महाराष्ट्र परिवहन निगम कर्मचारी हड़ताल: 238 अस्थायी कर्मियों की सेवाएं ख़त्म, 297 कर्मचारी निलंबित

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी निगम का राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर बीते 28 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों के संकट से निपटने के लिए प्रबंधन ने दैनिक वेतन के आधार पर ड्राइवर, कंडक्टर और लिपिक पदों के लिए नए सिरे से भर्ती शुरू करने का फ़ैसला लिया है.

हड़ताल के दौरान पनवेल में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम डिपो. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी निगम का राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर बीते 28 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों के संकट से निपटने के लिए प्रबंधन ने दैनिक वेतन के आधार पर ड्राइवर, कंडक्टर और लिपिक पदों के लिए नए सिरे से भर्ती शुरू करने का फ़ैसला लिया है.

हड़ताल के दौरान पनवेल में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम का डिपो. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देनजर शुक्रवार को निगम के 238 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं और 297 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि 2,296 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नोटिस भेजे गए और 238 कर्मचारियों की सेवाएं पहले चरण में समाप्त की गई हैं और आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘इस सप्ताह की शुरुआत में 2,584 दैनिक वेतनभोगी कर्मियों में से कुल 2,296 को नोटिस जारी किए गए और उनसे 24 घंटे के अंदर काम पर आने को कहा गया, लेकिन केवल 32 कर्मचारी काम पर लौटे. हमने शुक्रवार को 297 और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है जिससे अब तक कुल 2,776 कर्मियों पर कार्रवाई की जा चुकी है.’

मालूम हो कि एमएसआरटीसी कर्मचारी निगम का राज्य सरकार में विलय करने की मांग को लेकर बीते 28 अक्टूबर से हड़ताल कर रहे हैं. आंदोलन के कारण नौ नवंबर से एमएसआरटीसी के 250 बस डिपो पर परिचालन बंद है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हड़ताली कर्मचारियों का आरोप है कि निगम हड़ताल खत्म करने के लिए निजी बसों के संचालकों को सेवाएं देने के लिए मजबूर कर रहा है या उनका भुगतान रोक दिया जा रहा है.

श्रमिकों ने कहा कि सरकार कई दबाव तकनीकों का उपयोग करके हड़ताल को समाप्त करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे हड़ताल जारी रखने के लिए दृढ़ हैं.

पिछले कुछ दिनों से आजाद मैदान में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हड़तालियों ने प्रत्येक बस डिपो से 100-150 कर्मचारियों को आजाद मैदान भेजने को कहा है ताकि विरोध तेज किया जा सके.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्मचारियों के संकट से निपटने के लिए प्रबंधन ने महाराष्ट्र भर में 250 डिपो में बेकार पड़ी बसों के अपने बेड़े को संचालित करने के लिए दैनिक वेतन के आधार पर ड्राइवरों, कंडक्टरों और लिपिक कर्मचारियों के पदों के लिए नए सिरे से भर्ती करने का फैसला किया है.

सूत्रों ने कहा कि 2,000 से अधिक ड्राइवर और कंडक्टर की जल्द ही भर्ती होने की संभावना है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उनमें से ज्यादातर उम्मीदवार पिछली प्रतीक्षा सूची से होंगे, जिन्हें हमारे नए नियमों और शर्तों से सहमत होना होगा और संकट की स्थिति में काम करना होगा.’

राज्य परिवहन निगम पूरे महाराष्ट्र में एक लाख से अधिक यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ड्राइवरों के साथ 500 बसों को किराए पर लेने के लिए नए अनुबंधों पर हस्ताक्षर करेगा, जो उन्हें ‘वेट लीज’ पर संचालित करेंगे.

एक अधिकारी ने कहा कि निजी वाहन लाल परी-एमएसआरटीसी की मानक गैर-एसी बस की तर्ज पर चलेंगे और सामान्य किराया वसूलेंगे.

परिवहन मंत्री अनिल परब ने कहा कि फिलहाल एमएसआरटीसी का निजीकरण करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन वे समाधान तलाशने के लिए अन्य राज्यों के परिवहन निगमों का अध्ययन करेंगे.

परब ने कहा, ‘यह (निजीकरण) भी एक विकल्प है, लेकिन अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है.’

मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने श्रमिकों से काम फिर से शुरू करने की अपील की है और सरकार चर्चा के लिए तैयार है. परब ने कहा, ‘एक सरकार के रूप में हमें आम जनता को होने वाली असुविधा पर भी विचार करना होगा.’

सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को एमएसआरटीसी ने राज्य भर में 3,500-4,000 यात्रियों को लेकर लगभग 150 बसों का संचालन किया.

यूनियनों के सूत्रों ने कहा कि हड़ताल सप्ताहांत में भी जारी रहने की संभावना है क्योंकि 250 बस डिपो के प्रदर्शनकारी सोमवार को ‘शक्ति प्रदर्शन’ के लिए मुंबई में जुटने की संभावना है.’

संघ नेता शशांक राव ने कहा कि जब तक एमएसआरटीसी का राज्य सरकार में विलय की प्रमुख मांग नहीं मानी जाती, तब तक कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे. बॉम्बे हाईकोर्ट सोमवार को अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)