मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का मेघालय तबादला करने के प्रस्ताव के विरोध में उतरे वकील

मद्रास हाईकोर्ट के 200 से अधिक वकीलों ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी के तबादले के प्रस्ताव को देश के चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में ईमानदार व निडर जज के ख़िलाफ़ दंडात्मक क़दम बताया है. 2019 में इसी हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला भी मेघालय हाईकोर्ट में किया गया था, जिसके बारे में दायर पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. 

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मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

मद्रास हाईकोर्ट के 200 से अधिक वकीलों ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी के तबादले के प्रस्ताव को देश के चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में ईमानदार व निडर जज के ख़िलाफ़ दंडात्मक क़दम बताया है. 2019 में इसी हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला भी मेघालय हाईकोर्ट में किया गया था, जिसके बारे में दायर पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

चेन्नईः मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी का तबादला मेघालय किए जाने का विरोध करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के 200 से अधिक वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को पत्र भेजा है और इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है.

वकीलों  ने 11 नवंबर को यह पत्र लिखा है और इसमें चीफ जस्टिस को संबोधित किया गया है और इसकी प्रतियां कॉलेजियम के अन्य सदस्यों को भेजी गई है. इस पत्र में तबादले के प्रस्ताव को ईमानदार और निडर न्यायाधीश के खिलाफ दंडात्मक कदम बताया गया है.

इस 12 पन्नों के ज्ञापन में वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वैगई और वी. प्रकाश समेत 237 वकीलों ने दस्तखत किए हैं. वकील एनजीआर प्रसाद और सुधा रामलिंगम ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.

इसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस बनर्जी का 75 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या वाले मद्रास हाईकोर्ट से 2013 में स्थापित मेघालय हाईकोर्ट में स्थानांतरण चिंताजनक प्रश्न उठाता है, जिसमें वर्तमान में न्यायाधीशों की संख्या केवल दो है.

ज्ञापन के अनुसार, ‘न्याय के लिए तबादला सैद्धांतिक रूप से जरूरी हो सकता है, लेकिन बार के सदस्यों को यह जानने का अधिकार है कि आखिर क्यों एक सक्षम, निडर और एक बड़े हाईकोर्ट के कुशल प्रशासक, जहां एक वर्ष में 35,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, का तबादला ऐसे हाईकोर्ट में किया जाना चाहिए जहां एक महीने में आने वाले मामलों की कुल संख्या औसतन 70-75 ही है.’

पत्र में कहा गया है, ‘चीफ जस्टिस बनर्जी ने अपनी संवैधानिक और वैधानिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए हर स्तर पर अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की है.’

वकीलों ने पत्र में कहा है कि उन्हें निष्पक्ष माना जाता है, वह न्याय प्रणाली के कामकाज में सुधार के लिए सभी वर्गों से सुझाव प्राप्त करते हैं और न्यायपालिका को मजबूत करने के लिए उन्होंने सक्रिय कदम उठाये हैं.

वकीलों ने पत्र में कहा, ‘हर कुछ महीनों में नेतृत्व में बदलाव का सिर्फ हाईकोर्ट के प्रशासनिक कामकाज पर ही प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों में देरी होगी.’

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस साल 16 सितंबर को जस्टिस बनर्जी के तबादले की सिफारिश करने का फैसला लिया था लेकिन इस फैसले को नौ नवंबर को सार्वजनिक किया गया.

चीफ जस्टिस बनर्जी ने 4 जनवरी, 2021 को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कामकाज संभाला और वह नवंबर, 2023 में सेवानिवृत्त हो सकते हैं.

रोचक बात यह है कि इससे पहले 2019 में मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहीं जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला भी मेघालय हाईकोर्ट में ही किया गया था और उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने मेघालय हाईकोर्ट में अपने तबादले और मामले में पुनर्विचार की अपनी याचिका खारिज किए जाने के बाद विरोध दर्ज कराने के लिए छह सितंबर को त्यागपत्र सौंप दिया और राष्ट्रपति ने 20 सितंबर, 2019 को उसे स्वीकार कर लिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)