एनएचआरसी को हर दिन मिलती हैं औसतन 228 शिकायतें, 20 हज़ार से अधिक मामले विचाराधीन

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विचाराधीन 20,806 नए और पुराने मामलों में से 344 मामले पुलिस हिरासत में मौत के, 3,407 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के, 365 मामले पुलिस मुठभेड़ में मौत के हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक उसे 53,191 शिकायतें मिली हैं. सितंबर में 10,627 नई शिकायतें मिलीं.

(फोटो साभार: फेसबुक)

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विचाराधीन 20,806 नए और पुराने मामलों में से 344 मामले पुलिस हिरासत में मौत के, 3,407 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के, 365 मामले पुलिस मुठभेड़ में मौत के हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक उसे 53,191 शिकायतें मिली हैं. सितंबर में 10,627 नई शिकायतें मिलीं.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएसआरसी) को हर दिन औसतन 228 शिकायतें मिल रही हैं और फिलहाल उसके समक्ष 20,806 मामले विचाराधीन हैं. आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.

आयोग के समक्ष विचाराधीन 20,806 नए और पुराने मामलों में से 344 मामले पुलिस हिरासत में मौत के, 3,407 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के, 365 मामले पुलिस मुठभेड़ में मौत के हैं.

इसके अलावा बंधुआ मजदूरों से संबंधित 290 शिकायतें, बच्चों से जुड़ीं 336 शिकायतें, महिलाओं से संबंधित 1741 शिकायतें तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ी 338 शिकायतें आयोग के समक्ष विचाराधीन हैं. अन्य श्रेणी के मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के 13,985 मामले आयोग में विचाराधीन हैं.

बीते पांच वर्षों में आयोग को कुल 4,16,232 शिकायतें प्राप्त हुईं. इनमें से साल 2016 में 96,627 शिकायतें, 2017 में 82,006 शिकायतें, 2018 में 85,950 शिकायतें, 2019 में 76,585 शिकायतें और 2020 में 75,064 शिकायतें आयोग को मिलीं. इस प्रकार, हर दिन आयोग को औसतन 228 शिकायतें मिल रही हैं.

एनएचआरसी के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक उसे 53,191 शिकायतें मिली हैं. पिछले महीने यानी सितंबर 2021 में उसे 10,627 नई शिकायतें मिलीं. सितंबर में ही नई और पुरानी 8,736 शिकायतों का निपटारा किया गया.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम 1993 के तहत 12 अक्टूबर 1993 को किया गया था.

आयोग मानवाधिकारों के हनन से जुड़े मामलों पर संज्ञान लेता है, इसकी जांच करता है तथा पीड़ितों के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है. इसके साथ ही आयोग मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले लोक सेवकों के खिलाफ कानूनी उपाय भी करता है.