इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
अगरतला/नई दिल्ली/गुवाहाटी/इम्फाल: त्रिपुरा के गोमती जिले में दक्षिणपंथी समूहोंऔर पुलिस के बीच 21 अक्टूबर को हुई झड़प में तीन पुलिसकर्मियों सहित 12 से अधिक लोग घायल हो गए.
पुलिस ने दक्षिणपंथी समूहों को बांग्लादेश में कथित तौर पर सांप्रदायिक हमलों के खिलाफ विरोध रैली निकालने की मंजूरी नहीं दी थी.
पुलिस का कहना है कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की खबरों के बाद दक्षिणपंथी समूहों को विरोध रैली की मंजूरी नहीं दी गई. यह रैली गोमती जिले के उदयपुर सब डिविजन के फोटामती और हीरापुर इलाकों में होने वाली थी.
द वायर से बातचीत में महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) अरिंदम नाथ ने कहा कि यह रैली विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा फुटामती, महारानी और हीरापुर इलाकों में होने वाली थी, जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्या में रहते हैं.
नाथ ने कहा, ‘कुछ दिनों से हमें कुछ शरारती तत्वों की सूचना मिल रही थी. एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने गुरुवार (21 अक्टूबर) को सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी, जो शुक्रवार को सुबह छह बजे समाप्त हुई. जब गोमती जिले के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस महानिरीक्षक गश्त करने गए तो विहिप के 200 से अधिक कार्यकर्ता रैली के लिए निकले और रैली करने की मांग पर अड़े रहे. हल्का बलप्रयोग कर उन्हें तितर-बितर किया गया.’
उन्होंने कहा कि शुरुआत में प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव करने की वजह से तीन पुलिसकर्मी और अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. नाथ ने कहा, ‘हमने घटना पर स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है.’
रैली में शामिल आरएसएस के स्थानीय नेता अभिजीत चक्रबर्ती ने दावा किया कि उन्होंने रैली के लिए पहले मंजूरी ले ली थी लेकिन जब वे रैली के लिए इकट्ठा हुए तो सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें रोक दिया गया.
चक्रबर्ती ने कहा, प्रदर्शनकारी, ‘पुलिस द्वारा अचानक की गई कार्रवाई से हैरान थे और इस दौरान झड़प भी हुई. हमें संदेह है कि कुछ लोगों ने प्रशासन को यह कहकर भ्रमित करने की कोशिश की होगी कि हम कानून एवं व्यवस्था को बाधित करेंगे. पुलिस की लाठीचार्ज में 12 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं और उनका गोमती जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है.’
हालांकि, विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष का कहना है कि उनके संगठन द्वारा ऐसी कोई रैली का आयोजन नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि रैली का आयोजन एक अन्य हिंदूवादी संगठन हिंदू जागरण मंच ने किया था.
गोमती जिले के एसपी शाश्वत कुमार ने द वायर को बताया, ‘इलाके में लोग इकट्ठा हुए और चूंकि यह इलाका सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील था इसलिए जिला मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू की लेकिन इसके बावजूद लोग इकट्ठा हुए और पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिस वजह से हमें हल्का बलप्रयोग कर उन्हें तितर-बितर करना पड़ा.’
पश्चिम त्रिपुरा के अगरतला और उत्तरी त्रिपुरा के धर्मनगर में 21 अक्टूबर को इसी तरह की रैलियां हुईं.
इस दौरान अगरतला में लगभग 13 संगठनों ने व्यापक विरोध रैली निकाली और बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त के कार्यालय में डेप्यूटेशन सौंपकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की मांग की.
उत्तरी त्रिपुरा जिले के धर्मनगर में 21 अक्टूबर को हुई रैली में लगभग 10,000 लोग शामिल हुए.
असम: समिति ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने असम सरकार को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में पशु गलियारों के आसपास अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है.
सीईसी ने असम के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा कि की गई कार्रवाई की रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर समिति को सौंपी जानी चाहिए.
सीईसी सदस्य-सचिव अमरनाथ शेट्टी द्वारा छह अक्टूबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘मैं डॉ. हेमेन हजारिका, वैज्ञानिक ‘डी’ कार्यालय प्रमुख, आईआरओ, गुवाहाटी कार्यालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी, भारत सरकार से उपरोक्त विषय पर 10 सितंबर, 2021 की तिथि में प्राप्त पत्र की एक प्रति इसके साथ अग्रेषित कर रहा हूं.’
पत्र में कहा गया है, ‘यह अनुरोध किया जाता है कि 12 अप्रैल, 2019 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के उल्लंघन में किए गए सभी निर्माणों को हटाने और नौ पशु गलियारों के साथ किसी भी नए निर्माण की अनुमति नहीं देने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए. कार्रवाई की गई रिपोर्ट कृपया अगले चार सप्ताह के भीतर सीईसी को भेजी जाए.’
