जम्मू कश्मीर: 900 से अधिक कर्मचारियों की बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन

बीते 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन पर्यवेक्षकों के 918 सहायकों को तत्काल हटाने का आदेश दिया, जो काम के लायक नहीं माने जाने के बावजूद समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना के विभिन्न क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं. प्रदर्शन के दौरान सरकार से उनके तीन महीने के लंबित वेतन को जारी करने के अलावा उन्हें बहाल करने की मांग की गई.

(फोटो: रॉयटर्स)

बीते 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन पर्यवेक्षकों के 918 सहायकों को तत्काल हटाने का आदेश दिया, जो काम के लायक नहीं माने जाने के बावजूद समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना के विभिन्न क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं. प्रदर्शन के दौरान सरकार से उनके तीन महीने के लंबित वेतन को जारी करने के अलावा उन्हें बहाल करने की मांग की गई.

(फोटो: रॉयटर्स)

जम्मू: सरकारी कर्मचारियों के एक समूह ने 900 से अधिक मुलाजिमों (कर्मचारियों) की बहाली और पिछले दो दशकों से विभिन्न विभागों में कार्यरत हजारों दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया.

जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति से जुड़े प्रदर्शनकारी प्रेस क्लब के बाहर इकट्ठा हुए और कर्मचारियों का मकान किराया भत्ता (एचआरए) जारी करने तथा उन कर्मचारियों की पहचान करने के सरकार के फैसले की समीक्षा की मांग की, जो काम में अप्रभावी हैं या 22 वर्ष की सेवा अथवा 48 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद काम करने के लिए उपयुक्त नहीं है.

जेकेजीईजेएसी के अध्यक्ष बाबू हुसैन मलिक ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम कर्मचारियों और दिहाड़ी मजदूरों की काफी समय से लंबित मांगों की ओर केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं. हमारे पास एक लाख से अधिक दिहाड़ी मजदूर हैं, जो पिछले तीन दशकों से विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं, लेकिन सरकार उनके लिए नियमितीकरण नीति लाने में विफल रही है, जिसके कारण वे दयनीय जीवन जी रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि वे पिछले महीने समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) में पर्यवेक्षकों के 900 से अधिक सहायकों की बर्खास्तगी का विरोध करते हैं और चाहते हैं कि सरकार उनके तीन महीने के लंबित वेतन को जारी करने के अलावा उन्हें बहाल करे.

बीते 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन पर्यवेक्षकों को 918 सहायकों को तत्काल हटाने का आदेश दिया था, जो काम के लायक नहीं माने जाने के बावजूद आईसीडीएस के विभिन्न क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्मचारियों के पक्ष में एचआरए जारी करने की मांग करते हुए, जो कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार है, उन्होंने कहा कि केंद्र ने अपने कर्मचारियों को जुलाई से बढ़े हुए महंगाई भत्ते के साथ बढ़ा हुआ एचआरए पहले ही जारी कर दिया है.

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मलिक ने कहा कि 22 साल की सेवा पूरी करने या 48 साल की उम्र पूरी करने के बाद कुछ कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने के सरकार के फैसले की समीक्षा की जरूरत है.

उन्होंने सवाल किया, ‘देश के अन्य हिस्सों में 33 साल की सेवा और 55 साल की उम्र सीमा है. जम्मू कश्मीर में कर्मचारियों के लिए अलग नियम क्यों?’

उन्होंने कहा कि वे भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसके लिए पहले से ही सरकारी एजेंसियां ​​​​हैं.

मालूम हो बीते 30 सितंबर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सैकड़ों अनुबंधित कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में अपनी बर्खास्तगी को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. सरकार ने ऐसे 1,500 से अधिक कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किया है.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों के साथ ‘यूज एंड थ्रो’ की नीति अपना रही है, जिन्होंने कोरोना वायरस के चरम पर कोरोना वॉरियर के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

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