2019-20 में क्षेत्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से जुटाए 445.77 करोड़ रुपये: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को 803.24 करोड़ रुपये दान मिला, जिसमें 426.23 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए और क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान से 4.97 करोड़ रुपये एकत्र किए, जिसमें से 55.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया.

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(फोटो: रॉयटर्स)

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को 803.24 करोड़ रुपये दान मिला, जिसमें 426.23 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए और क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान से 4.97 करोड़ रुपये एकत्र किए, जिसमें से 55.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि क्षेत्रीय दलों ने 2019-20 में अज्ञात स्रोतों से 445.77 करोड़ रुपये जुटाए, जो उनकी कुल आय का 55.50 प्रतिशत है.

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें से 95.616 प्रतिशत या 426.23 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए और क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान से 4.97 करोड़ रुपये एकत्र किए.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के पास दाखिल दलों के आयकर रिटर्न और चंदे के विवरण के विश्लेषण से पता चलता है कि स्रोत काफी हद तक अज्ञात हैं.

वर्तमान में, राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से कम देने वाले लोगों या संगठनों के नाम का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है. परिणामस्वरूप, धन के एक बड़े हिस्से के स्रोत का पता नहीं लगाया जा सकता है और ये धन ‘अज्ञात’ स्रोतों से हैं.’

एडीआर ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की योगदान रिपोर्ट वेबसाइट पर उपलब्ध है, लेकिन इन दलों के चंदे के आंकड़े वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए उनकी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट तथा योगदान रिपोर्ट (20,000 रुपये से अधिक का चंदा) में घोषित विसंगतियों को दर्शाते हैं.

एडीआर ने कहा कि आप, आईयूएमएल और लोजपा द्वारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट में घोषित कुल योगदान की राशि उनके द्वारा घोषित कुल चंदा (केवल 20,000 रुपये से अधिक) की राशि से क्रमश: 6.10 करोड़ रुपये, 31.20 लाख रुपये और 4.16 लाख रुपये से कम है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, अज्ञात स्रोतों से क्षेत्रीय दलों की कुल आय 445.77 करोड़ रुपये थी और उनकी कुल आय का 55.50 प्रतिशत थी, जैसा कि उनकी ऑडिट रिपोर्ट में घोषित किया गया.’

सर्वाधिक अज्ञात आय घोषित करने वाले कुछ शीर्ष क्षेत्रीय दलों में तेलंगाना राष्ट्र समिति (89.158 करोड़ रुपये), तेलगू देशम पार्टी (81.69 करोड़ रुपये), युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसी) (74.75 करोड़ रुपये), बीजू जनता दल (50.58 करोड़ रुपये) और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) (45.50 करोड़ रुपये) शामिल हैं.

एडीआर ने कहा कि ज्ञात चंदा दाताओं से राजनीतिक दलों की कुल आय (निर्वाचन आयोग को दलों द्वारा प्रस्तुत योगदान रिपोर्ट से उपलब्ध चंदा दाताओं का विवरण) 184.62 करोड़ रुपये है, जो इन दलों की कुल आय का 22.98 प्रतिशत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य ज्ञात स्रोतों (सदस्यता शुल्क, बैंक ब्याज, प्रचार सामग्री की बिक्री, पार्टी शुल्क आदि) से राजनीतिक दलों को 172.84 करोड़ रुपये की आय हुई, जो कुल आय का 21.52 प्रतिशत है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को मिला कुल दान 803.24 करोड़ रुपये था, जबकि 445.7 करोड़ रुपये ‘अज्ञात’ स्रोतों से दिए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय दलों को ‘अज्ञात’ स्रोतों से प्राप्त चंदा उनकी आय का 70.98 प्रतिशत तक जोड़ा गया.

एडीआर ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 के 23 क्षेत्रीय दलों के चंदा का विश्लेषण किया गया, जिन्होंने अपनी वार्षिक ऑडिट और योगदान रिपोर्ट दर्ज की थी,  उनकी कुल आय 885.956 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 481.276 करोड़ रुपये (54.32 प्रतिशत) ‘अज्ञात’ स्रोत से आए थे.

एडीआर ने कहा, ‘चूंकि राजनीतिक दलों की आय का एक बहुत बड़े प्रतिशत के मूल दाता को नहीं पता लगाया जा सकता है, इसलिए सभी दाताओं का पूरा विवरण आरटीआई के तहत सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए.’

इसने सुझाव दिया कि विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले किसी भी संगठन को किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के समर्थन या प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के चुनावी खर्च के बयान के अनुसार, भाजपा ने इस साल असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में हुए चुनावों में 252 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से 151.18 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार के लिए खर्च किए गए.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि उसने पश्चिम बंगाल चुनावों पर 154.28 करोड़ रुपये खर्च किए.

मालूम हो साल 2019-20 में गोपनीय एवं विवादित चुनावी बॉन्ड के जरिये सबसे ज्यादा भाजपा को फायदा हुआ था. साल 2019-20 में बेचे गुए कुल चुनावी बॉन्ड राशि का 75 फीसदी हिस्सा भाजपा को प्राप्त हुआ था.

वहीं, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को इसमें से महज नौ फीसदी ही राशि प्राप्त हो सकी है. इस दौरान कुल 3,435 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.

साल 2019-20 में भाजपा को कुल 3,427 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जिसमें से 2,555 करोड़ रुपये सिर्फ चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए हैं.

वहीं, इस बीच कांग्रेस को कुल 469 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें से 318 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले हैं. साल 2018-19 में कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड से 383 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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