पूर्व कैग विनोद राय ने 2जी मामले में कांग्रेस नेता संजय निरूपम के ख़िलाफ़ टिप्पणी पर माफ़ी मांगी

साल 2014 में पूर्व कैग विनोद राय ने अपनी किताब में कांग्रेस नेता संजय निरूपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों के साथ किया था, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कैग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लेने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव डाला था. कांग्रेस ने कहा है कि संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश में विनोद राय मुख्य कठपुतली थे. उन्हें देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.

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विनोद राय. (फोटो साभार: Jakob Polacsek/World Economic Forum/CC BY-SA 2.0)

साल 2014 में पूर्व कैग विनोद राय ने अपनी किताब में कांग्रेस नेता संजय निरूपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों के साथ किया था, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कैग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लेने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव डाला था. कांग्रेस ने कहा है कि संप्रग सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश में विनोद राय मुख्य कठपुतली थे. उन्हें देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.

विनोद राय. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी – कैग) विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम शामिल न करने के लिए दबाव बनाने वालों में कांग्रेस नेता संजय निरूपम के नाम के उल्लेख पर बिना शर्त उनसे माफी मांग ली है.

राय ने अपनी किताब में निरूपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों के साथ किया था, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कैग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लेने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव डाला था.

साल 2014 में पूर्व सीएजी ने अपनी किताब Not Just an Accountant: The Diary of the Nation’s Conscience Keeper में ये आरोप लगाए थे और मीडिया (टाइम्स नाउ चैनल) को दिए साक्षात्कारों में इसे दोहराया था, जिसके बाद निरूपम ने राय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

पटियाला हाउस में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने राय की माफी स्वीकार करते हुए निरूपम का बयान दर्ज कर मामले का निपटारा कर दिया है.

निरूपम के वकील आरके हांडू ने बताया, ‘विनोद राय को मामले में बरी कर दिया गया है. चूंकि निरूपम ने उनकी माफी स्वीकार कर ली है, इसलिए उनका बयान दर्ज करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया गया है.’

पूर्व सीएजी ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरूपम के नाम का उल्लेख किया था.

उन्होंने अपने हलफनामे में कहा, ‘मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरूपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों में से एक के रूप में किया था, जिन्होंने लोकलेखा समिति (पीएसी) की बैठकों में या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकों से इतर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग की रिपोर्ट से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए दबाव डाला था.’

पूर्व सीएजी ने यह भी कहा है कि निरूपम के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.

राय ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा, ‘मैं समझता हूं कि मेरे बयान से संजय निरूपम, उनके परिवार और उनके शुभचिंतकों को ठेस पहुंची है और मैं इसके लिए बिना शर्त माफी मांगना चाहता हूं. मुझे उम्मीद है कि संजय निरूपम मेरी बिना शर्त माफी पर विचार करेंगे और स्वीकार करेंगे और इस मुद्दे को बंद कर देंगे.’

निरूपम ने बाद में कहा कि राय को 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्टों को लेकर देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों ‘फर्जी’ थीं.

उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘विनोद राय को इन फर्जी खबरों के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.’

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उनके रुख को सही ठहराया गया और पूर्व सीएजी ने उनके खिलाफ किए गए अपने गलत दावों के लिए माफी मांगी.

विनोद राय ने टाइम्स नाउ को दिए एक साक्षात्कार में, जिसे बाद में दो समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया था, पूर्व प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) पर विवादास्पद 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया था, जबकि कुछ मंत्रियों ने प्रक्रिया के बारे में चिंता व्यक्त की थी और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा सूचित भी किया गया था.

उन्होंने दावा किया कि था कांग्रेस के कुछ सांसदों ने उनसे 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन पर प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को इससे (ऑडिट रिपोर्ट) दूर रखने के लिए कहा था.

कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सच्चाई सामने आ गई है. उन्होंने कहा, ‘इस हलफनामे से डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को अपमानित करने के लिए स्पष्ट झूठ का पर्दाफाश होता है.’

सुरजेवाला ने ट्वीट के जरिये सवाल किया, ‘संजय निरूपम को उनकी दृढ़ता के लिए बधाई. क्या न्यूज चैनलों को भी माफी नहीं मांगनी चाहिए? क्या श्री विनोद राय को अब सार्वजनिक पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए?’

