मौत के संबंधित दस्तावेजों के साथ डीडीएमए के समक्ष आवेदन जमा करने के बाद 30 दिनों के बाद मुआवजा वितरित किया जाएगा.

अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी राज्य को कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं करना चाहिए कि मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना वायरस को मौत का कारण नहीं बताया गया है.

पीठ ने कहा कि कोविड-19 की वजह से मृत्यु प्रमाणित किए जाने और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार/जिला प्रशासन के पास आवेदन जमा करने की तारीख के 30 दिन के भीतर राज्य आपदा राहत कोष से मुआवजा वितरित किया जाए.

पीठ ने राज्यों और केंद्र को यह भी आदेश दिया कि वह प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये इस योजना का व्यापक प्रचार करें.

पीठ ने एनडीएमए के दिशानिर्देशों को मंजूरी देते हुए कहा कि पहले से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार के किसी सदस्य के असंतुष्ट होने पर परिजन उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.

अदालत ने कहा कि आरटीपीसीआर जांच जैसे आवश्यक दस्तावेज दिखाए जाने पर संबंधित प्राधिकारी मृत्यु प्रमाण पत्रों में संशोधन कर सकते हैं और यदि वे इसके बाद भी असंतुष्ट रहते हैं, तो परिवार के सदस्य शिकायत निवारण समिति के पास जा सकते हैं.

पीठ ने कहा, ‘कोई भी राज्य इस आधार पर अनुग्रह राशि देने से इनकार नहीं करेगा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण कोविड-19 नहीं बताया गया है.’

अदालत ने कहा कि शिकायत निवारण समिति मृतक के चिकित्सकीय रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद 30 दिन में फैसला कर सकती है और मुआवजा देने का आदेश दे सकती है.

बता दें कि एनडीएमए ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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