उत्तराखंड: जिम कॉर्बेट पार्क का नाम बदलने की सुगबुगाहट से पर्यटन व्यवसायी चिंतित

बीते तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क के दौरे के दौरान कहा था कि इसका नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किया जाना चाहिए. व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है.

(फोटो साभार: corbettparkonline.com)

बीते तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट पार्क के दौरे के दौरान कहा था कि इसका नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किया जाना चाहिए. व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है.

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ऋषिकेश: उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय पार्क किए जाने की सुगबुगाहट से चिंतित वन्यजीव अभयारण्य पर आधारित पर्यटन व्यवसायियों का मानना है कि पार्क के नाम में बदलाव इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों के लिए ‘आर्थिक सुनामी’ ला सकता है.

व्यवसायियों का कहना है कि पर्यटन उद्योग जगत में कॉर्बेट पार्क इतना विश्वविख्यात और सुस्थापित नाम है कि इसमें किसी भी तरह का बदलाव व्यापक रूप से अपूरणीय क्षति का कारण बन सकता है.

नैनीताल जिले के रामनगर में ‘कॉर्बेट होटल्स एंड रिसॉर्ट वेलफेयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष हरि सिंह मान ने कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क का नाम बदलने से पहले सरकार से इस पर अच्छी तरह सोच विचार करने का आग्रह किया है.

मान ने कहा, ‘नाम बदलने से कॉर्बेट क्षेत्र से जुड़े हितधारकों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. आज पर्यटन अकेला आत्मनिर्भर उद्योग है. इस आत्मनिर्भर उद्योग के किसी भी बड़े सुस्थापित ‘आइकॉन’ के नाम में छेड़छाड़ से अर्थतंत्र को भयंकर हानि होगी.’

मान ने कहा कि 1936 में इस पार्क का नाम हैली राष्ट्रीय पार्क था और 1947 में इसे रामगंगा राष्ट्रीय पार्क कर दिया गया. वर्ष 1956 में प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी जिम कॉर्बेट के निधन के बाद इसे कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के नाम से जाना गया.

उन्होंने कहा कि अब लगभग सात दशकों से कॉर्बेट में पर्यटन इतना विशाल आकर ले चुका है कि वर्तमान में इसका नाम बदलना यहां ‘आर्थिक सुनामी’ का कारण बन सकता है.

कॉर्बेट सिटी रामनगर में पर्यटन कारोबार से जुड़े पवन पुरी ने कहा कि पर्यटन व्यवसाय के सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र होने के कारण कॉर्बेट पार्क का नाम बदलने की कवायद बिल्कुल नामंजूर है.

उन्होंने कहा कि कॉर्बेट का नाम बदलने से आर्थिक रूप से बड़ा झटका हितधारकों को ही लगेगा.

कॉर्बेट पार्क का नाम बदलकर रामगंगा किए जाने के संकेत तब मिले जब तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कॉर्बेट के अपने दौरे के दौरान धनगढ़ी गेट पर बने संग्रहालय के रजिस्टर पर लिखा कि कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम बदलकर राम गंगा नेशनल पार्क कर देना चाहिए.

कॉर्बेट पार्क के निदेशक राहुल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने इस विषय पर अधिकारियों से बात भी की.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, निदेशक ने कहा, ‘इससे पहले अभयारण्य का नाम रामगंगा नेशनल पार्क था. 1955-56 में इसका नाम बदलकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कर दिया गया.’

रिपोर्ट के मुताबिक, कॉर्बेट रिजर्व की स्थापना 1936 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश प्रांत के पूर्व गवर्नर मैल्कम हैली के नाम पर हैली नेशनल पार्क के रूप में की गई थी. आजादी के बाद 1954-55 में इसका नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया था. उसके अगले वर्ष शिकारी और लेखक एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम बदलकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कर दिया गया था.

यह अभयारण्य 520 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. वनस्पतियों और जीवों में समृद्ध है; यह बाघों, तेंदुओं, हाथियों, हिरणों, भालू और अन्य जंगली जानवरों, सरीसृपों और पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए जाना जाता है.

पार्क के निदेशक राहुल ने कहा कि लगभग तीन लाख पर्यटक रिजर्व में आते हैं और पार्क हर साल पर्यटन से लगभग 10 करोड़ रुपये कमाता है.

कुमाऊं के एक वन्यजीव कार्यकर्ता एजी अंसारी ने कहा, ‘इसका नाम बदलने से जिम कॉर्बेट के साथ अन्याय होगा. कॉर्बेट उस समिति के सदस्य थे, जिसने हैली राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई थी. वह उस समय के उन गिने-चुने लोगों में से एक थे, जिन्होंने दुनिया को जंगलों का संरक्षण और वन्यजीवों की रक्षा करना सिखाया.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)