इसी तरह कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी विनोद राय पर सवाल उठाया और कहा कि 2जी एवं कोयला आवंटन पर अपनी ‘काल्पनिक’ रिपोर्ट्स के लिए उन्हें देश से मांफी मांगनी चाहिए.

निरूपम ने अपनी किताब और उसके बाद के साक्षात्कारों में राय के आरोपों का कड़ा विरोध किया था और 2014 में दिल्ली की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में आकलन व्यक्त किया था कि 2जी घोटाले की वजह से राजस्व को 1.76 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का भारी नुकसान हुआ. इससे उस समय की यूपीए सरकार हिल उठी थी.

हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों को बरी करते हुए कहा था, ‘कुछ लोगों ने चालाकी से कुछ चुनिंदा तथ्यों का इंतजाम किया और एक घोटाला पैदा कर दिया, जबकि कुछ हुआ ही नहीं था.’

सीबीआई ने अपने आरोप-पत्र में कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन में राजस्व को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. उच्चतम न्यायालय ने दो फरवरी 2012 को लाइसेंस आवंटन निरस्त कर दिए थे.

संप्रग सरकार के खिलाफ साजिश में ‘मुख्य कठपुतली’ थे राय, देश से माफी मांगें: कांग्रेस

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले को लेकर किए गए एक दावे पर पूर्व सांसद संजय निरूपम से पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय के माफी मांगने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि ‘संप्रग सरकार को बदनाम करने और एक मजबूत अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के षड्यंत्र’ में राय एक ‘मुख्य कठपुतली’ थे और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए.

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि ‘इस साजिश की अन्य कठपुतलियों’ अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, बाबा रामदेव, वीके सिंह और कुछ अन्य लोगों को भी क्षमा मांगनी चाहिए.

कांग्रेस के दावे पर फिलहाल राय और अन्य व्यक्तियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बदनाम करने का एक आपराधिक षड्यंत्र था जिससे पर्दा धीरे-धीरे उठ रहा है. पहली बार इस पर से पर्दा उस समय उठा था, जब सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 सितंबर, 2017 को अपना फैसला सुनाया था, जिसमें सभी आरोपों की धज्जियां उड़ाई गई थीं. दूसरी बार पर्दा उस समय उठा था जब सीबीआई के वकील ने कोयला आवंटन मामले में मनमोहन सिंह को क्लीन चिट दी थी.’

उन्होंने दावा किया, ‘अब तीसरी बार पर्दा खुद विनोद राय ने उठाया है, जो खुद इस मामले में मुख्य कठपुतली थे. राय ने स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था, अपनी किताब बेचने के लिए बार-बार झूठ बोला और संजय निरूपम का नाम लिया. निरूपम उनको अदालत में ले गए और फिर राय ने माफी मांग ली.’

कांग्रेस नेता ने राय पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘जो आम आदमी किताब बेचने के लिए इतना बड़ा झूठ बोल सकता है, वह अपने आकाओं का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए क्या-क्या कर सकता है?’

खेड़ा ने दावा किया, ‘इसमें राय इकलौते षड्यंत्रकारी नहीं थे. कई और थे, जो आज विभिन्न पदों पर हैं. वीके सिंह मोदी सरकार में सात साल से मंत्री हैं. अरविंद केजरीवाल, जो कहते थे कि राजनीति में नहीं आऊंगा, वो आज मोदी जी के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार चला रहे हैं. किरण बेदी को पहले दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास हुआ और बाद में पुडुचेरी का उप-राज्यपाल बनाया गया. बाबा रामदेव एक समृद्ध व्यापारी बन गए. स्वयं विनोद राय को कई तरह से उपकृत किया गया.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘अब तो सीएजी की रिपोर्ट पर मीडिया में चर्चा तो छोड़ दीजिए, संसद के भीतर भी चर्चा नहीं होती. क्या ये षड्यंत्रकारी एक चुनी हुई सरकार को बदनाम करने और मजबूत अर्थव्यवस्था को उतारने के षड्यंत्रकारी थे.’

खेड़ा ने कहा, ‘कठपुतली नंबर एक-विनोद राय से हमारा यह कहना है कि वह अब पूरे देश से माफी मांगें. अगर थोड़ा ईमान बचा है तो अपना मेहनताना सरकारी खजाने में लौटा दें. बाकी कठपुतलियों से भी कहना है कि वो भी इस देश से माफी मांगें. आका को जवाब देने के लिए जनता तैयार है.’’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)