पेगासस जासूसी: कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने यूएई के साथ क़रीब 4,125 करोड़ रुपये के समझौते को रद्द किया

यूएई पर आरोप है कि उसने पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये ब्रिटेन के कई नंबरों को निगरानी के लिए निशाना बनाया था. यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम को एनएसओ समूह का क्लाइंट माना जाता है. शेख़ की बेटी राजकुमारी लतीफ़ा और उनकी पूर्व पत्नी राजकुमारी हया, जो 2019 में देश छोड़कर ब्रिटेन आ गए थे, दोनों के नंबर पेगासस निगरानी सूची में दिखाई देते हैं.

Sheikh Mohammed bin Rashid Al Maktoum, Prime Minister and Vice-President of the United Arab Emirates and ruler of Dubai, attends the Summit of South American-Arab Countries, in Riyadh November 10, 2015. REUTERS/Faisal Al Nasser

यूएई पर आरोप है कि उसने पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये ब्रिटेन के कई नंबरों को निगरानी के लिए निशाना बनाया था. यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम को एनएसओ समूह का क्लाइंट माना जाता है. शेख़ की बेटी राजकुमारी लतीफ़ा और उनकी पूर्व पत्नी राजकुमारी हया, जो 2019 में देश छोड़कर ब्रिटेन आ गए थे, दोनों के नंबर पेगासस निगरानी सूची में दिखाई देते हैं.

शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) द्वारा खतरनाक पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल के आरोपों के चलते 400 मिलियन पाउंड (करीब 4,125 करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड डील को रद्द कर दिया है.

द गार्डियन ने रिपोर्ट कर ये जानकारी दी है. इसके मुताबिक यदि ये डील संभव हो जाती, तो यह विश्वविद्यालय के इतिहास में सबसे बड़ा अनुदान साबित होता.

इसी साल जुलाई महीने में कैंब्रिज ने ‘संभावित रणनीतिक साझेदारी’ के तहत एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसका मकसद ‘पृथ्वी की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान करने’ में मदद करना था.

हालांकि विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति स्टीफन टूपे ने कहा है कि पेगासस खुलासे के बाद यूएई के साथ सभी बातचीत बंद कर दी गई है.

मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर  भी शामिल था, ने बीते जुलाई महीने में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन को कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संस्थान फॉरबिडेन स्टोरीज ने सबसे पहले इस तरह के 50,000 से अधिक नंबरों वाले दस्तावेज को प्राप्त किया था, जिसके बाद उन्होंने तमाम देशों के 17 मीडिया संस्थानों के साथ इसे साझा किया, जिन्होंने अपने देश से जुड़े नंबरों पर कई खबरें प्रकाशित की थीं.

बाद में मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशल ने अपने सिक्योरिटी लैब में इन नंबरों से जुड़े कुछ फोन की जांच की थी, जिसमें ये पुष्टि हुई कि इन पर पेगासस स्पायवेयर के जरिये हमला हुआ और हैकिंग की गई थी.

इसे लेकर यूएई पर आरोप है कि उन्होंने इस स्पायवेयर के जरिये यूनाइटेड किंगडम (यूके/ब्रिटेन) के कई नंबरों को निशाना बनाया था, जो कि डेटाबेस में दर्ज हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री होने के साथ दुबई शहर के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम को एनएसओ समूह का क्लाइंट माना जाता है.

गार्डियन ने रिपोर्ट कर बताया था, ‘शेख मोहम्मद की बेटी राजकुमारी लतीफा और उनकी पूर्व पत्नी राजकुमारी हया, जो 2019 में देश छोड़कर ब्रिटेन आ गए थे, दोनों के नंबर इस डेटाबेस में दिखाई देते हैं.’

टूपे ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों के स्वतंत्र अखबार वर्सिटी से कहा, ‘पेगासस के बारे में और भी खुलासे हुए, जिसके कारण हमें यह निर्णय लेना पड़ा कि यूएई के साथ इस प्रकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को आगे बढ़ाने का यह सही समय नहीं है.’

ये पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में फिर से ये डील होने की संभावना है, इस पर उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय द्वारा जल्दबाजी में ये पैसा लेने की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी इसमें जल्दबाजी नहीं करेगा. इसकी कोई गुप्त व्यवस्था नहीं की जाएगी. मुझे लगता है कि हमें भविष्य में किसी समय इस पर गहन चर्चा करनी होगी. या फिर हम यह तय कर सकते हैं कि इस मामले पर फिर से विचार करने की जरूरत नहीं है. मैं नहीं जानता कि आगे क्या होगा.’

टूपे ने कहा कि वह सत्तारूढ़ क्राउन प्रिंस से कभी नहीं मिले हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में विभागीय और व्यक्तिगत शैक्षणिक स्तर पर उनके संबंध हैं, लेकिन किसी बड़े प्रोजेक्ट के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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