प्राथमिकी रद्द करने के लिए हाईकोर्ट ‘मसौदा चार्जशीट’ पर भरोसा नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में यह टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्णय के विरुद्ध दायर अपील पर की, जिसमें उसने राजकोट में एक भूखंड के ख़रीदारों से धन ऐंठने के आरोप में कई लोगों के ख़िलाफ़ दायर प्राथमिकी रद्द कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा करते हुए अपनी शक्तियों की ‘सीमाओं का उल्लंघन’ किया.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट में यह टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्णय के विरुद्ध दायर अपील पर की, जिसमें उसने राजकोट में एक भूखंड के ख़रीदारों से धन ऐंठने के आरोप में कई लोगों के ख़िलाफ़ दायर प्राथमिकी रद्द कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा करते हुए अपनी शक्तियों की ‘सीमाओं का उल्लंघन’ किया.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में शुक्रवार को कहा कि आपराधिक मुकदमा निरस्त करने के लिए उच्च न्यायालय उस मसौदा आरोप पत्र पर भरोसा नहीं कर सकता, जिसे पुलिस ने अभी तक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर ही नहीं किया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बहुत ही पुराना कानून है कि उच्च न्यायालयों को अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल ‘संयम और सावधानी के साथ’ करना चाहिए.

शीर्ष अदालत का यह फैसला गुजरात उच्च न्यायालय के उस निर्णय के खिलाफ दायर एक आपराधिक अपील पर आया, जिसमें उसने आठ जनवरी, 2019 को राजकोट में एक भूखंड के खरीदारों से धन ऐंठने के आरोप में कई लोगों के खिलाफ दायर प्राथमिकी रद्द कर दी थी.

उच्च न्यायालय ने पुलिस को कुल नौ में से दो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.

इसने पुलिस को मजिस्ट्रेट अदालत में आरोप पत्र दायर करने से पहले मसौदा आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था और उसके अवलोकन के बाद कुछ आरोपियों के खिलाफ दायर प्राथमिकी खारिज कर दी थी.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए ‘सीमाओं का उल्लंघन’ किया.

फैसले में कहा गया है, ‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी और सभी परिणामी कार्यवाही को रद्द करने में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल की सीमाओं का उल्लंघन किया है. उच्च न्यायालय द्वारा प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग किया गया है. हम तदनुसार उच्च न्यायालय के आठ जनवरी 2019 के संबंधित निर्णय और आदेश को निरस्त करते हैं और आपराधिक अपीलों की अनुमति देते हैं.’

पीठ के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया है, ‘यह स्थापित कानून है कि उच्च न्यायालय को धारा 482 (आपराधिक मामलों को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालयों की शक्ति) के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल संयम और सावधानी से करना चाहिए.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पीठ ने दो कानूनी पदों के बीच अंतर किया और कहा कि उच्च न्यायालयों को सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला करते समय मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर करने के बाद पुलिस द्वारा जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को ध्यान में रखना चाहिए.

पीठ ने अपने 27 पन्नों के फैसले में कहा, ‘हालांकि, उच्च न्यायालय एक ‘मसौदा आरोप पत्र’ पर भरोसा नहीं कर सकता, जिसे धारा 482 के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने रखा जाना शेष है.’

फैसले में कहा गया है कि उच्च न्यायालय न तो किसी जांच एजेंसी को उसके सामने जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दे सकता है और न ही वह धारा 482 के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर सकता है, जब रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत नहीं की गई हो.

मामले की तथ्यात्मक स्थिति का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय की पीठ ने 2 मई 2016 के अपने अंतरिम आदेश में आरोपी के खिलाफ जांच जारी रखने की अनुमति दी थी, लेकिन निर्देश दिया कि इसकी अनुमति के बिना अंतिम रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत नहीं की जा सकती है.

अदालत ने कहा, ‘अंतरिम निर्देश सीआरपीसी के तहत परिकल्पित जांच प्रक्रिया में एक अनावश्यक हस्तक्षेप था. उच्च न्यायालय ने पुलिस को मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप-पत्र प्रस्तुत करने से रोककर और उसके समक्ष कार्यवाही में ‘मसौदा आरोप पत्र’ की सामग्री का अध्ययन करके उसे प्रदान की गई शक्तियों के दायरे का उल्लंघन किया.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq