त्रिपुरा भाजपा विधायक ने डीजीपी को लिखा पत्र, कहा- लोगों का पुलिस में विश्वास ख़त्म हो रहा

भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन का यह पत्र त्रिपुरा के उत्तरी ज़िले के पानीसागर उप-मंडल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे लोगों पर यूएपीए तहत केस दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की व्यापक आलोचना के बीच आया है.

//
सुदीप रॉय बर्मन (फोटो साभार: फेसबुक)

भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन का यह पत्र त्रिपुरा के उत्तरी ज़िले के पानीसागर उप-मंडल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे लोगों पर यूएपीए तहत केस दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की व्यापक आलोचना के बीच आया है.

भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन. (फोटो साभार: फेसबुक)

अगरतला: त्रिपुरा के सत्तारूढ़ भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने कहा है कि त्रिपुरा के लोगों का राज्य पुलिस पर से विश्वास उठ रहा है. इसे लेकर उन्होंने राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) वीएस यादव को एक पत्र लिखा है.

बर्मन का ये बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब राज्य के विभिन्न हिस्सों में भाजपा समेत सभी पार्टियों के नेताओं पर कथित हमले की खबरें आ रही हैं. राज्य में 25 नवंबर को शहरी स्थानीय निकायों का चुनाव होने वाला है.

बीते 12 नवंबर को लिखे पत्र में बर्मन ने डीजीपी से 6 अगरतला विधानसभा क्षेत्र के आठ वार्डों को ‘सबसे कमजोर और अतिसंवेदनशील’ घोषित करने का आग्रह किया है.

बर्मन ने पत्र में आरोप लगाया है कि मतदाताओं में भय का माहौल है और वे खतरे में हैं.

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह देखकर दुख होता है कि लोगों का पुलिस पर से विश्वास तेजी से कम होता जा रहा है. बदमाश और अपराधी मौज-मस्ती कर रहे हैं और कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, लेकिन पुलिस दबाव में झुक जा रही है.’

बर्मन ने आगे कहा, ‘एक जन प्रतिनिधि होने के नाते मुझे आप और आपके कार्यालय पर बहुत भरोसा है और विश्वास है कि आप आम लोगों के खोए हुए विश्वास को वापस पाने के लिए सभी आवश्यक और साहसिक कदम उठाएंगे.’

उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पूरा आतंक का माहौल बनाया जा रहा है, ताकि मतदाता वोट न डाल सकें. भाजपा नेता ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि वार्ड नं. 13 के एक उम्मीदवार ने अल्पसंख्यक समुदायों को धमकी दी है, वे वोट डालने न आएं, नहीं तो इसका उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

यह पत्र त्रिपुरा के उत्तरी जिले के पानीसागर उप-मंडल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठा रहे लोगों पर यूएपीए तहत केस दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की व्यापक आलोचना के बीच आया है.

बर्मन ने अपने पत्र में कहा है कि उन्हें भाटी अभयनगर, बिटरबन, मुल्ला पारा, दासपारा, ऋषि कॉलोनी में विभिन्न वर्गों के लोगों से ‘नियमित धमकियों’ के बारे में कई शिकायतें मिली हैं.

उन्होंने राज्य के पुलिस प्रमुख से मांग की है कि वे इसे लेकर जरूरी कदम उठाएं, ताकि लोग भयमुक्त होकर मतदान कर सकें.

इस बीच राज्य में विपक्षी दलों माकपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं और सत्तारूढ़ भाजपा पर नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले विपक्षी दलों के उम्मीदवारों पर कथित रूप से हमला करने का आरोप लगाया है.

माकपा की राज्य समिति के सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि माकपा समेत विपक्षी उम्मीदवारों पर हमले के सिलसिले में 20 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं.

इससे पहले जून 2019 में सुदीप रॉय बर्मन, जो उस समय त्रिपुरा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री थे, को राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था.

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि बर्मन को उनकी ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के कारण राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. ऐसा भी कहा जाता है कि जब वह राज्य मंत्रिपरिषद में थे, तब मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के साथ उनके अच्छे संबंध नहीं थे.

बर्मन पांच बार के विधायक हैं और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं.

बर्मन, जो त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री समीर रंजन बर्मन के बेटे हैं, ने साल 2016 में कांग्रेस छोड़ दी थी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. एक साल बाद वह और तृणमूल कांग्रेस के पांच अन्य विधायक भाजपा में शामिल हो गए.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)