महाराष्ट्र में गढ़चिरौली में मारे गए 26 नक्सलियों में मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल: पुलिस

महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस कार्रवाई में कम से कम 26 नक्सलियों की मौत हुई है, जिसमें उनके एक बड़े नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल हैं. मिलिंद भीमा-कोरेगांव माओवादी मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक हैं.

महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस कार्रवाई में कम से कम 26 नक्सलियों की मौत हुई है, जिसमें उनके एक बड़े नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल हैं. मिलिंद भीमा-कोरेगांव माओवादी मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक हैं.

मिलिंद तेलतुम्बड़े.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में माओवादी संगठन के बड़े नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि शनिवार को सी-60 पुलिस कमांडो दल ने सुबह कोर्ची के मर्दिनटोला वन क्षेत्र में तलाश अभियान शुरू किया था, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई.

मुठभेड़ के बाद सी-60 कमांडो ने घटनास्थल से 26 नक्सलियों के शव बरामद किए और माना जा रहा था कि इस मुठभेड़ में तेलतुम्बड़े भी मारे गए हैं. बहुचर्चित भीमा-कोरेगांव माओवादी मामले में भी वह प्रमुख आरोपियों में से एक हैं.

राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की ‘तेलतुम्बड़े मारे गए नक्सलियों में शामिल हैं.’ उन पर 50 लाख रुपये का इनाम था. पुलिस का दावा है कि वह केंद्रीय समिति के सदस्य और महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) क्षेत्र के प्रभारी थे.

मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें उपचार के लिए हेलीकॉप्टर से नागपुर ले जाया गया है. यह जिला छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है.

मालूम हो कि तेलतुम्बड़े अकादमिक और नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के बड़े भाई हैं, जिन्हें साल 2018 के एल्गार परिषद मामले में अप्रैल, 2020 में गिरफ्तार किया गया था.

तेलतुम्बड़े यवतमाल जिले के वानी तालुका के राजूर गांव के रहने वाले हैं.

महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस कार्रवाई में कम से कम 26 नक्सलियों की मौत हुई है, जिसमें मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल हैं. पाटिल ने कहा कि अब नक्सल आंदोलन की ‘कमर टूट चुकी है.’

इन 26 लोगों में से अब तक पुलिस ने 16 की पहचान कर ली है और 10 लोगों की पहचान किया जाना अभी बाकी है, जिसमें चार महिलाएं हैं.

तेलतुम्बड़े के बॉडीगार्ड विमला उर्फ ​​इमला उर्फ ​​कमला उर्फ ​​मानसो सुखाराम बोगा भी मृतकों में शामिल हैं. ये कार्रवाई गढ़चिरौली पुलिस और क्षेत्र में नक्सल आंदोलन से निपटने के लिए विशेष रूप से स्थापित विशेष सी-60 कमांडो द्वारा की गई है.

पुलिस ने तेलतुम्बड़े के अलावा डिवीजन कमेटी के दो अन्य सदस्यों महेश उर्फ ​​शिवाजी रावजी गोटा और लोकेश उर्फ ​​मंगू पोद्याम उर्फ ​​मडकम को भी गोली मारने का दावा किया है.

पुलिस ने दावा किया है कि एटापल्ली तालुका के रेगाड़ी गुट्टा निवासी गोटा के सिर पर 16 लाख रुपये का इनाम था. वहीं पुलिस का कहना है कि पोद्याम आतंकी गतिविधियों के कई मामलों में वांछित थे और उन पर 20 लाख रुपये का इनाम था. पुलिस के मुताबिक पोद्याम छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जगरगुंडा गांव के रहने वाले थे.

मिलिंद तेलतुम्बड़े की पार्टनर एंजेला सोनटाक्के, जो कथित माओवादी गतिविधियों के एक अन्य मामले में मुकदमे का सामना कर रही हैं और वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं, को गढ़चिलौली जिले में घुसने से रोक दिया गया है. वह अभी पुलिस की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं, ताकि वो तेलतुम्बड़े की मौत की पुष्टि कर सकें.

पुलिस के एक सूत्र ने द वायर  को बताया, ‘जानकारी मिली था कि कोरची दलम (नक्सल दल) के सदस्य इस क्षेत्र में डेरा डाले रहेंगे. हमारी पुलिस टीम ने तुरंत कोऑर्डिनेट किया, इसकी पुष्टि की और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. चूंकि हमारी टीम में 500 से अधिक कमांडो थे, इसलिए हम उन (नक्सलियों) पर काबू पाने में सक्षम थे.’

इस अभियान के दौरान घायल होने वाले पुलिसकर्मियों में रवींद्र नैतम (42), सर्वेश्वर अतराम (34), महरू कुदमेठे (34) और टीकाराम कटांगे (41) शामिल हैं.

जब से बीती रात हत्याओं की खबर सार्वजनिक हुई, तब से कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों से जीपीएस ट्रैकर के जरिये तेलतुम्बड़े की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही थी.

पुलिस खुफिया इकाई के एक सूत्र ने दावा किया, ‘एक (जीपीएस) ट्रैकर उस खाद्यान्न में डाल दिया गया था जिसे नक्सलियों ने पास के एक पीडीएस आउटलेट से उठाया था. इससे हमें दलम की स्थिति की सटीक जानकारी मिली.’

ये हत्याएं देश में नक्सल आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका हैं. बीते 12 नवंबर को वरिष्ठ माओवादी नेता प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन-दा को उनकी पत्नी शीला मरांडी उर्फ ​​शोभा-दी के साथ झारखंड से गिरफ्तार किया गया था.

बोस 40 साल से अधिक समय से पुलिस से बचते आ रहे थे. बोस को भी एल्गार परिषद मामले में फरार आरोपी के रूप में नामित किया गया है. मामले में फरार बताए गए अन्य लोगों में प्रकाश उर्फ ​​ऋतुपर्ण गोस्वामी, कॉमरेड दीपू और कॉमरेड मंगलू शामिल हैं.

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