हजारिका का पत्र वन्यजीव गलियारे का निरीक्षण करने के बाद वन उप महानिरीक्षक (मध्य) के एलजे सिएमियोनग द्वारा दाखिल एक रिपोर्ट पर आधारित था. रिपोर्ट पर्यावरण कार्यकर्ता रोहित चौधरी की शिकायत के जवाब में सौंपी गई थी, जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए पशु गलियारों में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था.
उच्चतम न्यायालय ने अपने 2019 के आदेश में कहा था, ‘निजी भूमि पर किसी भी नए निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो नौ पहचाने गए पशु गलियारों का हिस्सा है.’
उच्चतम न्यायालय ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और असम में कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों से निकलने वाली नदियों के जलग्रहण क्षेत्र के साथ सभी खनन गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.
तृणमूल सांसद सुष्मिता देव की कार पर हमला, भाजपा पर आरोप लगाया
त्रिपुरा में शुक्रवार को कुछ अज्ञात लोगों ने तृणमूल कांग्रेस सासंद सुष्मिता देव की कार पर हमला कर, तोड़-फोड़ की. इस हमले में तृणमूल कांग्रेस का चुनावी कैंपेन देख रही एक निजी कंपनी के कुछ कर्मचारी घायल हो गए.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस की गतिविधियों पर नजर रख रही सुष्मिता देव का आरोप है कि इस हमले में भाजपा का हाथ है.
जिस समय यह हमला हुआ देव इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपैक) के कर्मचारियों के साथ थीं.
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और आई-पैक ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के साथ काम किया था.
People of #Tripura will give a befitting response to this BARBARIC ATTACK!
Police must immediately stop acting as mere spectators. This collapse of law and order is unacceptable. WE DEMAND JUSTICE!#ShameOnBJP pic.twitter.com/700tdmRBM8
— AITC Tripura (@AITC4Tripura) October 22, 2021
सोशल मीडिया पर वायरल इस घटना के वीडियो में नीले रंग की एक एसयूवी देखी जा सकती है, जिस पर टीएमस का चुनाव चिह्म और छत पर लाउडस्पीकर लगा है.
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है, ‘सुष्मिता देव ने पार्टी के 10 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ सुष्मिता देव पर अमताली बाजार में दोपहर लगभग 1.30 बजे भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला किया. हमलावरों ने वाहनों में तोड़फोड़ की, टीएमसी के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की और पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार किया.’
पार्टी ने कहा, ‘इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं के फोन सहित उनके कई सामानों की चोरी भी हुई. हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप तत्काल मामले की जांच करें और दोषियों को कटघरे में खड़ा करें.’
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि भाजपा त्रिपुरा की बिप्लब देव सरकार के तहत विरोधियों पर हमला कर नए रिकॉर्ड बना रही हैं.
असम: भाजपा अध्यक्ष बोले, पेट्रोल 200 रुपये लीटर होने पर दोपहिया वाहनों पर होगी ट्रिपलिंग की छूट
असम भाजपा के अध्यक्ष भावेश कलिता ने शुक्रवार को कहा कि पेट्रोल के दाम 200 प्रति लीटर होने पर पार्टी राज्य सरकार से दोपहिया वाहनों पर ट्रिपलिंग की मंजूरी लेगी.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल, डीजल की कीमतें 100 रुपये का स्तर पार करने पर भावेश कलिता ने गुवाहाटी में स्थानीय मीडिया को बताया, जब पेट्रोल की कीमतें 200 रुपये प्रति लीटर होगी तो हम राज्य सरकार से दोपहिया वाहनों पर ट्रिपलिंग की छूट की मंजूरी लेंगे या फिर हम तीन सीट वाली बाइकों का उत्पादन करेंगे.
उन्होंने कहा कि राज्य में सरसो की कटाई के बाद खाद्यान्न तेल की कीमतों में गिरावट आएगी.
कलिता ने कहा, ‘सरसो की फसल की कटाई के बाद खाद्यान्न तेल की कीमतें खुद ही कम हो जाएंगी. हमें उम्मीद है कि यह कम होंगी. अभी कटाई का समय नहीं है. आलू और प्याज की कीमें भी कम होंगी.’
उनका यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब पेट्रोल, डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई है. शुक्रवार को गुवाहाटी में पेट्रोल की कीमत 102.11 प्रति लीटर और डीजल की 95.39 रुपये प्रति लीटर थी.
असम के बक्सा जिले के तामुलपुर इलाके में 18 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम के दौरान असम भजापा अध्यक्ष ने लोगों से ईंधन बचाने के लिए लग्जरी कारों के इस्तेमाल से बचने और इसके बजाय दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी.
