त्रिपुरा में कोई मस्जिद क्षतिग्रस्त नहीं हुई, कोई घायल या मृत नहीं: केंद्र सरकार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि त्रिपुरा में मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित ख़बरें फ़र्ज़ी हैं और ऐसी किसी भी घटना में साधारण या गंभीर रूप से घायल होने, बलात्कार या किसी की मौत की कोई सूचना नहीं है जैसा कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.

त्रिपुरा में हुई हिंसा और फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्यों पर दर्ज यूएपीए के मामले के विरोध में दिल्ली के त्रिपुरा भवन पर नवंबर 2021 में हुआ प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि त्रिपुरा में मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित ख़बरें फ़र्ज़ी हैं और ऐसी किसी भी घटना में साधारण या गंभीर रूप से घायल होने, बलात्कार या किसी की मौत की कोई सूचना नहीं है जैसा कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.

त्रिपुरा में हुई हिंसा और फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्यों पर दर्ज यूएपीए के मामले के विरोध में दिल्ली के त्रिपुरा भवन पर हुआ प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि त्रिपुरा में एक मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरें फर्जी हैं और गलतबयानी की गई है.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि त्रिपुरा में ऐसी किसी भी घटना में साधारण या गंभीर रूप से घायल होने अथवा बलात्कार या किसी व्यक्ति की मौत की कोई सूचना नहीं है जैसा कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.

गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि हाल के दिनों में त्रिपुरा में किसी मस्जिद के ढांचे के क्षतिग्रस्त होने का कोई मामला सामने नहीं आया है और लोगों को शांत रहना चाहिए और ऐसी फर्जी खबरों से गुमराह नहीं होना चाहिए.

मंत्रालय ने कहा है, ‘ऐसी खबरें फैलायी गई है कि त्रिपुरा में गोमती जिले के काकराबन इलाके में एक मस्जिद को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. ये खबरें फर्जी हैं और गलतबयानी हैं.’

गृह मंत्रालय ने कहा कि काकराबन के दरगाबाजार इलाके में मस्जिद को नुकसान नहीं हुआ है और गोमती जिले में त्रिपुरा पुलिस शांति बनाए रखने के लिए काम कर रही है.

गृह मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र में, हिंसा और आपत्तिजनक बयानबाजी की सूचना मिली है, जिनका उद्देश्य त्रिपुरा के बारे में फर्जी खबरों के आधार पर शांति और सद्भाव को बिगाड़ना है.

मंत्रालय ने कहा, ‘यह बहुत चिंताजनक है और यह आग्रह किया जाता है कि हर कीमत पर शांति बनाए रखी जाए.’

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि हाल के दिनों में त्रिपुरा में किसी भी मस्जिद के ढांचे को नुकसान पहुंचाने का कोई मामला सामने नहीं आया है.

मंत्रालय ने कहा, ‘इन घटनाओं में किसी व्यक्ति के साधारण या गंभीर रूप से जख्मी होने अथवा बलात्कार या मौत की कोई शिकायत नहीं मिली है जैसा कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया है.’

मालूम हो कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में 26 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद की एक रैली के दौरान त्रिपुरा के चमटिल्ला में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई थी.

पुलिस के अनुसार, पास के रोवा बाजार में कथित तौर पर मुसलमानों के स्वामित्व वाले तीन घरों और कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई.

हालांकि इसके बाद राज्य सरकार ने 29 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि निहित स्वार्थों वाले एक बाहरी समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक जलती हुई मस्जिद की नकली तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और उसकी छवि खराब करने के लिए प्रशासन के खिलाफ साजिश रची थी.

इसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया था. यह मामला राज्य में मुसलमानों को निशाना बना कर हुई हालिया हिंसा पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामाजिक वैमनस्य को कथित तौर पर बढ़ावा देने को लेकर दर्ज किया गया था.

6 नवंबर को त्रिपुरा पुलिस ने 102 सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने आरोपों में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था.

इसके अलावा पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को नोटिस जारी कर उन लोगों के एकाउंट को बंद करने तथा उन लोगों की सभी सामग्री से अवगत कराने को कहा था.

पुलिस ने अपने नोटिस में यह आरोप लगाते हुए कि ‘सोशल मीडिया पोस्ट्स के चलते त्रिपुरा में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की क्षमता है, जिसके परिणामस्वरूप दंगे हो सकते हैं’ कहा था कि इन खाताधारकों ने राज्य में हाल ही में हुई झड़प और मुस्लिम समुदायों की मस्जिदों पर कथित हमले से जुड़े भ्रामक और आपत्तिजनक समाचार/बयान पोस्ट किए हैं.’

उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा में हुई घटनाओं के विरोध में शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों द्वारा निकाली गई रैलियों के बाद महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हिंसा हुई है.

महाराष्ट्र के अमरावती में, त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ अत्याचार को रोकने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपने के लिए शुक्रवार को 8,000 से अधिक लोग जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर जमा हुए थे. अमरावती, नांदेड़, मालेगांव, वाशिम और यवतमाल से हिंसा की सूचना मिली थी.

शुक्रवार की घटनाओं के संबंध में पुलिस ने अब तक दंगा सहित विभिन्न आरोपों में 20 प्राथमिकी दर्ज कर 20 लोगों को गिरफ्तार किया है और चार अन्य को हिरासत में लिया है.

त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर हुईं पथराव की घटनाओं की कड़ी निंदा की है. उन्होंने सभी वर्गों के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि त्रिपुरा में एक धार्मिक समुदाय पर हमले की घटना अफवाह है.

उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा में कोई मस्जिद नहीं जलाई गई. सोशल मीडिया पर अन्य देशों की फर्जी तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा को बदनाम किया जा रहा है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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