साल 2020 में 11,000 से अधिक कारोबारियों ने ख़ुदकुशी की, 29 फीसदी की बढ़ोतरी: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2019 में 9,052 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, जो साल 2020 में 29 फीसदी बढ़कर 11,716 हो गई.

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(फोटो: रॉयटर्स)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2019 में 9,052 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, जो साल 2020 में 29 फीसदी बढ़कर 11,716 हो गई.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: साल 2020 में 11,716 व्यापारियों ने आत्महत्या कर लिया जो इसके पिछले साल की तुलना में 29 फीसदी अधिक है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में 9,052 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, लेकिन साल 2020 में इस तरह के मामलों में 2,664 की बढ़ोतरी हुई है.

मालूम हो कि यह वही समय था, जब देश में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी और व्यापक स्तर पर लोगों को नुकसान झेलना पड़ा था.

साल 2020 में कुल व्यापारियों द्वारा की आत्महत्या में से ‘व्यापारी दुकानदारों’ की संख्या 4,356 है, जो इसके पिछले साल 2019 में 2,906 आत्महत्या की तुलना में दोगुनी है. इस दौरान 4,226 ‘विक्रताओं’ ने भी आत्महत्या किया.

सबसे ज्यादा कर्नाटक में 1,772 व्यापारियों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आए, जो साल 2019 में यहां हुए 875 आत्महत्याओं की तुलना में 103 फीसदी अधिक है.

इसी तरह महाराष्ट्र में साल 202 में 1,610 व्यापारियों ने आत्महत्या की, जो इसके पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी अधिक है. तमिलनाडु में ऐसे 1,447 लोगों ने आत्महत्या की, जो साल 2019 की तुलना में 36 फीसदी अधिक है.

जेएनयू के सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रोफेसर प्रवीण झा ने द प्रिंट को बताया, ‘भारत के व्यवसायी समुदाय का बड़ा हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का है, कोविड-19 ने उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है.’

उन्होंने आगे कहा कि इन छोटे व्यापारियों को सरकार ने जो भी समर्थन दिया है, वो काफी कम और काफी देरी से दिया गया था.

दिल्ली में सामाजिक विज्ञान संस्थान के अर्थशास्त्री और प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा, ‘जब लोगों ने दुकानों और बाजारों में जाना बंद कर दिया और सब कुछ ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया, तो इससे स्थानीय दुकानदारों को चोट पहुंची है. इनमें से अधिकांश सूक्ष्म संस्थाएं बहुत छोटी पूंजी पर काम करती हैं, इसलिए यदि लंबे समय तक उनका काम नहीं चलता है तो जल्द उनके पैसे खत्म हो जाते हैं. हाथ में पैसा नहीं, इसके बावजूद परिवार को चलाने का भार उन्हें अवसाद में ढकेल देता है.’

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1,000 एमएसएमई उद्यमियों के बीच कराए गए एक सर्वे में पता चला था कि इसमें से 70 फीसदी से अधिक लोग कोरोना महामारी से प्रभावित हुए थे, जहां उनके ऑर्डर में गिरावट आ गई थी और बिजनेस में नुकसान हुआ था.

भारत में सभी उद्यमों में एमएसएमई की हिस्सेदारी लगभग 99 फीसदी है.

राज्यसभा सांसद के. केशव राव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण एमएसएमई को हुए नुकसान का पता लगाने के लिए सरकार द्वारा कोई अध्ययन नहीं किया गया. साथ ही उन्होंने मामले की विस्तृत जांच कराने की भी मांग की थी.

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