इससे पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 का निशुल्क टीका मुहैया कराने से पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ी हैं.
उन्होंने कहा था कि हिमालय पानी (बोतलबंद) की कीमत एक लीटर पेट्रोल से अधिक है. तेली ने कहा था, ‘ईंधन की कीमतें अधिक नहीं हैं, लेकिन इसमें टैक्स शामिल है. फ्री वैक्सीन तो आपने ली होगी, पैसा कहां से आएगा? आपने पैसे का भुगतान नहीं किया है, इसे इस तरह से एकत्र किया गया है.’
ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आसू और कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस (एलपीजी) एवं आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढोत्तरी के खिलाफ शुक्रवार को पूरे असम प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करते हुये ‘सत्याग्रह’ किया.
आसू के सदस्यों ने अपने हाथों में बैनर, तख्तियां एवं रसोई गैस सिलेंडर का कटआउट लेकर नारेबाजी की और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हो रही बेतहाशा वृद्धि पर लगाम लगाये जाने की मांग की.
आसू के मुख्य सलाहकार डॉ. समुज्ज्वल भट्टाचार्य ने संगठन के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, असम और केंद्र सरकारें बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में विफल साबित हुई हैं.
उन्होंने कहा, ‘नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय यह जानने के बावजूद कि लोग महंगाई से बुरी तरह प्रभावित हैं, बढ़ती कीमतों को रेाकने के लिये कोई उपाय नहीं कर रहा है.’
आसू के मुख्य सलाहकार ने दावा किया कि रसोई गैस, पेट्रोल एवं डीजल की हो रही बढ़ोत्तरी से सभी वर्ग के लोग प्रभावित हैं लेकिन सरकार को इसकी चिंता नहीं है.
प्रदेश के सभी जिला मुख्यलयों में संगठन की ओर से इस तरह का प्रदर्शन किया गया. बता दें कि इससे पहले विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 21 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया था.
असम प्रदेश कांग्रेस समिति के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हाथ में बैनर और तख्तियां लिए नारेबाजी की.
उन्होंने तामूलपुर, मरियानी, थौरा, गोसाईगांव और भबानीपुर निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा पूरे राज्य में प्रदर्शन किया, क्योंकि इन सभी जगह 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं.
पार्टी के सदस्यों ने पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस के सिलेंडर और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने में कथित तौर पर विफल रही भाजपा की आलोचना की.
नागांव में अश्लील वीडियो देखने से मना करने पर तीन बच्चों ने की छह वर्षीय बच्ची की हत्या
असम के नागांव जिले में छह वर्षीय अपनी दोस्त की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में तीन बच्चों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से एक बच्चे की उम्र आठ और दो अन्य बच्चों की 11 साल है.
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि बच्ची ने लड़कों के साथ मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्होंने कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी.
पुलिस ने बताया कि एक आरोपी के पिता को कथित तौर पर साक्ष्य छिपाने के कारण गिरफ्तार किया गया है.
नागांव पुलिस अधीक्षक आनंद मिश्रा ने बताया कि यह घटना 18अक्टूबर की शाम को हुई थी. कालियाबोर उपमंडल के निजोरी स्थित पत्थर तोड़ने की एक मील के शौचालय से बच्ची का शव बरामद किया गया.
मिश्रा ने बताया, ‘तीनों लड़कों ने बच्ची के परिजनों को बताया कि वह शौचालय में अचेत पड़ी है. परिवार वाले बच्ची को लेकर अस्पताल गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.’
उन्होंने बताया गया कि बच्ची के शव पर चोट के निशान पाए गए हैं और पुलिस ने बच्ची की कथित तौर पर हत्या में शामिल होने के मामले में 11-11 साल के दो लड़कों और आठ वर्ष के एक लड़के को 20 अक्टूबर को हिरासत में लिया.
घटनास्थल का मुआयना कर चुके एसपी ने कहा, ‘तीनों लड़के बच्ची को पहले से जानते थे और उन्होंने उससे फोन पर अश्लील वीडियो देखने को कहा. बच्ची द्वारा वीडियो देखने से मना करने पर लड़कों ने उसे पीटा जिससे उसकी मौत हो गई.’
मिश्रा ने कहा कि एक आरोपी के पिता को कथित तौर पर साक्ष्य छिपाने और पुलिस के साथ सहयोग नहीं करने के कारण गिरफ्तार किया गया है.
मणिपुरः ड्रग्स मामले के आरोपी के बरी होने पर पदक लौटाने वाली अधिकारी चुनाव लड़ेंगी
मणिपुर की पुलिस अधिकारी थोउनाओजम बृंदा (टी. बृंदा) का कहना है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव इम्फाल के यास्कुल निर्वाचन क्षेत्र से लड़ेंगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि उन्होंने अभी यह घोषणा नहीं की है कि वह किस पार्टी में शामिल हो रही हैं. ऐसी अफवाहें हैं कि वह भाजपा में शामिल हो सकती हैं.
बृंदा ने कहा कि उन्होंने मौजूदा व्यवस्था को बदलने के लिए राजनीति में जाने का फैसला किया है.
बृंदा ने कहा, ‘मैं लगातार हो रहे राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से सही तरीके से अपना काम नहीं कर पा रही हूं मेरा विजन युवाओं और गरीब लोगों के लिए काम कर उनका उत्थान करना है.’
गौरतलब है कि बृंदा ने अभी तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है. मालूम हो कि रविवार को बृंदा के समर्थन में एक चुनावी रैली को पुलिस द्वारा रोकने के बाद यास्कुल में उनके आवास के पास झड़प हुई थी.
पुलिसकर्मियों का कहना है कि रैली के लिए मिली आवश्यक मंजूरी के कागजात दिखाने में असफल रहने पर यह हुआ.
बता दें कि वह राज्य के नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर ब्यूरो (एनएबी) की पहली अधिकारी थीं, जिन्हें राज्य वीरता पुरस्कार दिया गया था.
सीमावर्ती राज्य में ड्रग्स की तस्करी और बिक्री के खिलाफ उनके निरंतर प्रयास के लिए अगस्त 2018 में भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया था और उन्हें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर भी पदोन्नत किया गया था.
हालांकि, 2018 के हाईप्रोफाइल ड्रग्स मामले में एडीसी के पूर्व अध्यक्ष चंदेल लुखाउसी जू को मणिपुर की विशेष नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) अदालत द्वारा बरी करने के बाद विरोधस्वरूप बृंदा ने यह वीरता पदक लौटा दिया था.
बृंदा द्वारा 18 दिसंबर को राज्य पुलिस का वीरता पुरस्कार वापस किए जाने से एक दिन पहले इम्फाल में विशेष नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएसए) अदालत ने उस शख्स (चंदेल ऑटोनॉमस जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष लुखाउसी जू) को रिहा कर दिया, जिसे बचाने का आरोप उन्होंने मुख्यमंत्री पर लगाया था.
जब उन्होंने चंदेल में लुखाउसी जू को 20 जून, 2018 को उनके आधिकारिक आवास पर छह अन्य लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में 27 करोड़ रुपये की कीमत के ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया था, तब वह भाजपा के सदस्य थे.
हालांकि, इस मामले के संबंध में बृंदा ने मणिपुर हाईकोर्ट में दाखिल किए गए 16 पेज के हलफनामे का हिस्सा रहे दस्तावेजों में कहा था कि खासतौर पर लुखाउसी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया था.
राज्य पुलिस द्वारा चार्जशीट दायर किए जाने के चार दिन बाद लुखाउसी को एनडीपीएस अदालत ने जमानत दे दी, जिसके बाद वह फरार हो गया. हालांकि, पिछले साल फरवरी में उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन एनडीपीएसए अदालत ने 21 मई को फिर से जमानत दे दी.
असमः होजई में सड़क परियोजना के लिए 5,000 पेड़ों की कटाई के प्रस्ताव का विरोध
असम सरकार के होजई के दबाका में साल के लगभग 5,000 पेड़ों को काटने के प्रस्ताव का इलाके के स्थानीय लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं. विशेष रूप से ऐसे समय में जब क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दिखना शुरू हो गया है.
ईस्टमोजो की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल असम में अनुमान से कम बारिश हुई है और ऐसे समय में वनों की कटाई इस क्षेत्र के लिए विनाशकारी हो सकती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के शोधकर्ताओं के हालिया विश्लेषण के मुताबिक, असम में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और बीते 20 सालों में वन संसाधनों की बर्बादी की वजह से 14.1 फीसदी वन क्षेत्र समाप्त हो गया है.
सूत्रों के मुताबिक, असम सरकार ने चार लेन सड़क निर्माण के लिए वनों की कटाई के प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है. हालांकि, वन विभाग ने अभी तक पेटों की कटाई की मंजूरी नहीं दी है.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कटाई के लिए क्षेत्र के पेड़ों का चिह्नित किया गया है.
बता दें कि यह वन लगभग 600 स्थानीय लोगों का घर है. ये लोग इस तथ्य से नाराज हैं कि विभाग ने पर्यावरण को नष्ट करने से पहले उनसे पूछने की जरूरत महसूस नहीं की.
यह परियोजना अभी अपने शुरुआती चरण में है औऱ इसे अभी तक असम वन विभाग ने मंजूरी नहीं दी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)